संसद दो सदनों द्वारा मिलकर बनती है. राज्यसभा और लोकसभा. राज्यसभा को अपर हाउस और लोकसभा को लोवर हाउस कहा जाता है. संसद में कानून बनाने और उस पर बहस करने का काम होता है. देश के लिए यदि कोई कानून बनाना है तो उसे संसद के दोनों सदनों में पेश करना होता है. पूरी सहमति के बाद ही संसद द्वारा कोई कानून बनाया जाता है. बात राज्य सभा की करें तो कोई भी बिल या कानून राज्यसभा में पेश हुए बिना या पास हुए बिना पास नहीं हो सकता. उसे बनाने के लिए राज्यसभा में पेश करना जरूरी है. संसद में जितनी महत्वपूर्ण राज्यसभा है उतने ही महत्वपूर्ण राज्यसभा के सदस्य यानि राज्यसभा सांसद है.
देश में कितने राज्यसभा सांसद हैं? (Number of Rajyasabha Members in Parliament)
संविधान के राज्यसभा के अधिकतम सदस्यों की संख्या 250 निर्धारित की गई है. (Rajyasabha me kitne sadasya hote hai) इनमें से 238 सदस्य राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं. वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य हैं जिनमें से 229 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, 4 संघ राज्यों का और 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य हैं.
राज्यसभा सदस्य का चुनाव कैसे होता है? (Rajyasabha members election process)
राज्यसभा सदस्यों का चुनाव सीधे तौर पर नहीं होता. (Rajyasabha Chunav kaise hote hai?) यानि की आप इन्हें सीधे वोटिंग के जरिये नहीं चुनते हैं. इनका चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत के द्वारा होता है. राज्यसभा सदस्यों के चुनाव के लिए वोट देने का अधिकार विधायकों के पास होता है जिन्हें आप एमएलए कहते हैं. किसी राज्य के एमएलए ही उस राज्य के सांसद को चुन सकते हैं और उसे राज्यसभा में अपना प्रतिनिधि बनाकर भेज सकते हैं.
राज्यसभा सांसद का कार्यकाल 6 साल का होता है और हर 2 साल में एक तिहाई सांसदों के चुनाव कराये जाते हैं ताकि राज्यसभा में सांसद बने रहे. हर दो साल में राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य रिटायर हो जाते हैं. इसके अलावा राज्यसभा को भंग नहीं किया जा सकता. लोकसभा भंग हो सकती है. लेकिन राज्यसभा नहीं.
सांसद बनने के लिए योग्यता (Rajyasabha Members eligibility)
राज्यसभा सांसद के लिए दी गई योग्यताएं निर्धारित की गई हैं।
– वह भारत का नागरिक होना चाहिए
– उसकी आयु कम से कम 30 साल होना चाहिए.
– वह देश का पंजीकृत मतदाता होना चाहिए.
– उसके पास लाभ का पद नहीं होना चाहिए. ( संसद द्वारा तय कोई पद या मंत्री पद को छोड़कर)
– मानसिक रूप से स्वस्थ्य होना चाहिए. दिवालिया नहीं होना चाहिए.
– चुनावी अपराध के तहत दोषी करार न दिया गया हो.
राज्यसभा सांसद की सैलरी (Rajyasabha Member Salary and allowance)
राज्यसभा सांसद के लिए सैलरी देने का प्रावधान संविधान में किया गया है. साल 2010 में किए गए संशोधन के मुताबिक संसद के सदस्यों को वेतन के रूप में 50,000 रुपये प्रतिमाह दिये जाते हैं. इसके अलावा निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 45,000 रुपये प्रतिमाह, दैनिक भत्ता 2000 रुपये, कार्यालय भत्ता 45,000 रुपये प्रतिमाह है.
किस राज्य में राज्यसभा की कितनी सीट हैं? (State wise seat of rajyasabha members)
हर राज्य में राज्यसभा सांसदों की संख्या एक सी नहीं है. राज्यसभा सीटों का बटवारा वहाँ की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है. जहां ज्यादा जनसंख्या होगी उस राज्य में ज्यादा राज्यसभा के सांसद होंगे. सांसद चुनने के लिए विधायक वोट देते हैं. विधायक का वोट एक ही बार गिना जाता है ऐसे में वो हर सीट के लिए वोट नहीं दे सकता. लेकिन अपनी वरीयता लिख सकता है. जैसे की उत्तरप्रदेश में 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हुए और प्रदेश में कुल विधायक हैं 403. तो हर विधायक अपनी वरीयता के हिसाब से 10 सीटों के सांसदों की वरीयता को बैलेट पेपर पर लिखकर सबमिट करेगा. अब उस सांसद को जीतने के लिए कितने विधायक के वोट चाहिए. इसके लिए एक फॉर्मूला होता है. जो इस प्रकार होता है. [403/(10+10]+1=37 इस तरह एक सांसद बनने के लिए उसे पहली वरीयता वाले 37 वोट चाहिए. अगर उसे 37 वोट मिल जाते हैं तो वो सांसद बन जाता है.
उत्तर प्रदेश-31, महाराष्ट्र-19, तमिलनाडु-18, पश्चिम बंगाल-16, बिहार-16, कर्नाटक-12, मध्यप्रदेश-11, आंध्रप्रदेश- 11, गुजरात-11, ओड़ीशा-10, राजस्थान-10, केरल-9, पंजाब-7, तेलंगाना-7, झारखंड-6, हरियाणा-5, छत्तीसगढ़-5, जम्मू कश्मीर- 4, हिमाचल प्रदेश-3, उत्तराखंड-3, दिल्ली-3, असम, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में 1 सीट है.
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