मुम्बई के नेहरू सेंटर में राजकमल प्रकाशन की ओर से आयोजित पांच दिवसीय किताब उत्सव का गुरुवार को समापन हो गया. उत्सव के आखिरी दिन अंग्रेजी भाषा के मशहूर लेखक जैरी पिंटो के हिंदी में अनुदित उपन्यास ‘माहिम में कत्ल’ का लोकार्पण शांता गोखले ने किया, तो वहीं युवा पत्रकार और लेखक सारंग उपाध्याय के बॉम्बे पर आधारित पहले उपन्यास “सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी” का विमोचन वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता अनुराग चतुर्वेदी द्वारा किया गया.
इसके अतिरिक्त ‘किताब उत्सव’ के आखिरी सत्र में जावेद अख्तर ने जां निसार अख्तर द्वारा संपादित पुस्तक ‘हिंदोस्तां हमारा’ के नए संस्करण का लोकार्पण किया. इस दौरान मंच पर राजकमल प्रकाशन के संपादक सत्यानंद निरुपम और एम डी अशोक महेश्वरी उपस्थिति रहे.
बता दें कि राजकमल प्रकाशन की ओर से ‘किताब उत्सव’ का आयोजन 19 मार्च 2023 को मुंबई के वर्ली स्थित नेहरू सेंटर हॉल ऑफ हार्मनी में किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मराठी लेखक भालचंद्र नेमाडे, लक्ष्मण गायकवाड़ और अब्दुल बिस्मिल्लाह ने किया. इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में न सिर्फ लेखकों और पाठकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया बल्कि लोगों ने भी कई तरह की गतिविधियों में शिरकत की.
क्या खास है सारंग उपाध्याय के उपन्यास “सलाम बॉम्बे व्हाया वर्सोवा डोंगरी” में?
सारंग उपाध्याय द्वारा रचित मुम्बई की पृष्ठभूमि पर आधारित ये उपन्यास अतीत के बड़े राजनैतिक फैसलों के सामाजिक जीवन पर हुए प्रभावों को रेखांकित करता है.
हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘तद्वव’ में प्रकाशित होने के बाद ये उपन्यास चर्चा में बना रहा. अपनी भाषा शिल्प और अंतरवस्तु के कारण भी इस उपन्यास की समीक्षकों द्वारा भी चर्चा की गई और पाठकों द्वारा इसे सराहा भी गया.
अपने पहले उपन्यास पर बात करते हुए सारंग उपाध्याय ने बताया कि, ‘ये देश और मुम्बई के अतीत में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बीच घटित एक प्रेम कहानी है जिसका परिवेश और परिदृश्य मछुआरा समुदाय है.
सारंग कहते हैं कि- ‘ये उपन्यास मुंबई में रहने वाले मछुआरों के उस बड़े वर्ग के जीवन को बताता है जिस पर आमतौर पर हमारा ध्यान कम ही जाता है. साम्प्रदायिक हिंसा, आतंकी हमलों और विभाजन के उस दौर में यह उपन्यास मुंबई को नायक बनाकर उसे सलाम करता है.
मूल रूप से मध्यप्रदेश हरदा के रहने वाले पत्रकार और लेखक सारंग उपाध्याय इंदौर, भोपाल, नागपुर और औरंगाबाद में पत्रकारिता कर चुके हैं. वे नई दुनिया, दैनिक भास्कर, लोकमत, नेटवर्क 18 जैसे मीडिया समूह में सेवाएं दे चुके हैं और वर्तमान में अमर उजाला नोएडा में कार्यरत हैं.
वे सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लगातार लेखन करते रहे हैं. सिनेमा में उनकी विशेष रुचि रही है. फिल्मों पर चुनिंदा समीक्षाएं समालोचन में प्रशंसित और चर्चित रही हैं बता दें कि साहित्य में रुचि रखने वाले सारंग उपाध्याय की कहानियां हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं साक्षात्कार, वसुधा, परिकथा, हंस, नया ज्ञानोदय सहित ऑनलाइन हिंदी पत्रिकाओं समालोचन और जानकीपुल में प्रकाशित और चर्चित रही हैं.
इसके पूर्व सारंग उपाध्याय की पहली किताब “हाशिये पर दुनिया” वर्ष 2013 में प्रकाशित हुई है, जो डॉ. राममनोहर लोहिया के साथी बालकृष्ण गुप्त के आलेखों पर केंद्रित थी. कहानियों के लिए उन्हें साल 2018 में मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन का पुनर्नवा पुरस्कार मिला है.