एक ही वर्ष में कई बार सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) आती हैं. हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करने जाते हैं, दान-पुण्य करते हैं. इस दिन व्रत करने और स्नान करने से मनुष्य समृद्ध और स्वस्थ होता है साथ ही वह सभी दुखों से दूर भी होता है.
सोमवती अमावस्या क्या है? (Somvati Amavasya Kya hai?)
सोमवती अमावस्या कोई त्योहार नहीं बल्कि साल में कई बार आने वाला विशेष दिन है. सोमवती अमावस्या का मतलब होता है सोमवार को आने वाली अमावस्या. जिस माह में सोमवार के दिन अमावस्या होती है उस दिन को सोमवती अमावस्या कहा जाता है.
इस दिन विशेष रूप से पवित्र जल में स्नान किया जाता है तथा पीपल की पूजा की जाती है. इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं और भगवान के भजन-कीर्तन भी करते हैं ताकि विधाता उनके हर दुख को हर सकें. सोमवती अमावस्या के दिन विशेष रूप से सोमवती अमावस्या की कथा का श्रवण भी करना चाहिए.
सोमवती अमावस्या की कथा (Somvati Amavasya Katha)
सोमवती अमावस्या से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं. कथा के अनुसार एक गरीब ब्राह्मण परिवार था जिसमें पति-पत्नी के अलावा एक सुंदर पुत्री थी. पुत्री सुंदर, सुशील एवं गुणवान थी, लेकिन गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था.
एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधू पधारे, उस कन्या ने साधू की सेवा की जिससे साधू बेहद प्रसन्न हुए और उन्होनें कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया. आशीर्वाद देते हुए साधू ने कहा कि कन्या के हाथ में विवाह की रेखा नहीं है. दम्पत्ति ने साधू से इसका उपाय पूछा.
साधू ने कहा कि यहाँ से कुछ दूरी पर ही सोना नाम की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है. वो आचार-विचार से बेहद संस्कार सम्पन्न एवं पतिव्रता है. आपकी कन्या यदि उसकी सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपनी मांग का सिंदूर लगा दे तो उसके बाद कन्या का यह दोष मिट सकता है. साधू ने बताया कि वह महिला कहीं आती जाती नहीं है.
ऐसा सुनकर कन्या ने वहाँ जाने का निर्णय किया. सुबह तड़के ही वह उठकर वह रोजाना उस महिला के घर जाती है और उसका सारा कार्य करके आ जाती है. एक दिन उस बुजुर्ग महिला ने अपनी बहू से कहा कि तुम सुबह उठकर सारा कार्य कर लेती हो और मुझे पता भी नहीं लगता है. तब बहू ने कहा की माँ जी मैं तो देर से उठती हूँ. मुझे लगा आप सारा कार्य कर लेती हो.
इस बात पर दोनों सास-बहू ने निगरानी करने का फैसला किया. सुबह उन्होंने देखा कि एक कन्या आती है और वह घर का पूरा कार्य करके चली जाती है. वह लड़की जब घर से जा रही थी तब उस महिला ने उसे रोककर पूछा की तुम मेरे घर के सारे काम क्यों करके जाती हो? तब उस लड़की ने साधू की कही सारी बात बताई.
वह महिला लड़की की सेवाभाव से प्रसन्न हो गई और उसने अपनी मांग का सिंदूर उस लड़की की मांग में लगा दिया. इतने में ही उसे पता चला की बुजुर्ग महिला का पति चल बसा. बुजुर्ग महिला बिना खाए-पीए ही घर से निकल गई. रास्ते में उसे एक पीपल का पेड़ मिला. उस जगह पर उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भँवरी देकर परिक्रमा की. इसके बाद उसने जल ग्रहण किया. ऐसा करते ही उसके पति का मुर्दा शरीर जिंदा हो गया. वह दिन सोमवती अमावस्या का दिन था, जिसने उस महिला के प्राण लौटाए.
सोमवती अमावस्या का महत्व (Somvati Amavasya Importance)
सोमवती अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है. इस दिन पीपल की परिक्रमा की जाती है. पीपल में सभी देवों का वायस होता है. जो व्यक्ति सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की 108 परिक्रमा करके जल ग्रहण करता है उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. उसके सभी दुख दूर होते हैं. विवाहित महिलाओं के पति की उम्र लंबी होती है.
सोमवती अमावस्या के उपाय (Somvati Amavasya Upay)
सोमवती अमावस्या के दिन आपको ये उपाय जरूर करने चाहिए.
– सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन आती है इसलिए इस दिन शिवलिंग पर कच्चे दूध और दही से अभिषेक अवश्य करना चाहिए. इसके साथ ही शिवजी को काले तिल भी अर्पित करने चाहिए. इससे आपके सभी अधूरे काम पूरे होते हैं.
– सोमवती अमावस्या के दिन पितरों को जल देने की परंपरा भी रही है. इस दिन पीपल के पेड़ पर गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, पुष्प अर्पित करें और साथ ही ॐ पितृभयः नमः मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से पितृ अपना आशीर्वाद देते हैं.
– सोमवती अमावस्या के दिन यदि संभव हो तो एक पीपल का वृक्ष लगाएं और उसकी देखभाल भी करें. ऐसा करने से भी पितृ बेहद प्रसन्न होते हैं.
– सोमवती अमावस्या के दिन यदि आप मौनव्रत रखते हैं तो यह उपाय आपको हजार गोदान का फल दिलाता है. इस दिन पीपल और भगवान विष्णु की पूजा करें इससे आपकी सभी मनोकामना पूरी होगी.
– आर्थिक संपन्नता के लिए 108 बार कच्चा सूत पीपल को लपेटना चाहिए तथा पीपल को 108 फल अप्रीत करके अलग रख देना चाहिए. पूजा होने के बाद इन फलों को प्रसाद के रूप में बाँट दें.
सोमवती अमावस्या का दिन एक विशेष दिन है. इस दिन आपको किसी पवित्र नदी में अवश्य स्नान करना चाहिए. स्नान के पश्चात आप अपने पितरों को जल अर्पित करें. ऐसा करने से वे बेहद प्रसन्न होंगे और आप पर अपनी कृपा करेंगे.
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