भारत में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं जिनका अपना-अपना महत्व होता है. सभी त्यौहारों की तरह भारत में वसंत पंचमी (Vasant Panchami) भी मनाया जाता है. इसे मुख्य तौर पर मां सरस्वती की आराधना के लिए मनाया जाता है लेकिन इसके अन्य भी महत्व हैं, इसके पीछे कई पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएँ हैं.
वसंत पंचमी कब मनाई जाती है? (When Vasant Panchami Celebrate every year?)
वसंत पंचमी को हर साल हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से माघ महीने की पंचमी को मनाया जाता है. इसे वसंत पंचमी या श्री पंचमी भी कहा जाता है. वसंत पंचमी का त्यौहार पूर्वी भारत, पश्चिम-उत्तर बांग्लादेश, नेपाल में धूम-धाम से मनाया जाता है. हालांकि इसे पूरे भारत में ही धूम-धाम से मनाया जाता है.
वसंत पंचमी क्यों मनाते हैं? (Why do we celebrate Vasant Panchami?)
वसंत पंचमी को मुख्यतौर पर प्रकृति और किसानों का त्यौहार माना जाता है लेकिन ये कलाकारों का भी त्यौहार है. वसंत लोगों का मनचाहा मौसम होता है. इस मौसम में खेतों में सरसों सोनों की तरह चमकती है, जौ और गेहूं की बालियां खिलने लगती है, आमों पर बौर आ जाते हैं, हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियां घूमती हैं. ये पूरे साल का सबसे सुहावना मौसम होता है. इसी वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पांचवे दिन वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. वसंत पंचमी पर खासतौर पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है.
वसंत पंचमी पर किस राजा ने आत्म-बलिदान दिया था? (Vasant Panchami and prithviraj chauhan story)
वसंत पंचमी का दिन वैसे तो प्रकृति और मां सरस्वती की पूजा का दिन है लेकिन इस दिन भारत के एक महान राजा ने अपना आत्म बलिदान दिया था. वसंत पंचमी का त्यौहार हमें पृथ्वीराज चौहान की याद भी दिलाता है. उन्होने विदेशी हमलावर मोहम्मद गोरी को 16 बार परास्त किया था और उदारता दिखाते हुए जिंदा छोड़ दिया था. लेकिन जब गोरी ने सत्रहवी बार आक्रमण किया तो गोरी की जीत हुई. वो पृथ्वीराज को अपने साथ अफगानिस्तान ले आए और यहाँ आकार उन्होने पृथ्वीराज की आँख फोड़ कर उन्हें जेल में डाल दिया.
गोरी ने उन्हें यहां लाकर मृत्यु दंड का फरमान सुना दिया लेकिन मृत्यु से पहले उन्हें पता चला की वे बिना आँखों के भी आवाज के आधार पर निशाना लगा सकते हैं तो उन्होने इस कमाल को देखना चाहा और पृथ्वीराज को डंके की चोट पर निशाना लगाने का मौका दिया. पृथ्वीराज के साथी चंदबरदाई के परामर्श से गोरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मार्कर संकेत दिया. तब चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संकेत के माध्यम से बोलकर बताया की गोरी कहां हैं और उन्होने उसी आधार पर गोरी पर तीर से निशाना लगा दिया. ये तीर सीधा गोरी के सीने में जाकर लगा. इसके बाद पृथ्वीराज और चंदबरदाई ने आत्मबलिदान दे दिया. जिस दिन ये सारी घटना हुई उस दिन वसंत पंचमी थी.
वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा (What do we do on Vasant Panchami?)
वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है. किसी भी शुभ काम के लिए ये दिन काफी अच्छा माना जाता है. पूरे सालभर में कई लोगों की शादियां वसंत पंचमी के मौके पर होती है. इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की पूजा करना चाहिए. मां सरस्वती को इस दिन पीले पकवान भी चढ़ाने चाहिए. अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो सुबह-सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें. इसके बाद मां सरस्वती की वंदना करें. पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें और बच्चों को भी पूजा स्थान पर बैठाएँ.
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