आज गैजेट्स, मोबाइल और टेक्नॉलॉजी ने लाइफ को इफेक्ट किया है. स्मार्टफोन की लत दिलो-दिमाग पर इस कदर हावी है कि हाल ही में इस पर देश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी रिसर्च भी की है कि आखिर इंडियंस स्टूडेंट दिन में अपने फोन को कितनी बार देखते हैं. यह रिसर्च बताती है कि भारतीय छात्र दिन में तकरीबन 150 बार अपने मोबाइल को चेक करते हैं.
क्या कहती है रिसर्च
एएमयू की ये रिसर्च इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च, नई दिल्ली के सहयोग से की गई. रिसर्च के मुताबिक कोई जानकारी छूट ना जाए इसलिए इंडियन स्टूडेंट दिन में 150 वक्त अपने स्मार्टफोन को चेक करते हैं.
यही नहीं कई और स्टडी भी बताती है कि स्मार्टफोन 24 घंटे की लत बन गई है. लोग कॉलिंग से ज्यादा सोशल नेटवर्किंग साइट्स, गूगल सर्च और यूट्यूब पर वीडियोज देखने के लिए स्मार्टफोन का यूज करते हैं.
एएमयू की रिसर्च बताती है कि इंडियन स्टूडेंट 4 से 5 घंटे स्मार्टफोन पर बिता रहे हैं.
अपनी तरह की नई रिसर्च
-एमयू और इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस की यह रिसर्च इंडिया में यूनिक रिसर्च है. रिसर्च में स्मार्टफोन की उपयोगिता और दो साल में स्मार्टफोन यूजर्स विहेबियर को एनालाइज किया गया है.
-रिसर्च के मुताबिक सिर्फ 26 फीसदी लोग ही कॉलिंग के लिए स्मार्टफोन यूज करते हैं.
-सर्वे में 14 फीसदी लोग एक्सेप्ट करते हैं कि वो दिन में 3 घंटे या इससे कम स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. जबकि 63 फीसदी लोग दिन में 4 से 7 घंटे तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं.
-23 फीसदी लोग 8 घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं.
-यह शोध साफ तौर पर इस बात की तरफ संकेत करता है कि इंडिया में स्मार्टफोन की लत बढ़ रही है. इस शोध में यूनिवर्सिटी के छात्रों को शामिल किया गया था. इसमें 20 सेंट्रल यूनिवर्सिटी के 200 से ज्यादा छात्र शामिल थे.
क्या होते हैं स्मार्टफोन के इफेक्ट?
रिसर्च को आधार मानें तो एक बात स्पष्ट होती है कि स्मार्टफोन ही नहीं बल्कि कई तरह के गैजेट्स की हमारी लाइफ में इस कदर घुसपैठ हो चुकी है कि इसका असर फैमिली लाइफ पर होने लगा है और इससे छुटकारा दूर तक नहीं दिखाई देता. डिवाइस के जाल में लोग मैकेनिकल होते जा रहे हैं और वे मोबाइल को नहीं गैजेट्स उन्हें ऑपरेट कर रहे हैं. हर छोटी- छोटी बातों के लिए लोग सेलफोन पर निर्भर हैं.
स्मार्टफोन और गैजेट्स का हेल्थ पर असर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिसर्च प्रोजेक्ट के डायरेक्टर डॉ मोहम्मद नावेद खान बताते हैं कि स्मार्टफोन को इतनी बार चेक करने का यह डेटा हैरान करता है. यह हेल्थ के लिए भी सीरियस मामला है. बहुत से रिसर्चर ने स्मार्टफोन के यूज की लिमिट को दिन में दो घंटे बताया है.
यही नहीं मोबाइल रिश्तों को पुख्ता नहीं कर रहा है जैसा कि कुछ लोगों का कहना है यह रिश्तों पर आरी ही चला रहा है. आज यही आपका बेस्ट फ्रैंड है इसके बगैर आपकी जिंदगी ही आपके लिए अर्थहीन है.
कैसे बचें इस नशे से
सभी जानते हैं कि यह सोसायटी को कितना स्ट्रैस दे रहा है, हैर्ल्थ हैजर्ड है, लोगों को वर्चुअल लाइफ का एडिक्ट बना रहा है, जिंदगी से दूर ले जा रहा है- ऐसे में क्या किया जाए कि ये नुकसान कम से कम हो?
-अपने को सचेत रखें कुछ वक्त के लिए फोन स्विच आफ भी करने की आदत डालें.
-जरूरी काम करते समय मैसेज टोन को साइलेंट कर दें.
-सैलफोन के ज्यादा इस्तेमाल से ऐसा भी होता है कि कान बजने लगते हैं यानी अक्सर ही फोन की रिंगटोन सुनाई देने लगती है ये भ्रम की स्थिति होती है जिसका ट्रीटमेंट जरूरी है इसे इग्नोर न करें.
-फोन की दुनिया में इतने मसरूफ न हो जाएं कि सामने वाला आप से क्या कह रहा है आप समझ ही न पाएं इसे रिएलाइज करें वरना ये आदत आपकी छवि बिगाड़ सकती है.