ब्रह्माजी के वंशज भगवान विश्वकर्मा महान शिल्पकार एवं वास्तुकार हैं. इन्होंने भगवान कृष्ण की द्वारिका से लेकर कई अस्त्रों, रथ, विमान आदि का निर्माण किया है. (Vishwakarma Puja Kab hai) पौराणिक गाथाओं में जिन अस्त्रों का जिक्र आप पढ़ते हैं वो सभी विश्वकर्मा द्वारा बनाया गए हैं. भारत में विश्वकर्मा जयंती को धूम-धाम से मनाया जाता है.
विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. ये दिन शिल्पकार, कारीगर, श्रमिकों के लिए एक त्योहार होता है. इस सृष्टि में कई चीजे हैं जिनका निर्माण भगवान विश्वकर्मा के द्वारा किया गया है.
विश्वकर्मा पूजा कब है? (Vishwakarma Puja Kab hai?)
हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है. भारत में हर वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा की जाती है वहीं विश्वकर्मा जयंती 7 फरवरी को मनाई जाती है.
विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja Vidhi)
भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि-विधान (Vishwakarma Puja Kab hai) से की जाना चाहिए.
– इस दिन जल्दी स्नान करके पूजा स्थल को साफ करें और गंगा जल छिड़क कर उसे पवित्र करें.
– एक साफ चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं.
– पीले कपड़े पर लाल कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं.
– भगवान गणेशजी का ध्यान करते हुए उन्हें प्रमाण करें.
– स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें फिर उस चौकी पर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
– एक दीप प्रज्वलित करें और चौकी पर रखें.
– भगवान विष्णु और विश्वकर्मा के मस्तक पर तिलक लगाएं और पूजा आरंभ करें.
– भगवान का ध्यान करें और उनसे विनती करें कि वे आपकी नौकरी और व्यापार में तरक्की के मार्ग दिखाएं.
– पूजा कर के बाद विश्वकर्मा मंत्र का जाप करें.
– भगवान विष्णु जी की आरती तत्पश्चात भगवान विश्वकर्मा जी की आरती करें.
– भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं और सभी में इसे प्रसाद स्वरूप बांटे.
विश्वकर्मा किसके पुत्र हैं? (Father of Lord Vishwakarma)
विश्वकर्मा ब्रह्माजी के वंशज कहे जाते हैं. उन्हें कई रचनाओं का श्रेय भी जाता है. विश्वकर्मा जी ब्रह्माजी के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तुदेव के पुत्र हैं, वास्तुदेव को शिल्प शास्त्र का आदिपुरुष माना जाता है. वास्तुदेव की पत्नी अंगिरसी है जिनके पुत्र विश्वकर्मा हैं.
विश्वकर्मा अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए वास्तुकला के महान आचार्य बने. (Vishwakarma Puja Kab hai) इनके पुत्र मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और देवयज्ञ थे. ये पुत्र अलग-अलग विद्या में पारंगत थे.
विश्वकर्मा की रचना (Lord Vishwakarma Creation)
भगवान विश्वकर्मा एक महान शिल्पकार थे. (Vishwakarma Puja Kab hai) पौराणिक ग्रंथों के अनुसार उनकी बनाई गई चीजे अद्भुत थी एवं उन चीजों का विशेष योगदान भी था.
विश्वकर्मा ने स्वर्गलोक की इंद्रपुरी, कुबेरपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी का निर्माण किया था. इसके अलावा रावण की सोने की लंका भी विश्वकर्मा द्वारा ही बनाई गई है. भगवान कृष्ण की द्वारिका और पांडवों का इंद्रप्रस्थ भी विश्वकर्मा द्वारा ही बनाया गया है.
विश्वकर्मा भगवान ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर का भी निर्माण किया है जो आज भी हमारे सामने हैं. विष्णुपुराण में उल्लेख है कि जगन्नाथ मंदिर की अनुपम शिल्प रचना से खुश होकर भगवान विष्णु ने उन्हें शिल्प अवतार से सम्मानित किया था.
भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के उड़ने वाले रथ का निर्माण भी किया है. वहीं दूसरी ओर ऐसे शस्त्रों का निर्माण किया जिनसे असुर भी भयावह रहते थे. इन्द्र का वज्र अस्त्र, कृष्ण का सुदर्शन चक्र इन्हीं के द्वारा निर्मित किया गया था.
भगवान विष्णु का चक्र, शिव का त्रिशूल, हनुमान जी की गदा, कुबेर का पुष्पक विमान, सीता के स्वयंवर में तोड़ गया धनुष, महाभारत में अर्जुन का रथ, पार्वती के विवाह की वेदी सभी भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही बनाई गई है.
भगवान विश्वकर्मा की पूजा भारत में विशेष तौर पर की जाती है. इनकी पूजा खासतौर पर श्रमिक और शिल्पी वर्ग करते हैं. कंपनियों में सभी कारीगर इनकी पूजा करते हैं. इस अवसर पर औद्योगिक क्षेत्रों में विशेष तौर पर विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया जाता है.
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