थायरायड और ढलती उम्र के लक्षण तकरीबन एक जैसे ही होते हैं. ऐसे में गलतफहमी भी हो जाती है कि शारीरिक गड़बड़ियां ढलती उम्र के कारण हो रही हैं या हार्मोन्स की गड़बडियों के कारण?
दरअसल, हमारे शरीर में थायरायड एक ग्रंथि है. इससे थायोराइक्सिन टी-4 ट्रिडोथारोनाइन टी-3 दो हार्मोन्स स्रावित होते हैं. ये हार्मोन्स शरीर की एनर्जी को कंट्रोल कर ब्लड सकुर्लेशन कंट्रोल कर सांस लेने और डाइजेशन जैसी जरूरी क्रियाओं में सहयोग करते हैं. इस ग्रंथि में खराबी आ जाने के कारण थायरायड की शिकायत हो जाती है.
थायरायड से महिलाओं को ज्यादा खतरा
कई रिसर्च और स्टडी ये बता चुकी हैं पुरूषों की तुलना में महिलाओं में थायरायड होने की आंशंका नौ गुनी अधिक होती है. थायरायड ग्रंथि में इन हार्मोन्स के कम या अधिक बनने पर दिक्कतें शुरू होती हैं. इनके कम बनने से शरीर में शिथिलता आ जाती है. ऐसे में जरूरी है कि एक उम्र के बाद रेगुलर चेकअप करवाते रहें.
क्या हैं थायराइड के लक्षण
थायरायड के आम लक्षणों में शरीर का वजन बढ़ना, पांवों में सूजन आना, सुस्ती, पीरियड के दौरान अधिक खून बहना, त्वचा का रूखापन, बालों का लगातार गिरते रहना, डिप्रेशन, याद्दाश्त कमजोर होना, ठंड शीघ्र लगना आदि दिखाई देते हैं. वजन गिरने, डायरिया, चिंता तथा पीरियड के कम आने के कारण हापरथायरोडिज्म हो सकता है. हापरथायरोडिज्म के रोगियों की आंखों में जलन सूजन या लाली आ जाती है.
क्या हैं थायरायड सेे बचने के उपाय और खतरे
थायराइड का उपचार सामान्य तौर पर हो जाता है. कुछ टेबलेट्स के नियमित सेवन से इस पर काबू पाया जा सकता है. अगर सही समय और सही मात्रा में दवाईन ली गई तो इसके अनेक दुष्परिणाम भी रोगी को भुगतने होते हैं.
प्रेगनेंट महिलाओं को इस स्थिति में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होती है क्योंकि पाया गया है कि इस तरह के रोगियों में सिरदर्द, धड़कन तेज या धीमी होने की प्रायः शिकायत हो जाती है. इसका पता खून की जांच के जरिए किया जाता है. इस मामले में टीएचएच जांच सबसे संवेदनशील मानी जाती है है. इससे कैंसर का भी पता चलता है.
इसका उपचार सही समय पर प्रारम्भ हो जाने से इस पर आसानी से काबू पाया जा सकता है. डायबिटीज के रोगियों में थायरायड की आम समस्या दिखाई देती है. इसके कारण ही मधुमेह बुरी स्थिति में पहुंच जाता है.
थायरायड से महिलाएं क्यों अलर्ट रहें?
महिलाओं में हापरथायरोडिज्म की बीमारी सामान्य तौर पर देखी जाती है. महिलाओं में इस बीमारी के साथ ब्लिडिंग और पीरियड की अनियमितता की शिकायत आम हो जाती है. इससे कई बार महिलाओं में बांझपन की समस्या भी पैदा हो जाती है. सेक्स की अधिकता या कमी को भी यह ग्रंथि प्रभावित करती है.
थायरायड में क्या होते हैं इफेक्ट
कुछ एक्सपर्ट बताते हैं कि थायरायड ग्रंथि के अनियमितता का प्रभाव अविवाहित लड़कियों पर भी पड़ता है. अनियमित मासिकस्राव आना, सिर में तीव्र दर्द का होना, शरीर का कमजोर होते जाना, अधिक पसीना आना, हाथ-पैरों में झुनझुनी भरना, योनी में अत्यधिक तीव्र खुजली का होना स्तनों का आकार उम्र एवं शरीर के वजन के अनुसार बहुत छोटा या बहुत बड़ा हो जाना, संभोग करने की आतुरता आदि लक्षण उनमें दिखाई देने लगते हैं.
वैसे उपरोक्त लक्षण अन्य कारणों से भी प्रकट हो सकते हैं. कुछ सावधानियों से इन बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है. इसके बाद भी कई बार महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ ही जाती हैं.
थायरायड में प्रेगनेंट लेडी के लिए जरूरी है ये बातें
प्रेगनेंसी के दौरान अगर अधिक उलटियां आ रही हों, लगातार वजन कम हो रहा हो, हाईब्लडप्रेशर या बार-बार दिल की धड़कनें तेज हो रही हों तो हापरथायराडिज्म का चेकअप जरूर करा लेना चाहिए. इसके बहुत ही गम्भीर हालत में रोगी को रेडियोएक्टिव आयोडिन, दवा या फिर सर्जरी की जरूरत पड़ती है.
बच्चे पर इफेक्ट
गर्भावस्था के दौरान हार्मोन्स की गड़बडी से बच्चे में भी थायरायड की शिकायत हो सकती है. थायरायड हार्मोन्स भ्रूण और नवजात बच्चे (शिशु) के मानसिक और शारीरिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसकी गड़बड़ी से बच्चों में भूख कम लगना तथा पीलिया जैसे रोग का होना आम हो जाता है. इस बीमारी के कारण गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है और महिलाएं बांझ तक हो सकती हैं, अतः लापरवाही ठीक नहीं होती है.
(नोट : यह लेख आपकी जागरूकता, सतर्कता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि किसी बीमारी के पेशेंट हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.)