बैडमिंटन एक ऐसा खेल जिसे आज देश की गलियों में खेलते हुए बच्चे अक्सर दिख जाते हैं. पर इसके दिलचस्प इतिहास से कम ही लोग परिचित हैं. सस्ता और सामान्य सा ये खेल गली-गली में भले खेला जाता हो लेकिन इसके नियमों की जानकारी कम ही लोगों को होती है.
कैसे और कहां से शुरू हुआ बैडमिंटन
भारत में यही कोई 125 साल पहले कुछ अंग्रेज़ अफसरों ने बैडमिंटन को शुरू किया और तब इसे नाम दिया ‘चिड़ी-बल्ला’. साल 1872 से 1875 के बीच भारत में ही इस खेल के नियम बनाए गए. हालांकि इस खेल को सही पहचान भारत में न मिलकर इंग्लैंड में ही मिली.
पार्टी में मिला बैडमिंटन नाम
साल 1873 में एक अंग्रेज अफसर ड्यूक ऑफ बेफोर्ट की पार्टी में इस खेल का प्रदर्शन कर इसे बैडमिंटन नाम दिया गया. इसके बाद खेल को विस्तार देने के साल 1893 में इंग्लैंड बैडमिंटन संघ की स्थापना की गई. साल 1934 में बैडमिंटन की अतंर्राष्ट्रीय नियंत्रक संस्था इंटरनेशनल बैडमिंटन फेडरेशन स्थापित हुई.
How To Play Badminton Game
बैडमिंटन 2 से 4 पुरुष या महिला खिलाड़ियों के बीच खेला जाता है. जब इसमें दो खिलाड़ी भाग लेते हैं, तब इसे एकल और 4 खिलाड़ी खेलें, तो युगल के नाम से जाना जाता है. इसे खेलने के लिए एक चिड़ी (शटल) और एक जालीदार बल्ले की आवश्यकता होती है. इस जालीदार बल्ले को रैकेट कहा जाता है.
कैसा हो बैडमिंटन का मैदान
बैडमिंटन का आयताकार मैदान 44 फीट लंबा और 17 फीट चौड़ा होता है और इसे कोर्ट कहते हैं. लंबाई के मध्य की रेखा से यह क्षेत्र दो भांगों में विभाजित होता है. मध्य रेखा से दोनों ओर एक-एक रेखा मध्य रेखा के समांतर होती है, जिसे शॉर्ट सर्विस रेखा कहा जाता है.
इस रेखा के मध्य से पुनः दोनों कोर्ट को दो-दो भागों में विभाजित किया जाता है. जिन्हें दायां सर्विस कोर्ट व बायां सर्विस कोर्ट कहा जाता है. खेल का आयोजन सीमेंट या लकड़ी से बने कोर्ट पर या फिर घास और मिट्टी के मैदानों पर किया जाता है. युगल कोर्ट की लंबाई 44 फीट व चौड़ाई 20 फीट कर दी जाती है.
कोर्ट और खेल की तैयारी
बैडमिंटन मैच के समय कुछ बिंदुओं का विशेष ख्याल रखा जाता है. मैच में एक 6.99 मीटर लंबाई का जाल होना जरूरी है. वहीं कोर्ट के केंद्र से ऊंचाई 1.50 मीटर रखी कटी है. रैकेट की लंबाई 27 इंच, फ्रेम की लंबाई 11 इंच, वजन 85 से 140 ग्राम, चौड़ाई 9 इंच होनी चाहिए.
वहीं शटल कॉक (चिड़ी) का वजन 4.73 से 5.50 ग्राम, परिधि 6.4 से 7 से.मी. होनी ज़रूरी है. व्यक्तिगत खेल होने के कारण रैकेट खिलाड़ी स्वयं अपना प्रयोग करते हैं. आयोजनकर्ता को शटल कॉक और नेट की व्यवस्था करनी पड़ती है.
(नोट: यह लेख आपकी जागरूकता, सतर्कता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. बैडमिंटन संबंधी अधिक जानकारी के लिए आप किसी खेल विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.)