ज़िंदगी के भूत, भविष्य व वर्तमान सभी को ग्रहों की चाल कुछ हद तक प्रभावित करती है. ज्योतिष के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के जीवन में क्या होने वाला है ये पता करना हो तो वे कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल देखते हैं. ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह हैं जिनमें से एक प्रमुख ग्रह राहु है. राहु का खगोलीय दृष्टि से कोई महत्व नहीं है लेकिन ज्योतिष दृष्टि से काफी महत्व है.
राहु ग्रह
राहु ग्रह को ज्योतिष में अशुभ ग्रह का दर्जा दिया गया है. ये जिनकी भी कुंडली में आ जाता है उनकी ज़िंदगी में काफी अशुभ घटनाएं होती है और उन्हें मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
राहु का महत्व
राहु एक क्रूर ग्रह है और ये काफी क्रूर फल ही आपको देता है. ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएं का कारक कहा गया है. राहु जिस भी ग्रह के साथ कुंडली में बैठे वो उसके साथ नकारात्मक परिणाम आपको देता है. ज्योतिष के अनुसार राहु की उच्च राशि मिथुन है और निम्न राशि धनु है.
राहु का प्रभाव
यदि किसी व्यक्ति के लग्न भाव में राहु हो तो वो जातक सुंदर और आकर्षक होता है. ऐसा जातक साहसिक कार्यों से पीछे नहीं हटता, ज़िंदगी में जोखिम लेता रहता है. ऐसा जातक समाज में बहुत नाम कमाता है लेकिन उसके वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल बनी रहती है. राहु एक ओर कुछ राशियों को अच्छे परिणाम देता है तो कुछ को बुरे परिणाम भी देता है. राहु के प्रभाव से जातक के अंदर कपट व धोखाधड़ी की भावना जागृत होती है. साथ ही जातक मांस-मदिरा का सेवन करने लगता है.
कुंडली के 12 भावों में राहु का फल
कुंडली के पहले भाव में राहु का फल : लग्न भाव में राहु के रहने से जातक पराक्रमी और अभिमानी हो जाता है. ऐसे व्यक्ति का रुझान शिक्षा की ओर कम रहता है. इन्हें यश जल्दी मिलता है. मस्तिष्क रोगी होने का खतरा रहता है. ये नीच कर्म करने वाले वासना में लिप्त व्यक्ति होते हैं.
कुंडली के दूसरे भाव में राहु का फल : इसके कारण व्यक्ति का चिड़चिड़ा स्वभाव होता है. उसके पारिवारिक जीवन में टेंशन लगी रहती है. जातक को दूसरे देश मे जाकर धन अर्जन करना पड़ता है. अपने परिवार के प्रति ये काफी कठोर होते हैं. किसी शस्त्र के आघात से इनकी मृत्यु होने का खतरा रहता है.
कुंडली के तीसरे भाव में राहु का फल : तीसरे भाव में राहु के होने से जातक सुंदर, दृढ़ शरीर वाला सामर्थ्यवान व्यक्ति होता है. इनकी जान-पहचान प्रभावशाली लोगों से होती है. ऐसे जातक पुलिस या सेना में सफल होते हैं.
कुंडली के चौथे भाव में राहु का फल : चौथे भाव में राहु व्यक्ति को कपटी हृदय वाला बनाता है. इनका व्यवहार भी अच्छा नहीं होता है. ये जातक धोखा देने और जूठ बोलने में माहिर होते हैं. इनकी माता दीर्घायु होती हैं. ये राजनीति में खूब तरक्की करते हैं.
कुंडली के पांचवे भाव में राहु का फल : पांचवे भाव में राहु के होने से जातक क्रोधी एवं हृदय रोगी होता है. इन्हें अपनी संतानों का दुख सहन करना होता है. लेकिन ये पौराणिक ग्रन्थों के ज्ञाता होते हैं और चिंतक या दार्शनिक बनते हैं. ये जातक प्यार में धोखा खाते हैं, गृह कलेश भी इनकी चिंता का कारण होता है.
कुंडली के छठे भाव में राहु का फल : छठे भाव में राहु शुभ फल देता है. ये शत्रुओं का नाश कर देता है, जातक को बल, बुद्धि, पराक्रम देता है. ये दीर्घायु होते हैं और अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाले होते हैं. इन्हें अपने जीवन काल में मुकदमों का सामना करना पड़ता है.
कुंडली के सातवे भाव में राहु का फल : कुंडली के सातवे भाव में राहु के रहने के कारण जातक दूसरी स्त्रियों के प्रति आकर्षित रहता है. इस कारण उसे वैवाहिक सुख ठीक से नहीं मिल पाता. इनकी दो शादी भी हो सकती है. इनका स्वभाव उग्र होता है.
कुंडली के आठवे भाव में राहु का फल : आठवे भाव में राहु जातक को हष्ट-पुष्ट बनाता है. ऐसे जातक व्यर्थ भाषण करने वाले, क्रोधी, उदर रोगी एवं कामी होते हैं. ये कवि, लेखक, क्रिकेटर या पत्रकार बनते हैं. ये व्यक्ति दीर्घायु होते हैं. इन्हें स्त्री से वसीयत में धन प्राप्त हो सकता है. इन्हें अपनी मृत्यु का ज्ञान कुछ समय पहले ही हो जाता है.
कुंडली के नौवे भाव में राहु का फल : नौवे भाव में राहु शुभ होता है. ये जातक को ऐसे गुण देता है जिनसे व्यक्ति दुनियाभर में नाम कमाता है. ये जातक विद्वान और दयालु होता है. ये यात्रा करने वाले होते हैं.
कुंडली के दसवे भाव में राहु का फल : दसवे भाव में राहु के होने से जातक राजनीति में माहिर होता है. इसके अलावा यदि ये व्यवसाय करते हैं तो वो मंद गति के साथ लाभ हीं रहता है. इन्हें राजनीति से अधिक मोह रहता है.
ग्यारहवे घर में राहु का प्रभाव : इन्हें धन की कमी नहीं होती है. ये अभिमानी होते हैं और सेवकों को साथ लेकर चलते हैं. इन्हें राजाओं की तरह मान और सम्मान मिलता है. ये जातक अपनी इंद्रियों का दमन करने वाले होते हैं.
कुंडली के बारहवे भाव में राहु का फल : इस भाव में राहु के होने से व्यक्ति जितना करता है उसे उतना ही मिलता है. उसके काम बिगड़ते और बनते रहते हैं. उसकी आंखे और पैर जख्मी हो सकते हैं. ये जातक झगड़ा करने वाले होते हैं. अपना पैतृक निवास छोड़कर दूसरी जगह रहते हैं. ये स्थिर होकर एक जगह काम नहीं करते. अगर ये ऐसा करें तो इनकी सब इच्छाए पूरी होती हैं.
राहु के उपाय
– ॐ रां राहवे नमः प्रतिदिन एक माला जपें.
– नौ रत्ती का गोमेद पंचधातु अथवा लोहे की अंगूठी में जदवा लें. शनिवार को दायें हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें.
– ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः का 108 बार जप करें.
– पक्षियों को रोजाना बाजरा खिलाएँ.
– एक नारियल और 11 बादाम को काले कपड़े में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें.
– शिवलिंग पर जलाभिषेक करें.
– तामसिक आहार व मदिरापान बिलकुल न करें.
यंत्र – राहु यंत्र
मंत्र – ओम भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
जड़ी – नागरमोथ की जड़
रत्न – गोमेद
रंग – गहरा नीला
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