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69 साल बाद ‘टाटा’ की होगी Air India, तीन एयर लाइंस कंपनियों का मालिक बनेगा टाटा ग्रुप

air india and tata history

टाटा ग्रुप भारत का सबसे जाना-माना ग्रुप है. लोग इस पर भरोसा भी करते हैं और इनका सम्मान भी करते हैं. देश की सरकारी एयर लाइन ‘एयर इंडिया’ का मालिकाना हक अब टाटा ग्रुप लेने वाला है. टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई है. एयर इंडिया अभी तक भारी कर्जों के तले दबी है. इसे कर्ज से निकालने के लिए टाटा ग्रुप इसकी बागडोर अपने हाथ में ले रहा है. एयर इंडिया को टाटा ग्रुप को सौंपे जाने की कानूनी औपचारिकता पूरी हो चुकी है और टाटा ग्रुप इसमें आज से अपना काम भी शुरू करने वाला है.

टाटा ग्रुप ही है एयर इंडिया का जनक (Owner of Air India)

एयर इंडिया को टाटा ग्रुप अभी भले ही खरीद रहा हो लेकिन एयर इंडिया को भारत में शुरू करने वाला टाटा ग्रुप ही था. साल 1932 में जेआरडी टाटा ने ‘टाटा एयरलाइंस’ (Air India History in Hindi) को शुरू किया था. शुरुआत में टाटा एयरलाइंस कुछ शहरों तक ही सीमित थी. लेकिन बाद में इसका विस्तार किया गया और इसे एक इंटरनेशनल एयरलाइन बनाया गया. जेआरडी टाटा का मानना था कि किसी भी देश के विकास के लिए वहां एयर कनैक्टिविटी होनी जरूरी है.

जेआरडी टाटा की एयरलाइंस को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली. एक समय ऐसा भी आया जब सरकार की नजर इस एयरलाइन पर गई और उन्होने इसे अपने अधीन करने के लिए जेआरडी टाटा से बात की. टाटा ग्रुप के लिए देश सबसे पहले है इसलिए उन्होने इसे सरकार को दे दिया. सरकार ने इसका नाम बदलकर Air India रख दिया. तब से अब तक इसका नाम Air India ही है. आगे यदि टाटा ग्रुप चाहे तो इसका नाम बदल सकता है.

2 लाख रुपये से शुरू की थी टाटा एयर लाइन (Tata air line and air india history)

साल 1932 में जेआरडी टाटा ने ‘टाटा एयरलाइंस’ को 2 लाख रुपये के साथ शुरू किया था. 15 अक्टूबर 1932 को टाटा एयरलाइंस की पहली फ्लाइट ने कराची से मुंबई के लिए उड़ान भरी थी. उस समय ये अपने प्लेन से डाक लेकर आए थे. जेआरडी टाटा उस समय कमर्शियल पायलेट लाइसेन्स प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे.

टाटा एयरलाइन साल 1946 में पब्लिक कंपनी बनी. तब इसका नाम बदलकर एयर इंडिया रखा गया. एयर इंडिया उस समय अपनी सेवाओं के चलते दुनिया की टॉप एयर लाइंस में गिनी जाती थीं. साल 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया और इसे सरकार के अधीन ले लिया. फिर भी जेआरडी टाटा 25 सालों तक एयर इंडिया के चेयरमैन पद पर रहे. क्योंकि उनसे बेहतर इस सेक्टर को उस समय कोई नहीं समझता था. टाटा ग्रुप का हमेशा से ही इस एयर लाइन से जुड़ाव रहा है. इसलिए टाटा ग्रुप ने इसे खरीदने के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई है.

पहले से दो एयर लाइंस का मालिक है टाटा ग्रुप (Air lines of Tata Group)

Tata Group देश में आज़ादी के पहले से भी बिजनेस कर रहा है. ऐसे में वो देश की नब्ज जानते हैं कि यहाँ कौन सा बिजनेस कैसे करना है? टाटा ग्रुप ने हाल ही में भले ही एयर इंडिया को खरीदा हो लेकिन टाटा ग्रुप पहले से भी दो एयर लाइंस का हिस्सेदार है.

एयर एशिया इंडिया (Air Asia India History in Hindi)

साल 2012 में एयर एशिया भारत में अपना बिजनेस करना चाहती थी. साल 2012 में एयर लाइंस क्षेत्र में सरकार ने विदेश निवेश को खोला था. इसी के चलते एयर एशिया के सीईओ टोनी फर्नांडीज़ ने टाटा ग्रुप के साथ मिलकर भारत में एयर एशिया इंडिया को कहा. टोनी ने कहा कि टाटा भारत को अच्छी तरह जानते हैं और उनकी भारत मे अच्छी प्रतिष्ठा है इसलिए वे टाटा के साथ मिलकर बिजनेस करना चाहते हैं.

19 फरवरी 2013 को एयर इंडिया एशिया को भारत में शुरू किया गया. एयर एशिया इंडिया में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी एयर एशिया की है, 21 प्रतिशत हिस्सेदारी अरुण भाटिया की है, और 30 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा ग्रुप की है. ये तो शुरुआत की बात है लेकिन अब साल 2020 से टाटा ग्रुप के पास इस कंपनी की 83.67 प्रतिशत हिस्सेदारी है. (Tata group stack in air asia india) मतलब इस एयर लाइन पर मालिकाना हक टाटा ग्रुप का ही है.

विस्तारा (Vistara Air Line History in Hindi)

टाटा ग्रुप को एविएशन इंडस्ट्री काफी पसंद है. इसलिए पहली बार जब उन्हें मौका मिला तो एयर इंडिया एशिया के माध्यम से उन्होने वापसी की. एविएशन इंडस्ट्री में अपना पैर जमाने का मौका उन्हें साल 2013 में भी मिला जब भारत में जब एविएशन इंडस्ट्री मे विदेशी निवेश को खोला गया तो सिंगापुर एयरलाइन ने टाटा ग्रुप के साथ मिलकर 2013 में विस्तारा एयर लाइन की स्थापना की. इस एयर लाइन में 51 प्रतिशत हिस्सेदार टाटा ग्रुप के पास है.

इस तरह टाटा ग्रुप पहले से दो एयर लाइंस का मालिक है. अब तीन एयर लाइंस का मालिक हो जाएगा. देखने वाली बात ये होगी कि घाटे में चल रही एयर इंडिया एयर लाइंस को टाटा कैसे फायदे का सौदा बनाता है. हालांकि टाटा के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है. टाटा ने अभी तक कई घाटे के सौदों को फायदे में तब्दील किया है.

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