आज के दौर में पति-पत्नी दोनों ही वर्किंग हैं. फैमिली न्यूक्लीयर होती जा रही है. गांवों-शहरों और कस्बों से पलायन महानगरों की ओर हुआ है, जिससे संयुक्त परिवार भी लगातार खत्म् हुए हैं. ऐसे में एकांगी परिवारों में बच्चों और पति की जिम्मेदारी भी वाइफ के ही कंधों पर होती है. ऑफिस और घर का मैनेजमेंट एक कुशल हाउस वाइफ ही कर सकती है.
कैसी होती है हाउस वाइफ की भूमिका
दरअसल, हाउस वाइफ घर की संचालिका और निर्देशिका होती है. घर को सुव्यवस्थित करना वाइफ के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी होती है. भले ही एक समय तक वह जॉब करती हो, लेकिन बाद में उसकी भूमिका हाउस वाइफ की होती है. पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए वाइफ के लिए जरूरी है कि वह घर को चलाने के लिए प्लानिंग करे.
पति के साथ जिम्मेदारी बांटें और प्लानिंग करें
यदि आप जॉब करती हैं तो बेहतर है कि कुछ जिम्मेदारियां अपने पति के साथ बांटें. बच्चों के होमवर्क से लेकर उनकी दिनचर्या पर नजर बनाएं रखें. मल्टी टास्किंग ना बनें और ना ही खुद सबकुछ करने की कोशिश करें. पति का सपोर्ट लें ही और यदि आपकी भी कमाई ठीक है तो एक मेड रखें और उसे मैनेज करें. खाने-पीने से लेकर घर में राशन पानी के लिए भी एक दिन के हिसाब से प्लान करें. मेड से काम लें और प्लान ज्यादा करें. जॉब में रहते हुए देखभाल से ज्यादा जरूरी है देखरेख. बच्चों को अनुशासित और स्वावलंबी बनाएं.
सेहत का ख्याल रखें और संतुलन बनाकर रखें
यदि आप वर्किंग वुमन हैं और जॉइंट फैमिली है तो फिर आपकी जिम्मेदारी घर के प्रति और भी बढ़ जाती है. ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि सारी चीजों को खुद प्लान करें. फैमिली के दूसरे सदस्यों को भी जिम्मेदारी साझा करने दें. कई बार परिवारों में देखने में आता है कि बहू होने के नाते आप ही सारी जिम्मेदारी निभाने लगती हैं. ऑफिस, घर और बच्चों, पति और सास-ससुर की सेवा करते हुए आपको अपनी सेहत के बारे में ख्याल ही नहीं आता. तबीयत का विशेष रूप से ध्यान रखें.
वीक एंड पर समय निकालें
इस बात को समझिए कि दुनिया बदल गई है. यदि घर का सारा लोड आप पर ही आ रहा है तो अपने फैमिली को सारी बातें बताएं. चुपचाप काम करते रहना और एक दिन बुरी तरह बीमार हो जाना उपाय नहीं है. खुश रहें और अपने लिए समय निकालें. विशेष रूप से वीक एंड पर बाहर खाना खाना, फिल्म देखना या फिर बच्चों के साथ एक दिन की आउटिंग पर जाना आपको हफ्ते भर खुश रखेगा.
जिम्मेदारियों का मजा इंजॉयमेंट के साथ है. बूढ़ी होकर खप जाने का नाम जिंदगी नहीं है.