जब भी रक्षाबंधन पर राखी बांधने की बात आती है तो आपने भ्रदाकाल का नाम सुना होगा. आखिर क्या है यह भद्रा? (what is bhadra kaal in hindi) क्यों नाम लिया जाता है भद्रा का? क्यों भद्राकाल में शुभ कार्य नहीं किए जाते? क्या कहानी है आखिर भद्रा की?
दरअसल, ज्योतिष में भद्रा एक अशुभ काल होता है. (Bhadrakal is considered to be an unholy or inauspicious time) यह किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित माना जाता है. भद्रा को एक करण माना जाता है, जो एक तिथि में दो करण होते हैं. जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है, तो भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है.
इसी तरह चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है, तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में होता है. जब चन्द्रमा कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होता है तो भद्रा का वास पाताल लोक में होता है.
भद्रा को अशुभ काल माना जाता है क्योंकि यह एक क्रूर ग्रह, शनि का वास होता है. (is bhadra good or bad) शनि को न्याय का देवता माना जाता है, और वह अच्छे और बुरे दोनों का फल देता है। भद्रा के दौरान किए गए कार्यों के परिणाम अच्छे या बुरे दोनों हो सकते हैं.
दरअसल, “भद्रा” एक हिन्दी में बोलचाल की भाषा में “शुभ कार्यों में बाधा” का संकेत देने के लिए उपयोग होता है. (What happened in Bhadra Kaal) यह शब्द अधिकांश लोगों के द्वारा प्रयुक्त नहीं होता है, लेकिन कुछ विश्वासों और पौराणिक आधारों पर आधारित हो सकता है.
इसका अर्थ है कि कुछ विशेष गृह कर्मों, पूजा, या शुभ कार्यों में अच्छानक आने वाली अनुचित बाधाओं की स्थिति होती है, जो कार्य को पूरा करने में रुकावट पैदा कर सकती है। इसलिए, लोग शुभ कार्यों के दौरान या त्योहारों के दिन इसे दूर करने के लिए विशेष पूजा या उपाय करते हैं.
भद्रा दूर करने के लिए कुछ सामान्य उपाय हो सकते हैं, जैसे कि मन्त्र जाप, धूप, दीपक, पूजा, और ध्यान. यह इसे मान्यता है कि इन उपायों से शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त की जा सकती है और बुरी भद्रा को दूर किया जा सकता है.
रक्षाबंधन जैसे त्योहारों में भी भद्रा को दूर करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं ताकि भाई-बहन के बीच प्यार और सौख्य बना रहे. इसमें शुभ मुहूर्त का चयन, पूजा, और व्रत का पालन शामिल हो सकता है. रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल के दौरान राखी बांधने से भाई की सुरक्षा को खतरा हो सकता है, इसलिए, रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का सबसे अच्छा समय भद्रा काल के बाद होता है.