New Crime Laws: बीते दिन यानी सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में अंग्रेजों के जमाने के इन आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों को मंजूरी दे दी। तीनों नए कानून अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे। जो भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) का स्थान लेंगे। कानूनों में बदलाव के साथ ही इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गए हैं। आइये जानते हैं आईपीसी की कुछ अहम धाराओं के बदलाव के बारे में…………………….
भारतीय न्याय संहिता में बदलाव
आपको ज्ञात हो भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए भारतीय न्याय संहिता में 20 नए अपराध शामिल की गई है, तो वहीं, 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई गई है। साथ में 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।
अहम धाराओं में बदलाव
धारा 124
आईपीसी की धारा 124 राजद्रोह से जुड़े मामलों में सजा दी जाती थी। नए कानूनों के तहत ‘राजद्रोह’ को एक नया शब्द ‘देशद्रोह’ मिला है. दरअसल राजद्रोह ब्रिटिश काल का शब्द है, जिस हटा दिया गया है. अब इसकी जगह देशद्रोह शब्द का प्रयोग किया गया है, जो भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है.
धारा 144
आईपीसी की धारा 144 हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होने के बारे में थी. इस धारा को भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने की श्रेणी में रखा गया है. अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी सभा के बारे में है।
धारा 302
धारा 302 के तहत पहले किसी की हत्या करने वाले को आरोपी बनाया जाता था. यानी सजा सुनाई जाती थी. लेकिन अब ऐसे अपराधियों को धारा 101 के तहत सजा सुनाई जाएगी. भारतीय न्याय संहिता के अनुसार हत्या की धारा को अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले क्राइम कहा जाएगा.
धारा 307
हत्या करने के प्रयास में दोषी को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा मिलती थी. लेकिन अब ऐसे दोषियों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी. इस धारा को भी अध्याय 6 में शामिल किया गया है.
धारा 376
दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा देने के लिए धारा 376 में आरोपी बनाया जाता था, लेकिन नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है.भारतीय न्याय संहिता में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है. नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है.
धारा 399
मानहानि के मामले में आईपीसी की धारा 399 के तहत कार्रवाई होती थी, लेकिन नए कानून के तहत अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि आदि में कार्रवाई होगी. साथ में मानहानि को भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में रखा गया है।
धारा 420
धोखाधड़ी या ठगी का अपराध में आरोपियों पर धारा 420 के तहत प्रकरण होता था, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धोखाधड़ी या ठगी का अपराध अब धारा 316 के तहत आएगा. इस धारा को भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के खिलाफ अपराधों की श्रेणी में रखा है.
CRPC और साक्ष्य अधिनियम कैसे बदल गए?
सीआरपीसी की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं, जबकि सीआरपीसी की 484 धाराओं थी. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं, जबकि 9 नई धाराएं और 39 उपधाराएं जोड़ी गई हैं. इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है. वहीं, नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं. इससे पहले सीआरपीसी में 167 प्रावधान थे. नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं.