दलाई लामा (Dalai Lama) ये शब्द आपने कई बार सुना होगा. कई लोग जिन्हें जीके या करंट अफेयर पढ़ने का शौक है वो ये भी जानते होंगे की दलाई लामा वो व्यक्ति हैं जिन्हें नोबल पुरस्कार दिया गया था. लेकिन वास्तव में क्या आप ये जानते हैं की दलाई लामा कौन हैं? (Who is Dalai Lama?) उन्हें क्यों नोबल पुरस्कार दिया गया था? दलाई लामा का भारत और चीन से क्या रिश्ता है? (Dalai Lama Relation with china and india) दलाई लामा ने भारत में शरण क्यों ली थी?
दलाई लामा कौन हैं? (Who is Dalai Lama?)
भारत का एक पड़ोसी और खूबसूरत देश है ‘तिब्बत’ (Tibet) जिस पर चीन अपना अधिकार पेश करता है. भारत और चीन के बीच तिब्बत को लेकर काफी विवाद (India-China-Tibet Controversy) है. भारत अक्सर तिब्बत को लेकर चीन से विवाद में उलझता है. तिब्बत से ही दलाई लामा (Dalai Lama) है. दलाई लामा को तिब्बत में एक महापुरुष का दर्जा दिया हुआ है. वे बौद्ध धर्म के अनुयाई है और उन्हीं की तरह रहते हैं. कहा जाता है की दलाई लामा ने अपना निर्वाण रोककर अपने जीवन को लोगों को भलाई में लगाया है. दलाई लामा वर्तमान स्थिति (Dalai Lama Post) में एक आध्यात्मिक गुरु और तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष हैं.
दलाई लामा का जन्म कहाँ हुआ? (Dalai Lama Birth date and place)
दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तरी तिब्बत के आंदो के एक छोटे से गाँव तकछेर में हुआ था. इनका बचपन का नाम ल्हामो दोंडुब (Dalai Lama Child Name) था. दो साल की उम्र में ही इन्हें टेढ़ावे दलाई लामा थुबतेन ग्यातसो के अवतार में पहचाना गया. 6 वर्ष की आयु में इनहोने अपनी शिक्षा प्रारम्भ की तथा 23 वर्ष की उम्र में ये अंतिम परीक्षा में बैठे. इन्हें गेशे ल्हारम्पा की उपाधि (Dalai Lama Education) दी गई है जो बौद्ध दर्शन में डॉक्टर के समकक्ष है. बाद में 14वे दलाई लामा बने.
दलाई लामा और चीन का संबंध (Dalai Lama and China Controversy)
दलाई लामा और चीन के बीच विवादित संबंध हैं. ये संबंध तिब्बत की स्वतन्त्रता को लेकर हैं. इस विवाद की शुरुवात होती है साल 1912 में जब 13वे दलाई लामा ने तिब्बत को स्वतंत्र घोषित कर दिया था. इसके बाद जब तिब्बत में 14वे दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया चल रही थी तब चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया और तिब्बत हार गया. इसके बाद तिब्बत पर चीन का शासन हो गया.
दलाई लामा भारत क्यों आए थे? (Why Dalai Lama came and stay in India?)
तिब्बत पर अब चीन का शासन चल रहा था. लेकिन तिब्बत के लोगों ने बाद में चीनी शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. दलाई लामा ने चीनी चंगुल से बचने के लिए 1959 में भारत में शरण ली. उनके साथ भरी संख्या में तिब्बती भी भारत आए थे.
अन्य देशों ने दिया दलाई लामा का साथ (Tibet Freedom struggle)
दलाई लामा ने तिब्बत को चीनी चंगुल से बचाने के लिए दलाई लामा ने भारत समेत अन्य देशों का समर्थन एकत्रित किया. दलाई लामा ने साल 1987 में अमेरिकी काँग्रेस के समक्ष “पाँच बिन्दु शांति योजना” (5 Point Peace Plan) प्रस्ताव रखा जिसमें उन्होने कहा
– सम्पूर्ण तिब्बत को एक शांति क्षेत्र में परिवर्तित किया जाए.
– चीन की जनसंख्या स्थानांतरण की नीति जो तिब्बतियों के अस्तित्व के लिए ही एक खतरा को पूरी तरह से छोड़ दिया जाए.
-तिब्बतियों के आधारभूत मानवीय अधिकार और प्रजंतत्रीय स्वतन्त्रता के प्रति सम्मान की भावना.
– तिब्बत के प्राकृतिक पर्यावरण की पुनर्स्थापना और संरक्षण तथा चीन द्वारा आणविक शस्त्रों के निर्माण और परमाणु कूड़ादान के रूप में तिब्बत को काम में लाये जाना छोड़ा जाए.
– तिब्बत के भविष्य की स्थिति और तिब्बतियों तथा चीनियों के आपसी सम्बन्धों के विषय में गंभीर बातचीत की शुरुवात की जाए.
दलाई लामा को नोबल पुरस्कार (Dalai Lama Nobel Prize)
दलाई लामा ने तिब्बत की स्वायत्ता और स्वतन्त्रता के लिए काफी प्रयास किए, काफी देशों से समर्थन मांगा तब जाकर तिब्बत में शांति बहाल हुई है. दलाई लामा हमेशा से शांति प्रिय व्यक्ति रहे हैं और वे शांति से विवादों को सुलझाने का प्रयास करते हैं. उनके शांति प्रयासों के चलते ही उन्हें साल 1989 में नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था.
दलाई लामा ने तिब्बत छोड़ने के बाद भारत में आकर वो धर्मशाला में बस गए. दलाई लामा ने विश्व शांति के लिए विश्व के 50 से भी ज्यादा देशों में भ्रमण किया है. 2005 और 2008 में उन्हें विश्व के 100 महान हस्तियों में शामिल भी किया गया है. दलाई लामा वर्तमान में सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं और उसी के माध्यम से वे अपने विचारों को दुनिया में फैला रहे हैं. दलाई लामा के जीवन पर कई Documentary और फिल्मे बन चुकी हैं.
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