अतिथि देवो भवः अर्थात अतिथि, मेहमान भगवान के रूप होते हैं. प्राचीन काल में हमारे भारतवर्ष में यही धारणा प्रचलित थी जो आज बदलते समय की धारा के साथ पूर्णतः परिवर्तित हो गयी है. आज मेहमान के नाम से ही लोग दूर भागने लगते हैं. आज के युग में मेहमानों के भी व्यवहार व आचरण में काफी फर्क आ गया है तो मेजबान के व्यवहार में भला क्यों परिवर्तन नहीं होगा.
आज मेजबान, मेहमान से बहुत कुछ उम्मीद करते हैं जबकि मेहमान का काम सिर्फ मौजमस्ती या सैर सपाटे करना और मेजबान का अकेले गृह कार्यों को करना है. ऐसे में भला कौन परेशान नहीं होगा. यदि आप भी किसी के घर में मेहमान बनकर जा रहे हों तो निम्न बातों को अमल में जरूर लाइये.
सर्वप्रथम मेजबान को अपने आगमन की सूचना कम से कम सप्ताह भर पहले अवश्य कर दीजिए.
जहां तक हो सके, अपनी छोटी मोटी जरूरत की वस्तु अपने साथ जरूर ले जायें. मेजबान के घर खाली हाथ न जाकर फल, मिठाई वगैरह अवश्य ले जायें. जाते साथ ही, मेजबान के ऊपर अकेले रसोई का भार न डालें बल्कि उनका हाथ बटायें. इसके साथ ही यह भी अवश्य ध्यान रखिये कि आप मेजबानों से खाने को लेकर नाना प्रकार की फरमाइशें न करें.
यदि आपके साथ आपके बच्चे हैं तो उन्हें घर से समझाइये कि मेजबानों की वस्तुओं पर अनावश्यक दखलअंदाजी या तोड़फोड़ न करें. यदि बच्चों से कहीं कोई चीज टूट जाती है तो मेजबान से क्षमा मांगकर उसकी भरपाई करने की पूरी कोशिश कीजिये.
घूमने का जब कभी प्रोग्राम बनाएं, मेजबान को भी साथ ले जायें.
खरीदारी करते समय मेजबान की मनपसंद की छोटी मोटी चीजें जरूर दीजिये. फिर देखिये, कैसे मेजबान खुले दिल से आपका सम्मान करेगा.
कभी कभी रसोई से संबंधित सामान, सब्जियां इत्यादि लाकर मेजबान को दीजिये.
जितने दिन भी आप मेजबान के घर ठहरें, हमेशा हंसी खुशी का माहौल बनाये रखिये. बिना वजह से किसी बात पर तनाव न पालें.
अंत में जाते समय मेजबान को आभार स्वरूप धन्यवाद अवश्य दें. यदि उनके छोटे बच्चे हैं तो खिलौने, वगैरह उपहार दे सकते हैं. फिर देखिये कैसे बच्चे के साथ बड़े मेजबान भी हर्ष मिश्रित अश्रु मुस्कान लिये पुनः आने के लिये कहकर आपको विदाई देंगे.