पेगासस का नाम आपने पहले कई बार अखबारों और न्यूज़ चैनल पर देखा होगा. पेगासस एक बार फिर विवादों में आया है. हाल ही में अमेरिकन अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट में बताया है कि भारत ने इज़राइली सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus Spyware in India) को खरीदा है. मोदी सरकार इसे नकार रही है लेकिन विपक्ष इसे लेकर केंद्र सरकार को जासूस और देशद्रोही बता रही है.
पेगासस के बारे में काफी कम लोग जानते हैं. पेगासस एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसके माध्यम से कई देशों के लोकतंत्र प्रभावित हुए हैं. कई देशों ने खुफिया तरीके से इसका इस्तेमाल किया है और सत्ता परिवर्तन किया है. इसलिए पेगासस को लेकर दुनियाभर में विवाद बना हुआ है.
पेगासस क्या है? (What is Pegasus Software?)
पेगासस एक स्पायवेयर सॉफ्टवेयर है जिसे इज़राइल की कंपनी NSO ने बनाया है. बताया जाता है कि इसका इस्तेमाल जासूसी करने के लिए किया जाता है. इसकी मदद से किसी भी व्यक्ति के फोन कॉल सुने जा सकते हैं, उनके मैसेज देखे जा सकते हैं. इसकी वजह से कई देशों का लोकतंत्र प्रभावित हुआ है. इसके कारण निजता के अधिकार का हनन हो रहा है. हालांकि NSO आधिकारिक रूप से पेगासस को बेच रही है और इज़राइल को इस बात को लेकर कोई आपत्ति नहीं है.
भारत में पेगासस क्यों सुर्खियों में है? (Pegasus Scandal in India)
हाल ही में अमेरिकन अखबार ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में छपी एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि साल 2017 में भारत ने दो बिलियन डॉलर से मिसाइल सिस्टम और कुछ हथियार खरीदे थे. जिसके साथ में भारत ने इज़राइल से पेगासस सॉफ्टवेयर भी खरीदा था. साल भर चली लंबी जांच के बाद अखबार ने बताया कि अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन ने भी ये सॉफ्टवेयर खरीदा था. एफ़बीआई ने घरेलू निगरानी के लिए इसकी टेस्टिंग भी की थी. लेकिन पिछले साल इसका इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया था.
इस रिपोर्ट के सामने आते ही सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि सरकार पेगासस के जरिये देश के प्रमुख लोगों की निगरानी कर रही है, उन पर नजर रख रही है. ये सीधे तौर पर निजता का हनन है. इसलिए भारत में पेगासस सुर्खियों में है.
पेगासस कैसे काम करता है? (How Pegasus Works?)
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पेगासस सिर्फ आपके मोबाइल नंबर के आधार पर ही स्मार्टफोन को हैक कर सकता है. ये आपके फोन के Encrypted Massage को पढ़ सकता है और आपके फोन कॉल को सुन सकता है. ये आपकी अनुमति के बिना आपके फोन के कैमरा और माइक को भी इस्तेमाल कर सकता है. कुलमिलाकर पेगासस का इस्तेमाल जासूसी करने के लिए किया जाता है.
पेगासस देश और सरकार को कैसे प्रभावित करता है? (How Pegasus effect democracy?)
पेगासस का उपयोग यदि किसी देश की सरकार करती है तो वो किसी पर भी नजर रख सकती है. वो व्यक्ति क्या बात कर रहा है, आगे किसी मुद्दे पर उसकी क्या प्लानिंग होगी, वो किस व्यक्ति से मिलेगा? ये सब पेगासस के जरिये आसानी से पता लगाया जा सकता है. मान लीजिये किसी देश के राष्ट्रपति या पीएम इस सॉफ्टवेयर का उपयोग चुनाव के दौरान कर रहे हैं विपक्षी पार्टी पर नजर रखने के लिए तो वो ये जान सकते हैं कि विपक्षी पार्टी क्या एजेंडा अपनाने वाली है. उनकी क्या नीति रहने वाली है. उस आधार पर वे खुद को तैयार कर सकते हैं और चुनाव में जीत हासिल कर सकते हैं.
पेगासस को लेकर कई देशों में विवाद हुआ है. आपको पता भी नहीं चलता और ये आपकी जासूसी करता रहता है. इसके द्वारा जासूसी करने का मामला फ्रांस के राष्ट्रपति एमेन्यूल मैक्रोन के साथ आया था. उनके फोन पर पेगासस वायरस के ट्रेस मिले थे जिसके कारण बाद में उन्हें अपना स्मार्टफोन बदलना पड़ा था.
पेगासस की कीमत कितनी होती है? (Price of Pegasus Software?)
पेगासस कोई आम सॉफ्टवेयर नहीं है और न ही ये आम लोगों के लिए उपलब्ध है. एनएसओ की नीतियों के मुताबिक इसे सिर्फ किसी देश की सरकार को, खुफिया एजेंसियों को दिया जाता है. इसके 51 प्रतिशत कस्टमर सरकारी खुफिया एजेंसी हैं जो निगरानी का काम करती हैं. इसकी कीमत का खुलासा कंपनी की ओर से नहीं किया गया है. इस सॉफ्टवेयर को कौन खरीदता है और कितने में खरीदता है इस बात को गुप्त रखा जाता है.
पेगासस खरीदने का आरोप भारत की सरकार पर लगाया जा रहा है. लेकिन सरकार इस बात को नकार रही है. यदि सरकार ने इसे खरीदा है और ये साबित होता है तो विपक्ष इसे लेकर खूब हँगामा करने वाला है और केंद्र सरकार को बुरी तरह घेरने वाले है. इस वर्ष 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं और ये खबर केंद्र में बनी बीजेपी सरकार को नुकसान पहुंचा सकती है.
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