भारत की क्रिकेट के प्रति दीवानगी की दुनिया कायल है. दुनिया जानती है कि इस खेल के लिए यह मुल्क खाना-पीना और रोजमर्रा के काम तक छोड़ टीवी से चिपकने को आतुर रहता है. लेकिन यह दीवानगी एक रोग भी है, जिसकी एकलौती दवाई है, टीम इंडिया की जीत. ऐसे में यदि कही हार हो गई तो बवाल तय है. हालांकि छोटी-मोटी हार को खेल का दूसरा पहलू समझ कर हम बर्दाश्त भी कर लेते हैं किन्तु कुछ हार हमें कतई बर्दाश्त नहीं है. और अच्छा खेलते-खेलते एक करारी हार सारा मूड ख़राब कर देती है.
वर्ल्ड कप २०१९ टीम इंडिया (Team India world cup 2019 squad)
बात कल-परसो मिली हार की नहीं है. रिकॉर्ड गवाह है कि भारत ने जिस सीरीज के पहले एक दो मुकाबलों में 350 से ज्यादा रन बनाए उसके अगले मैच में ही टीम इंडिया के सात से ज्यादा बल्लेबाज दहाई के अंक को भी न छू सके. इसके आलावा कुछ और हार है जो टीम के स्वभाव को समझने और निरंतरता पर प्रश्न चिन्ह बनकर बरसों से बैठी है.
मसलन पाकिस्तान से हार, निर्णायक मुकाबलों में हार, महत्वपूर्ण मौकों पर रुतबे के अनुसार न खेल कर मिली हार वगैरह- वगैरह. दरअसल, जिन खिलाड़ियों को हम पलकों पर बैठाते हैं, उनका लचर प्रदर्शन और एक करारी हार सारे समीकरण बदल कर पूरे देश को सड़कों पर उतर आने को मजबूर कर देती है. जीत के जश्न को मनाने वाला हिंदुस्तान हार के बाद एक अलग ही भारत बन जाता है. लेकिन इसका कारण टीम इंडिया ही है. खेल है तो हार- जीत तो लगी रहती है. इसे देश समझता है. मगर भारतीय क्रिकेट के इतिहास को उठाकर देखे तो आप रिकॉर्ड बुक की धूल झाड़ने से पहले ही पाएंगे की यह सिलसिला नया नहीं है, बल्कि विरासत में मिला है.
टीम इंडिया और विश्व कप का इतिहास (Indian cricket team for world cup 2019)
जी हां 1983 की से पहले भारत क्रिकेट बड़ी शक्तियों के आगे कुछ नहीं था. वेस्टइंडीज की काली आंधी, ब्रिटेन के सुरमा गेंदबाज, ऑस्ट्रेलिया की कंगारू चपलता और कम समय में सफेद बिजली के नाम से साउथ अफ्रीका के वर्चस्व के आगे भारत उस समय मौजूदा केन्या से भी पीछे था. ऐसे में चमत्कारिक रूप से भारत ने वर्ल्ड कप जीता वो भी दशकों से चैंपियन रही वेस्टइंडीज को हराकर. वक्त ने क्रिकेट के लिहाज से एक सुखद करवट ली.
अब भारत को जीत की आदत हुई. टीम इंडिया से उम्मीदें हुई और उम्मीदें दीवानगी बन गई. मगर उस दौर में जब 180 रन जीत की गारंटी हुआ करते थे. भारत ने अपने निम्नतम स्कोर बनाये. आंकड़ों की गहराइयों और सबूतों में जाते हुए भारतीय क्रिकेट के साथ हुए अनुभवों और क्रिकेट की अमूल चूल जानकारी के साथ यह कहा जा सकता है कि उस दौर में भी भारत लगातार जीत के बाद इस तरह हारा है कि एक सप्ताह पहले मिली किसी अदद जीत पर यकीन कर पाना मुश्किल हो जाता था.
भारतीय क्रिकेट टीम और रोचक तथ्य (Indian cricket team history in hindi)
आंकड़ों के सहारे विश्लेषण की जान निकल जाएगी. इस लिहाज से भी इतिहास तौलने के लिए अनुभव की इकाई काफी है. यह दौर कपिल देव से अजहरुद्दीन तक जारी रहा .भारतीय क्रिकेट संवर रहा था. आगे बढ़ रहा था. लेकिन एक टीस जारी थी . अचानक बुरी तरह हार ने की आदत . सौरव गांगुली युग में टीम में बड़े बदलाव हुए . जीत की भूख जीत की जिद तक जा पहुंची. जेंटलमेन गेम में भारत की आक्रामकता अब दुनिया के मैदानों में देखी जाने लगी.
लन्दन में क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स की बालकनी ने दादा ने टीशर्ट लहराकर तेवर के बदलावों का ऐलान भी किया. कई रिकॉर्ड इस युग में भी बने किन्तु अचानक से ढेर हो जाने की तासीर ने साथ न छोड़ा. 250 का आंकड़ा जब वनडे में जीत पक्की करने का ब्रह्मास्त्र बना, तब टीम इंडिया ने 270 और 300 के स्कोर बना इतिहास रचे पर इस दौर में भी तकलीफ वही रही जो थी.
जमाना धोनी और उनके बाद कोहली तक आ गया है. दोनों ने भारतीय क्रिकेट को नए आयाम दिए. दुनिया की रफ़्तार से टीम इंडिया का खेल भी कदमताल मिला रहा है. कई यादगार जीत, शानदार पारियां,आज भी इतिहास के पन्ने उलट रही है. वैसे भी बल्लेबाजी का गढ़ एशिया उपमहाद्वीप ही है .इनमे भी भारतीय शैली के क्या कहने. बल्लेबाजी के तमाम आंकड़े भारतीय नामों के आगे सजे है.
भारतीय क्रिकेट टीम का कार्यक्रम 2019 (Interesting facts about Indian cricket team)
यहांं एक बार फिर आंकड़ों में नहीं जाने का कारण विश्लेषण को जीवंत रखना है. आज के तेज रफ़्तार क्रिकेट में भारत सर्वाधिक बार 350 से ज्यादा स्कोर का साक्षी बना है. यह गौरव करने की बात है. मगर इस दौरान सबसे ज्यादा बार ताश के पत्तों की तरह ढह जाने का सिलसिला भी जारी है . जीत के बाद चैंपियनों वाली बात नहीं आई.
मसलन ऑस्ट्रेलिया ने एक दौर वो भी जिया है, जब कंगारू टीम मैच खेलने के पहले ही उसे जीत चुकी होती थी. भारत के साथ वह बात, वह विश्वास कभी पैदा नहीं हुआ . फ़िलहाल तक तो नहीं. हर तरह के सुधार के बी इस बात पर आज भी काम किया जाना बाकि है. आखिर क्यों स्तर का अचानक इतना गिर जाना टीम इंडिया और देश में क्रिकेट के चाहने वालों का सिरदर्द बना हुआ है.
ताज्जुब यह भी है कि रैंकिंग में नम्बर वन पर कब्ज़ा जमाये बैठी टीम के पास इस ‘सडन कोलेप्स’ का न उपाय है, न जवाब. चिंतन किया जाना चाहिए. वरना चिंता करते रहने से नोक आउट दौर का एक मैच आगामी बड़े टूर्नामेंट में घर वापसी का कारण बन सकता है. आप इशारा समझ गए होंगे. वर्ल्ड कप में अब वक्त कम है और तासीर बदलना जरुरी है. अंत में बस यही है कि अगली बार मौजूदा विश्लेषण के ठीक उलट लिखने की इच्छा है. क्रिकेट का बड़ा प्रशंसक जब यह लिखे कि ‘चैम्पियन टीम इंडिया” इससे ज्यादा सुखद कुछ और नहीं हो सकता.