उत्तर प्रदेश में साल 2022 में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में हर पार्टी अपना दबदबा यहां बनाना चाहती है. उत्तर प्रदेश पहले से भाजपा सरकार है लेकिन हाल ही में बीजेपी के एक प्रमुख नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दे दिया है. जिसके चलते बीजेपी का चुनावी गणित बिगड़ सकता है.
स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले काफी सालों से बीजेपी में हैं. इससे पहले वे बसपा में भी रह चुके हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य केबिनेट मंत्री हुआ करते थे. उनके इस पद से इस्तीफा देने के साथ ही पूरे देश में बवाल मच चुका है. तो चलिये जानते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य कौन हैं?
कौन हैं स्वामी प्रसाद मौर्य?
स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय दलित नेता हैं. वे साल 1996 से वर्तमान तक रजीनीति में सक्रिय हैं. बीजेपी से इस्तीफा देने से पहले वे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में केबिनेट मिनिस्टर थे. लेकिन उन्होने इस पद से इस्तीफा दे दिया. वे अभी तक 5 बार एमएलए बन चुके हैं और वे दलितों के बीच काफी लोकप्रिय नेता हैं. बीजेपी के पास दलित वोट बैंक इनकी वज़ह से ही माना जाता है.
स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनैतिक करियर
स्वामी प्रसाद मौर्य साल 1996 में रानीति की दुनिया में आए थे.
– वे अभी तक 5 बार MLA बन चुके हैं. उनका विधानसभा क्षेत्र यूपी के कुशीनगर जिले का Padrauna है.
– वे अभी तक 5 बार यूपी सरकार में केबिनेट मिनिस्टर रह चुके हैं.
– साल 2016 में वे BSP की पार्टी में विरोधी पार्टी के नेता थे. उस समय भी उन्होने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी से इस्तीफा क्यों दिया?
स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में बीजेपी पार्टी और केबिनेट मिनिस्टर के पद से इस्तीफा दिया है. उन पर इल्जाम लगाया जा रहा है कि बीजेपी ने इस बार उनके बेटे उत्कृष्ट मौर्य को टिकट नहीं दिया. दरअसल हर बार उत्कृष्ट मौर्य को रायबरेली की ऊंचाहार सीट पर टिकट दिया जाता था लेकिन वे पिछली दोनों बार चुनाव में हार गए. इसके चलते इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया. जिसके चलते कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होने इस्तीफा दिया.
हालांकि एक इंटरव्यू में स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया कि वे राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देते हैं. उनका मानना है कि वे दलितों और पिछड़ों का साथ देते हैं और उन्हें आगे बढ़ाना चाहते हैं. पिछली बार भी कुछ कारणों के चलते उन्होने बीएसपी को छोड़ा था.
स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी का वोट बैंक बिगाड़ सकते हैं. मौर्य का दबदबा यूपी के 16 जिलों में है. इनकी ओबीसी जतियों के लोगों पर अच्छी पकड़ है. पिछली बार यूपी में बीजेपी सरकार बनाने में इनका भी खास योगदान रहा है. इनके इस्तीफे के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस भी पार्टी में ये जाएंगे उस पार्टी को अच्छे वोट मिलेंगे. इन सभी के अलावा दलित और पिछड़े वर्ग के एमएलए भी इनेक पक्ष में हैं. इनके इस्तीफा देते ही तीन और विधायकों ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है, जिसके कारण बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.
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