ज्योतिषशास्त्र को वेदों का नेत्र कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार आपकी कुंडली में कई तरह के दोष हो सकते हैं. जैसे मांगलिक दोष, कालसर्प दोष, शनि की साढ़ेसाती और पितृदोष. अगर आपकी कुंडली में Pitra Dosh है तो उसका समाधान तुरंत कराया जाना चाहिए. इस लेख में आप जानेंगे कि पितृदोष क्या है? पितृदोष का कैसे पता लगाएँ? पितृदोष के क्या लक्षण हैं? पितृदोष का निवारण कैसे करें? पितृदोष के उपाय क्या हैं? पितृदोष निवारण मंत्र कौन सा है?
पितृदोष क्या है | What is Pitra Dosh?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति जीते जी अपने घर के बुजुर्गों का अपमान करता है, उनका दिल दुखता है उसे पितृदोष भोगना पड़ता है. ये बुजुर्ग जब शरीर छोड़ते हैं तो दुख के कारण उनकी आत्मा को कष्ट पहुंचता है. जिसके कारण पितृदोष बनता है.
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली का नवम भाव का स्थान पूर्वजों का माना जाता है. नवग्रह में सूर्य स्पष्ट रूप से पूर्वजों के प्रतीक माने जाते हैं. जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य बुरे ग्रहों के साथ विराजमान होते हैं या फिर सूर्य पर बुरे ग्रहों की दृष्टि रहती है. उस व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष होता है.
पितृदोष कैसे पता चलेगा? Pitra Dosh Symptoms
पितृदोष को पहचानने के लिए आपको ये पता होना चाहिए कि पितृदोष के क्या लक्षण हैं?
1) यदि आपके परिवार में मतभेद रहता है और हमेशा विवाद के स्थिति बनी रहती है तो ये पितदोष का लक्षण होता है.
2) आप किसी काम में कभी सफल नहीं होते या वो काम बनते-बनते रह जाता है तो ये पितृदोष का लक्षण है.
3) जिन घरों में बुरी घटनाएँ होती रहती है, मनहूसियत छाई रहती है. उस घर में पितृदोष के लक्षण होते हैं.
4) किसी व्यक्ति को बेवजह मानसिक कष्ट मिल रहा है, उसे मन की शांति नहीं मिल रही है तो ये पितृदोष का लक्षण है.
5) आपका धन जरूरत के काम में न लगकर गैर जरूरी कामों में लग रहा है तो ये पितृदोष का लक्षण है.
6) पुत्र या पुत्री के विवाह में देरी हो रही है या फिर बाधा आ रही है तो पितृदोष का लक्षण है.
पितृदोष के उपाय | Pitra dosh nivaran
पितृदोष किसी भी व्यक्ति की कुंडली में हो सकता है. यदि आपको पितृदोष के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो आपको पितृदोष के उपाय जरूर करना चाहिए. इन उपायों से आपका पितृदोष दूर हो सकता है.
1) पितृ दोष निवारण मंत्र
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृदोष निवारण (reason-of pitru dosha) मंत्र का जाप करने के लिए कहा जाता है. आप अपनी राशि के अनुसार इसका जाप कर सकते हैं.
मेष – ॐ आदित्याय नमः
वृषभ – ॐ आदिदेव नमः
मिथुन- ॐ अचला नमः
कर्क- ॐ अनिरुद्ध नमः
सिंह – ॐ ज्ञानेश्वर नमः
कन्या – ॐ धर्माध्यक्ष नमः
तुला – ॐ सत्यवत नमः
वृश्चिक – ॐ पार्थसारथी नमः
धनु – ॐ बर्धमानय नमः
मकर – ॐ अक्षरा नमः
कुम्भ – ॐ सहस्त्रकाश नमः
मीन – ॐ आदिदेव नमः
2) पितृदोष निवारण उपाय
– घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों की फोटो लगाकर उस पर माला चढ़ाना चाहिए.
– पीपल के वृक्ष में दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, गंगाजल, दूध, काले तिल को अपने स्वर्गीय परिजनों को याद करते हुए अर्पित करना चाहिए.
– शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दिया लगाना चाहिए.
– आप नियमअनुसार नागस्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र, पितृ स्त्रोत, नवग्रह स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं.
इन सभी उपायों से आप पितृदोष से मुक्ति पा सकते हैं. पितृदोष में किसी भी तरह का कोई उपाय अपनाने से पहले किसी ज्योतिष को अपनी कुंडली बताएं. यदि वो कुंडली में पितृदोष बताते हैं तो आप उनके बताए उपाय अनुसार ही कार्य करें.
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