वाराणसी (Varanasi) भारत का एक पवित्र शहर जिसे एक तीर्थ स्थल के रूप में भी जाना जाता है. गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर की ये खासियत है की इस शहर में गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बहती है और सभी जगह पर गंगा उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है. वाराणसी में गंगा नदी की किनारे 84 घाट बने हुए हैं जो 4 मील लंबे तक पर हैं. इनमें से पांच घाट (Varanasi Ghaat) बहुत ही पवित्र माने जाते हैं. ये अस्सीघाट, दश्वमेद्यघाट, आदिकेशवघाट, पंचगंगाघाट तथा मणिकर्णिकघाट हैं. इन पाँच घाटों को पांच तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है. वैसे यहां पर घाट के अलावा भी कई सारी घूमने की जगह है.
वाराणसी में घूमने की जगह/वाराणसी के टुरिस्ट प्लेस (Varanasi Tourist Place)
सारनाथ संग्रहालय (Sarnath Museum)
इसमें कई बुद्ध प्राचीन अवशेष, मूर्तियां और कलाकृतियां हैं. इसमें मौर्य, कुषाण काल और गुप्त काल की भी शानदार कलाकृतियां हैं. इसी संग्रहालय में अशोक स्तम्भ भी है जो भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है.
रामनगर किला (Ramnagar Fort)
ये वाराणसी से 14 किलोमीटर दूर है. इसका निर्माण महाराज बलवंत सिंह ने 18वीं शताब्दी में करवाया था. ये किला लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है.इसमें पुरानी कारें, शाही पालकी, तलवारें, पुरानी बंदुके, हाथीदांत की वस्तुएं हैं. इसमें एक विशाल घड़ी भी है जो खगोलीय जानकारी देती है.
मानसिंह वेधशाला (Man Singh Observatory)
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में बनी ये वेधशाला के अब कुछ ही भाग शेष बचे हैं. इस वेधशाला में प्रमुख रूप से कुछ यंत्र मौजूद हैं. ये यंत्र सम्राट यंत्र, लघु सम्राट यंत्र, दक्षिणोत्तर भित्ति यंत्र, चक्र यंत्र, दिगंश यंत्र, नाड़ी वायले दक्षिण और उत्तर गोल हैं.
जंतर-मंतर (Jantar-Mantar)
इसे साल 1737 में जयपुर के महाराज जय सिंह द्वारा बनवाया गया था. उन्होने वाराणसी का जंतर-मंतर खगोल विज्ञान में रुचि के चलते बनवाया था. इसका उपयोग स्थानीय समय को मापने और ग्रहण के समय को ज्ञात करने के लिए किया जाता था. आज भी इसकी सटीकता बहुत है.
काशी हिन्दू विश्वविध्यालय (Kashi Hindu University)
वाराणसी के गोदौलिया चौक से लगभग 4 किलोमीटर दक्षिण में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय है. इसकी स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी. इसके परिसर में बना भारत कला भवन काफी समृद्ध है. इसमें लगभग 1 लाख वस्तुएं प्रदर्शित की गई है.
लोलार्क कुंड (Lolark Kund)
वाराणसी में तुलसी घाट से थोड़ी ही दूरी पर लोलर्क कुंड है. इसके चारों तरफ कीमती पत्थर से सजावट की गई है. इसमें लोलार्केश्वर का मंदिर भी जिसमें भादों महीने में मेला लगता है.
दुर्गा कुंड (Durga Kund)
असी रोड से कुछ दूरी पर आनंद बाग के पास दुर्गा कुंड है. यहां पर माँ दुर्गा का एक मंदिर भी है। इसमें मंगलवार और शनिवार को भक्तों की काफी भीड़ होती है.
काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishvnath Mandir)
वाराणसी में पृसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर भी है जिसे रानी अहिल्या बाई ने भव्य रूप प्रदान किया था. इस मंदिर का शिकार सोने का मढ़ा हुआ है. वाराणसी जाकर एक बार काशी विश्वनाथ मंदिर ज़रूर जाना चाहिए.
वाराणसी के प्रमुख बाजार (Varanasi Famous Market)
ठठेरी बाजार (Thatheri Bazar) : आपने बनारसी साड़ी के बारे में तो सुना ही होगा वो आपको यहीं पर मिलेगी. इसके अलावा यहां पर तांबे से बनी कई सुंदर चीजें भी मिलती है. यहाँ पर अलग-अलग तरह के सजावट के सामान भी मिलते हैं.
विश्वनाथ लेन (Vishwanath Lane) : ये रंग-बिरंगी चूड़ियां, बनारसी साड़ी, और प्रिंटेड दुपट्टे के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर लकड़ी के बने खिलौने भी मिलते हैं जिन्हें यहीं के कलाकारों द्वारा बनाया जाता है.
गोदोवलिया मार्केट (Godowaliya Market) : ये मार्केट भी काफी बड़ा है और डेली रूटीन के सामानों के लिए काफी फेमस है. इनके अलावा यहां पर शादी के कपड़े, सिल्क की शाल, ज़री वर्क और अन्य चीजों के कपड़े मिलते हैं.
चौक और हाट (Chouk and Urban haat) : वाराणसी की चौक हाट में हेंडीक्राफ्ट और हेंडलूम की काफी वेरायटी मिलती है. इसके अलावा यहां कपड़े और अन्य जरूरत का सामान भी मिलता है.
गोलघर (Golghar) : अगर आप वाराणसी में है और आपको फूटवियर, गिफ्ट, ड्रेस और कॉस्ट्यूम चाहिए तो आपको गोलघर पर ये सारी चीजें मिल जाएंगी.
वाराणसी कैसे जाएं ? (How to go banaras?)
वाराणसी जाने के लिए आप अपने शहर से किसी भी साधन से जा सकते हैं. यहां पर आप अपने खुद के वाहन, बस, ट्रेन, कार से जा सकते हैं. इसके अलावा यदि आप हवाई जहाज़ से जाना चाहते हैं तो उससे भी जा सकते हैं. वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट है.
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