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RAM और ROM क्या होते हैं, इनमें क्या अंतर है?

जब आप मोबाइल या लैपटाप की ख़रीदारी करते हैं तब आपको बताया जाता है की इसकी RAM 4 जीबी है इसमें 64 जीबी ROM है. कई लोग हैं जो इन शब्दों को नहीं समझ पाते और कम RAM वाले मोबाइल ज्यादा दामों में ले आते हैं. इसलिए ये जानना काफी ज्यादा जरूरी होता है की RAM और ROM क्या होता है? RAM और ROM में क्या अंतर होता है?

RAM क्या है? (What is RAM?)

RAM का पूरा नाम (RAM Full form) है Random Access Memory. ये एक ऐसी मेमोरी होती है जिसका उपयोग हमारी डिवाइस कम समय के लिए करती है या यूं कहे की जब तक आपकी डिवाइस ऑन रहती है तब तक करती है. इसे शॉर्ट टर्म मेमोरी भी कहा जाता है. ये बहुत ही कम समय के लिए डाटा को होल्ड करके रखती है और डिवाइस के ऑफ हो जाने के बाद डाटा को डिलीट कर देती है. ये मदरबोर्ड का हिस्सा होती है इसलिए ये सीधे तौर पर मदरबोर्ड से जुड़ी होती है. किसी भी डिवाइस में RAM का ज्यादा होना अच्छा माना जाता है. पहले डिवाइस में ये 512 MB तक आती थी लेकिन अब ये 2,4,6,8, जीबी तक या इससे ज्यादा भी आ रही है. अगर आप एक बजट फोन ले रहे हैं तो आप 4 जीबी तक की रैम वाला फोन ले सकते हैं.

रैम के प्रकार (Types of RAM)

रैम के स्ट्रक्चर के आधार पर इसे दो हिस्सों में बांटा गया है.

S-RAM क्या है? (What is S-RAM?)

इस तरह की रैम को स्टैटिक रैम कहा जाता है. ये डाटा को केवल पावर ऑन रहने तक ही सेव करके रखती है. ये एक तरह के वोलेटाइल मेमोरी होती है जिसे एड्रेस डिकोडर हैंडल करता है. इसमें डाटा बाइनरी कोड की फॉर्म में जाता है. ये अन्य रैम के मुक़ाबले ज्यादा महंगी होती क्योंकि ये नवीनतम प्रणाली पर काम करती है और ज्यादा लोगों में प्रयोग लाई जाती है.

D-RAM क्या है? (What is D-RAM?)

इसे डायनामिक रैम कहते हैं. ये स्टेटिक रैम के मुक़ाबले ज्यादा सुस्त होती है और सस्ती भी. इस रैम के अंदर जो डाटा सेव किया जाता है वो करंट के रूप में सेव होता है इस कारण ये ज्यादा ऊर्जा लेती है. इसमें बिजली की ज्यादा जरूरत होती है. इसे कम ही प्रयोग में लाया जाता है.

ROM क्या है? (What is ROM?)

ROM का पूरा नाम Read Only Memory है. ये ऐसी मेमोरी होती है जो किसी डाटा को लंबे समय के लिए होल्ड करती है. इसे परमानेंट मेमोरी भी कहा जाता है. इस तरह की मेमोरी में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आपने डिवाइस को ऑन रखा है या ऑफ रखा है. आपने बस एक बार डाटा को ROM में सेव कर दिया इसके बाद ये हमेशा इसमें सुरक्षित रहेगी जब तक की आप उसे खुद डिलीट न करे. ये आजकल डिवाइस में अंदर आती हैं और आप चाहे तो इन्हें अलग से लगाकर बढ़ा भी सकते हैं.

रोम को हम इंटरनल स्टोरेज भी कहते हैं. इसे कम्प्युटर और लैपटाप में हार्ड डिस्क के नाम से भी जाना जाता है. यानि की हार्ड डिस्क एक तरह की ROM है. अगर आप कोई फोन खरीद रहे हैं जो एक बजट फोन है तो आप कम से कम 8 जीबी तक की इंटरनल स्टोरेज का फोन ले सकते हैं. समान्यतः सस्ते फोन में आजकल 8 जीबी स्टोरेज आसानी से मिल जाती है. ये आपको 2 जीबी से लेकर 512 जीबी या 1 टीबी तक मिल जाती हैं. हालांकि इतने ज्यादा डाटा का हम उपयोग नहीं कर पाते हैं इसलिए आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे ले सकते हैं.

रोम के प्रकार (Types of ROM)

रोम के स्ट्रक्चर और मेन्यूफैक्चर के अनुसार इसे तीन भागों में बांटा गया है.

P-ROM क्या है? (What is P-Rom?)

पी रोम का मतलब होता है प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी. ये काफी अलग तरह की रोम होती है क्योंकि इसमें डाटा सेव करने के लिए प्रोग्रामर की जरूरत होती है. इनके बिना इस पर डाटा सेव कर पाना या डाटा लिख पाना मुंकिन नहीं है. ये एक तरह की ब्लैंक रोम होती है जिसे बनाते वक़्त प्रोग्राम किया जाता है. यानि की वो रोम क्या काम करेगी इस बात को प्रोग्रामर तय करता है.

EP-ROM (What is EP-ROM?)

इसका पूरा नाम एरजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी है. ये खास तरह की मेमोरी होती है. ये रोम डाटा को अल्ट्रा वायलेट किरणों के संपर्क में आने तक बचा कर रखती है. इसे सबसे सुरक्शित प्रकार की रोम में से एक माना जाता है. इसे प्रोग्राम करने का काम भी अल्ट्रा वायलेट किरणों के द्वारा ही किया जाता है.

EEP-ROM क्या है? (What is EEP-ROM>)

इसका मतलब होता है इलेक्ट्रिसिटी इरेजेबल प्रोग्रामेबाल रीड ओन्ली मेमोरी. ये भी अन्य रोम से अलग है क्योंकि इसमें डाटा सेव करने के लिए बिजली की मदद ली जाती है. इसकी मदद से ही इसे रिप्रोग्राम करने के लायक बनाया जाता है.

ROM के उदाहरण

ROM के कई सारे उदाहरण है जैसे CD, DVD, Blue Ray Disc, Memory कार्ड, पेन ड्राइव आदि.

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