भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है. इस साल देश 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. आजादी के 7 दशक देख चुका इंडिया इस लंबी यात्रा के बहुआयामी विकास का साक्षी रहा है. 200 सालों की अंग्रेजों की गुलामी के बाद गांधी, नेहरु, पटेल, तिलक, भगतसिंह सहित लाखों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर देश को आजादी दिलाई.
भारत की आजादी की लड़ाई के दौरान दुनिया भर में भी उथल-पुथल देखी गई. प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध हुआ, रूस और फ्रांस की क्रांति हुई. खुद भारत का भौगोलिक बंटवारा हुआ जो दुनिया के इतिहास में सबसे बडी त्रासदी रही.
भारत में करीब 5 लाख और पाकिस्तान में 2 लाख लोग मारे गये. विश्व में इसी उथल-पुथल के बीच जहां इंडिया अंग्रेजों से आजाद हुआ वैसे ही दुनिया के नक्शे पर तीन और मुल्क आजाद हुए. भारत को स्वतंत्रता के बाद जब देश का विभाजन हुआ तो बरमा भी इंडिया का हिस्सा था.
खास बात यह है कि 1947 के बाद भी वह अंग्रेजों के अधीन रहा. हालांकि बाद में 4 जनवरी 1948 को उसे आजादी मिली. इसी तरह साइलोन (अब श्रीलंका) पर भी ब्रिटिश इंडिया का कब्जा था और 4 फरवरी 1948 को उसे भी अंग्रेजों ने आजादी दी. आपको बता दें कि भारत की आजादी के वक्त नेपाल, भूटान और मालदीव्स वैसे ही थे. उन पर कोई असर नहीं पड़ा.
भारत को क्यों मिली 15 अगस्त को आजादी
भारत की आजादी से पहले दुनिया के अलग-अलग देश भी उपनिवेशी शासन से आजाद हुए, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि भारत को भी आजादी 15 अगस्त को ही क्यों मिली.
दरअसल, भारत की आजादी का फैसला आखिरी वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने किया. इंडिया की स्वतंत्रता के लिए 15 अगस्त का दिन उन्होंने व्यक्तिगत रूप से तय किया था. लॉर्ड माउंटबेटन 3 जून 1947 के प्लान में ही भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 लिख दी थी.
जानकार बताते हैं कि इस दिन को वे अपने कार्यकाल के लिए इस दिन को बेहद सौभाग्यशाली मानते थे. इसके पीछे वजह भी थी क्योंकि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय ही 1945 में 15 अगस्त के ही दिन जापान की सेना ने उनकी अगुवाई में ब्रिटेन के सामने सरेंडर कर दिया था. माउंटबेटन उस समय संबद्ध सेनाओं के कमांडर थे. इस तरह वायसराय ने 14 अगस्त को पाकिस्तान को आजादी दी.
किन देशों को मिली 15 अगस्त को आजादी
जहां एक ओर भारत आजाद हो रहा था वहीं दूसरी ओर दक्षिण कोरिया भी 15 अगस्त 1945 में जापान से आजाद हो रहा था. साल 1910 से लेकर साल 1945 तक कोरियाई प्रायद्वीप जापान के कब्जे में रहा और 1945 में स्वतंत्र हो गया. वक्त भारत से दो साल पहले का था. यानी की 1945 लेकिन तारीख एक ही थी. हालांकि कोरिया 1948 तक संयुक्त था; हालांकि बाद में दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया में विभाजित कर दिया गया.
बहरीन भी हुआ 15 अगस्त को आजाद
कोरिया के साथ ही विश्व मानचित्र पर बहरीन भी आजाद हुआ. दरअसल भारत की तरह ही बहरीन भी 15 अगस्त 1971 को ब्रिटेन की गुलामी से आजाद हुआ. बता दें कि बहरीन अरब जगत का एक हिस्सा है.
बहरीन 1972 में स्वतंत्र हुआ और संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई. 1975 में बहरीन की नेशनल असेंबली भंग हुई, जो अब तक बहाल नहीं हो पाई है. 1990 में कुवैत पर इराक के आक्रमण के बाद बहरीन संयुक्त राष्ट्रसंघ का सदस्य बना.
कांगो को भी मिली आजादी
विश्व मानचित्र पर सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद जो बदलाव देखे गए वह उपनिवेशों की समाप्ति के थे. कोरिया, बहरीन के बाद कांगो भी फ्रांस की गुलामी से भी 15 अगस्त 1960 को आजाद हुआ. दरअसल, कांगो 80 साल तक फ्रेंच के शासन के अधीन रहा.
लोकतान्त्रिक गणराज्य अफ्रीका महाद्वीप के मध्य में स्थित कांगो क्षेत्रफल के अनुसार विश्व का 11वां सबसे बड़ा देश है. जैसा भारत में अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ा वैसे ही यहां पर फ्रांसीसी भाषा का असर पड़ा यह आज भी फ्रेंच बोलने वाला सबसे बड़ी आबादी वाला देश है.
[…] […]