भारत 26 जनवरी के मौके पर इस वर्ष अपना 73वां गणतन्त्र दिवस (73rd Republic Day) मना रहा है. इस मौके पर दिल्ली में भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा जिसमें राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे और कई प्रदेशों की झांकियां निकाली जाएगी. इसके साथ ही बीटिंग रिट्रीट समारोह (Beating Retreat Ceremony Date) भी आयोजित किया जाएगा.
देश के 73वे गणतन्त्र दिवस पर बीटिंग रिट्रीट काफी चर्चा में है क्योंकि इसमें बीटिंग रिट्रीट में किए गए कुछ बदलावों पर सवाल उठाए जा रहे हैं. ऐसे में बीटिंग रिट्रीट क्या होता है ये सवाल कई लोगों के मन में उठ रहा होगा.
बीटिंग रिट्रीट क्या है? (Beating Retreat Ceremony in Hindi)
बीटिंग रिट्रीट भारत के गणतन्त्र दिवस की समाप्ति का सूचक है. ये एक कार्यक्रम होता है जिसका आयोजन 29 जनवरी को दिल्ली के रायसीना हिल्स का विजय चौक होता है. 26 जनवरी से 29 जनवरी तक सभी महत्वपूर्ण सरकारी भवनों को रोशनी से सजाया जाता है. इसमें देश की तीनों सेनाएं हिस्सा लेती हैं. बीटिंग रिट्रीट एक तरह का संगीत कार्यक्रम है. जिसके दौरान राष्ट्रध्वज को उतारा जाता है और गणतन्त्र दिवस का औपचारिक समापन किया जाता है.
कैसे मनाया जाता है बीटिंग रिट्रीट? (How Beating Retreat Ceremony Celebrate?)
Beating Retreat भारत की तीनों सेनाओं द्वारा आयोजित एक संगीत कार्यक्रम की तरह होता है. इसमें इंडियन आर्मी, जल सेना और वायु सेना हिस्सा लेती हैं. 29 जनवरी के दिन Beating Retreat को आयोजित किया जाता है. इस दिन तीनों सेनाओं द्वारा एक साथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से इस कार्यक्रम को आरंभ किया जाता है. ये बैंड लोकप्रिय मार्चिंग धुन बजाते हैं. इनमें ड्रमर्स भी सिंगल प्रदर्शन करते हैं. जिसे ड्रमर्स कॉल कहते हैं. इसमें ट्यूबलर घण्टियों द्वारा चाइम्स बजाई जाती है.
ये पूरा दृशय मनमोहक होता है. इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है. बैंड मास्टर्स राष्ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं. तब ये सूचित किया जाता है कि गणतन्त्र दिवस का समारोह समापन पूरा हो गया है. बैंड मार्च वापस जाते समय ‘सारे जहां से अच्छा’ धुन बजाते हैं. ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज को उतार लेते हैं. इस तरह बीटिंग रिट्रीट के माध्यम से गणतन्त्र दिवस का औपचारिक समापन होता है.
इस साल नहीं सुनाई देगा ‘एबिड विथ मी’ (Abide With me Song in Beating Retreat)
इस साल का बीटिंग रिट्रीट काफी सुर्खियों मे हैं क्योंकि इस साल एक बड़ा बदलाव होने वाला है. भारत के 73वे गणतन्त्र दिवस के मौके पर सालों से ड्रमर्स द्वारा बजने वाले महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन ‘एबिड विथ मी’ को नहीं बजाया जाएगा. इसकी जगह लता मंगेशकर के लोकप्रिय देशभक्ति गीत ‘ए मेरे वतन के लोगों’ बजाया जाएगा.
भारत में बीटिंग रिट्रीट का इतिहास (History of Beating Retreat in India)
बीटिंग रिट्रीट एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है. बीटिंग रिट्रीट का मतलब पहले युद्ध का समापन होता था. दिन का अंत होते ही जब बिगुलर्स रिट्रीट की आवाज उठाते थे तो सैनिक लड़ना बंद कर देते थे और मैदान से हट जाते थे. साल 1950 से भारत गणतन्त्र दिवस मनाता आ रहा है. तब से अभी तक दो बार बीटिंग रिट्रीट को रद्द किया गया है. पहली बार साल 2001 में बीटिंग रिट्रीट को रद्द किया गया था जब गुजरात में भूकंप आया था. दूसरी बार साल 2009 में वेंकटरमण की मौत के समय. वे देश के आठवे राष्ट्रपति थे.
बीटिंग रिट्रीट का आयोजन दिल्ली में गणतन्त्र दिवस के मौके पर सिर्फ एक ही बार होता है लेकिन देश की अटारी-वाघा बॉर्डर पर रोजाना बीटिंग रिट्रीट का आयोजन किया जाता है. अटारी-वाघा बॉर्डर पर बीएसएफ़ और पाक रेंजर्स की तरफ से रोजाना दिन ढलते ही दोनों देशों के जवान अपने-अपने देश के झंडे को उतारते हैं और शक्ति प्रदर्शन करते हैं. यहाँ बीटिंग रिट्रीट दोनों देशों के मित्रतापूर्वक सम्बन्धों के लिए आयोजित की जाती है.
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