आज के समय में पैसे की जरूरत सबसे ज्यादा है. बिना धन के ना जीवन चल सकता है ना बढ़ सकता है. आर्थिक तंगी के चलते कई तरह के परिवार बिखरते देखे गए हैं और मुनष्य कई तरह की परेशानियों से भी घिरा रहता है. कलियुग में मां लक्ष्मी की प्रधानता तो है लेकिन मां लक्ष्मी (goddess lakshmi ) की कृपा भी कुछ विशेष लोगों तक ही सीमित है. आप चाहें तो कुछ विशेष पूजा अर्चना कर मां लक्ष्मी की कृपा हासिल कर सकते हैं.
यदि आप आप आर्थिक अथवा कर्ज की समस्या से परेशान है? या आप का व्यापार नही चल पा रहा है या धन की कमी से कोई कार्य नही बन पा रहा तो आप भी की कर सकते हैं, लक्ष्मी जी (laxmi ji ki kripa pane ke upay) को प्रसन्न करने का सबसे सरल एवं प्रभावी उपाय. ये साधना है श्री अष्टलक्ष्मी साधना (ashta laxmi sadhna) इसे करने के बाद आप दरिद्रता एवं निर्धनता से मुक्ति पा सकते हैं.
आज के परिवेश में यह बात शत प्रतिशत खरी उतरती है. मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी समस्या है, (daridrata dur karne ke upay in hindi) गरीबी अर्थात निर्धनता. धन के अभाव में मनुष्य मान-सम्मान प्रतिष्ठा से भी वंचित रहता है. ऐसा शास्त्रों में वर्णन है कि व्यक्ति को दरिद्रता दूर करने हेतु मां लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए. शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी को चंचला कहा जाता है अर्थात् जो कभी एक स्थान पर रुकती नहीं. अतः लक्ष्मी अर्थात् धन को स्थायी बनाने के लिए कुछ उपाय, पूजन, आराधना, मंत्र-जाप आदि का विधान है.
ऋषि विश्वामित्र के कठोर आदेश अनुसार लक्ष्मी साधना गोपनीय एवं दुर्लभ है तथा इसे गुप्त रखना चाहिए. ऐसा शास्त्रोक्त वर्णित है, कि समुद्र-मंथन से पूर्व सभी देवता निर्धन और ऐश्वर्य विहीन हो गए थे, तथा लक्ष्मी के प्रकट होने पर देवराज इंद्र ने महालक्ष्मी की स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने देवराज इंद्र को वरदान दिया कि तुम्हारे द्वारा दिए गए द्वादशाक्षर मंत्र का जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रतिदिन तीनों संध्याओं में भक्तिपूर्वक जप करेगा, वह कुबेर सदृश ऐश्वर्य युक्त हो जाएगा.
शास्त्रों के अनुसार महालक्ष्मी के आठ स्वरुप है. लक्ष्मी जी के ये आठ स्वरूप जीवन की आधारशिला है. इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं. इन आठ लक्ष्मी की साधना करने से मानव जीवन सफल हो जाता है.

अष्ट लक्ष्मी और उनके मूल बीज मंत्र इस प्रकार है.
- श्री आदि लक्ष्मी – ये जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं..
- श्री धान्य लक्ष्मी – ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं क्लीं..
- श्री धैर्य लक्ष्मी – ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं..
- श्री गज लक्ष्मी – ये जीवन में स्वास्थ और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं..
- श्री संतान लक्ष्मी – ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं..
- श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी – ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ क्लीं ॐ..
- श्री विद्या लक्ष्मी – ये जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ ऐं ॐ..
- श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी – ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं श्रीं..
अष्ट लक्ष्मी साधना का उद्देश्य जीवन में धन के अभाव को मिटा देना है. इस साधना से भक्त कर्जे के चक्रव्यूह से बाहर आ जाता है. आयु में वृद्धि होती है. बुद्धि कुशाग्र होती है. परिवार में खुशहाली आती है. समाज में सम्मान प्राप्त होता है. प्रणय और भोग का सुख मिलता है. व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होता है और जीवन में वैभव आता है.
अष्ट लक्ष्मी साधना विधि: किसी भी शुभ माह मे सोमवार या शुक्रवार की रात तकरीबन 09:30 बजे से 11:00 बजे के बीच गुलाबी कपड़े पहने और गुलाबी आसान का प्रयोग करें. गुलाबी कपड़े पर श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें. किसी भी थाली में गाय के घी के 8 दीपक जलाएं. गुलाब की अगरबत्ती जलाएं. लाल फूलों की माला चढ़ाएं. मावे की बर्फी का भोग लगाएं. अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें और कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का यथासंभव जाप करें.
मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा: जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगा दें तथा कमलगट्टे की माला घर की तिजोरी में स्थापित करें. इस उपाय से जीवन के आठों वर्गों में सफलता प्राप्त होगी.