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hima das story

International Sports Event में किसी भी व्यक्ति के लिए गोल्ड मैडल जीतना एक सपना होता है. लेकिन जरा सोचिए यदि कोई खिलाड़ी 19 दिनों के भीतर 5 गोल्ड मैडल देश को जीता दे तो फिर तो पूरा भारत देश उसे सर आंखों पर बैठा देता है. भारत की एथलीट हिमा दास ने कुछ ऐसा ही कारनामा साल 2019 में करके दिखाया था. हिमा दास भारत की एक बेहतरीन धावक (Indian Sprinter) है. आज उन्हें जो नाम और पहचान मिली है वो उन्होने काफी वर्षों की मेहनत से कमाई है. उनके संघर्ष की कहानी काफी दिलचस्प है.

हिमा दास जीवनी (Hima Das Story in Hindi) 

हिमा दास एक फर्राटा धावक (Sprinter) है. लेकिन उनके लिए ये सफर इतना आसान नहीं रहा. उनके परिवार ने उन्हें इस मुकाम पर लाने के लिए काफी संघर्ष किया. खुद हिमा ने काफी ज्यादा मेहनत करके ये मुकाम पाया है.

hima das struggle

भारत में Dhing Express के नाम से पॉपुलर हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के Dhing कस्बे के Kandhulimari गांव में हुआ था. इनके पिता Ronjit Das तथा माता Jonali Das किसान हैं. ये खेती करके अपने परिवार का लालन-पोषण करते थे. अपने परिवार के 5 बच्चों में हिमा सबसे छोटी थी. 

हिमा ने करियर कैसे शुरू किया? (Hima Das career in Running) 

एक गांव की लड़की दौड़ में कैसे आई? ये सवाल आपको जरूर परेशान कर रहा होगा. असल में जब हिमा छोटी थी तब वो 5वी के बाद जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने गई. वहां उनका इन्टरेस्ट फुटबाल की तरफ हुआ. वो अक्सर लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थी. उनकी दौड़ को देखते हुए उनके स्पोर्ट्स टीचर ने कहा कि तुम्हें ‘दौड़’ में भाग लेना चाहिए. तुम उसमें काफी अच्छा कर सकती हो. तब हिमा ने दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू किया. 

हिमा International Level तक कैसे पहुंची?

हिमा ने जब शुरुआत की तो उन्होने लोकल लेवल पर काफी सारी रेस में भाग लिया. इनमें वे कई रेस में अव्वल आती थीं. 

– हिमा ने एक बार गुवाहाटी में स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लिया. तब उन्होने ब्रोंज मेडल जीता. 

– इसके बाद उन्हें जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के लिए भेजा गया. तब उनके पास न तो कोई ट्रेनिंग थी और न ही कोई अनुभव था. उस समय उन्हें कोई मेडल नहीं मिला. 

hima das training

इस हार से हिमा काफी निराश हुई. लेकिन उनके कोच ने उनकी परेशानी समझी और उनमें ट्रेनिंग की कमी महसूस की. कोच ने हिमा के माता-पिता को समझाया कि हिमा को ट्रेनिंग की जरूरत है. वो बहुत अच्छा कर सकती है. अगर वो गुवाहटी में ट्रेनिंग करे तो वो काफी आगे जा सकती है. हिमा के लिए ये ट्रेनिंग इतनी आसान नहीं होने वाली थी. पहली बात तो वो गरीब घर से थीं. उन्हें रोज अपने गाँव से गुवाहटी जाना होता था. घर आते-आते उन्हें रात के 11 भी बज जाते थे. लेकिन हिमा ने हार नहीं मानी और अपनी ट्रेनिंग को जारी रखा. ट्रेनिंग के साथ ही उनके लिए वो दिन भी आया जब वो साल 2018 में एक International Event में भाग लेने पहुंची.

हिमा दास की महत्वपूर्ण रेस (Hima Das Important Championship) 

हिमा दास के लिए हर रेस महत्वपूर्ण हैं. लेकिन इन्टरनेशनल लेवल पर उन्हें पहचान दिलाने वाली कुछ खास रेस हैं जिनमें हिमा दास ने कमाल का दम दिखाया था.

2018 Commonwealth Games

2018 Commonwealth Games में हिमा दास ने भाग लिया था. इस रेस  में वो किसी मेडल को जीतने में सफल तो नहीं हो पाई. लेकिन वे छठवे स्थान पर आई और उन्होने 400 मीटर की रेस को 51.32 सेकंड में पूरा किया. 

World U-20 Championship 2018

साल 2018 के जुलाई महीने में ही हिमा दास ने अंडर 20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लिया. इसमें उन्होने गोल्ड मेडल जीता. इस मेडल ने उन्हें असली पहचान दिलाई. क्योंकि इन्टरनेशनल इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली वो पहली भारतीय धावक थीं. 

Asian Games 2018

अगस्त 2018 में इन्डोनेशिया के जकार्ता में Asian Games हुए जिसमें 45 देशों ने हिस्सा लिया. इसमें हिमा दास भी दौड़ी. उन्हें 400 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल मिला और 4*400 में दो गोल्ड मेडल मिले. 

hima das gold medal

19 दिन में 5 गोल्ड मेडल जीते (Hima Das Gold Medal Story) 

हिमा दास के नाम पर 5 गोल्ड मेडल 19 दिन के भीतर जीतने का रिकॉर्ड है. उन्होने एक के बाद एक लगातार तीन अलग-अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और 5 गोल्ड मेडल अपने नाम किए.

1) पहला गोल्ड मेडल पोलैंड में हुई एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर की रेस को 23.65 सेकंड में पूरा करके जीता.

2) दूसरा गोल्ड मेडल पोलैंड के कुनटो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर की रेस को 23.97 सेकंड में पूरा करके जीता.

3) तीसरा गोल्ड मेडल चेक रिपब्लिक में क्लादनों एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर की रेस 23.43 सेकंड में पूरा करके जीता.

4) चौथा गोल्ड मेडल चेक रिपब्लिक में हुए ताबोर एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर की रेस को 23.25 सेकंड में पूरा करके जीता.

5) पांचवा गोल्ड मेडल नोवे मेस्टो नाद मेटुजी ग्रांपी में 400 मीटर की रेस को 52.09 सेकंड में पूरा करके जीता. 

इस तरह 2 जुलाई से 20 जुलाई तक हिमा ने एक के बाद एक 5 गोल्ड मेडल जीते. ये भारत के लिए पहली बार था जब किसी खिलाड़ी ने एक के बाद एक भारत के लिए इन्टरनेशनल प्रतियोगिता में 5 गोल्ड मैडल जीते हो. 

हिमा दास और Adidas की कहानी (Hima Das and Adidas Story)

हिमा एक गरीब परिवार से थीं. उन्हें खेल में आगे बढ़ना था लेकिन उसके लिए साधन जुटाना परिवार के लिए संभव नहीं था. हिमा की ट्रेनिंग के दौरान उन्हें अच्छे जूतों की जरूरत थी. लेकिन हिमा ने अपने पिता से जूते नहीं मांगे. क्योंकि वो जानती थी कि उनके परिवार में आर्थिक स्थिति कैसी है. लेकिन हिमा के पिता का भी हिमा के खेल से काफी जुड़ाव हो गया था. वे गुवाहाटी गए और अपने जोड़े गए पैसों से 1200 रुपये के जूते खरीदे और हिमा को दिये. हिमा ने इन जूतों को पहनकर खेल की दुनिया में ऐसा जलवा दिखाया कि जूते बनाने वाली कंपनी Adidas ने उन्हें अपना Brand Ambassador बना दिया. 

hima das dsp

Hima Das के 5 गोल्ड मैडल जीतने के बाद हर किसी ने उनकी प्रशंसा की. असम सरकार ने उन्हें DSP के पद पर नौकरी दी. UNICEF India ने उन्हें पहला यूथ अम्बेस्डर नियुक्त किया. इतना ही नहीं भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने उन्हें अर्जुन अवार्ड भी दिया. हिमा दास की मेहनत रंग लाई और आगे भी रंग लाएगी. 19 साल की उम्र में उन्होने देश का जो नाम रोशन किया है वो वाकई तारीफ के काबिल है. 

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