जैन धर्म का एक प्रमुख पर्व है पर्युषण पर्व. (Paryushan Parv) इसे जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व भी माना जाता है. जैन धर्म में ये एक महत्वपूर्ण पर्व है और सभी जैन धर्म के अनुयायी इसे पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. पर्युषण पर्व जैन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें काफी अच्छी बाते छुपी हुई हैं.
पर्युषण पर्व क्या है? (Paryushan Parv meaning)
जैन धर्म की दो प्रमुख उपजाति श्वेताम्बर और दिगम्बर है. दोनों के लिए पर्युषण एक महापर्व है. पर्युषण पर्व को ‘आत्मा की शुद्धि का पर्व’ माना जाता है. ये 8 से 10 दिनों तक चलता है जिसमें आत्मा की शुद्धि के लिए जैन धर्म के अनुयायी व्रत रखते हैं और आत्मा की शुद्धि के प्रयास करते हैं.
पर्युषण पर्व कब मनाया जाता है? (When Paryushan Parv Celebrated?)
पर्युषण पर्व वैसे तो साल में तीन बार मनाया जाता है. लेकिन खासतौर पर पर्युषण पर्व को भाद्रपद के माह में मनाया जाता है. ये वही माह है जिसमें रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेशोत्सव जैसे हिन्दू धर्म के त्योहार मनाए जाते हैं.
पर्युषण पर्व की शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी से होती है. इस दिन से श्वेताम्बर संप्रदाय के लोग 8 दिनों तक व्रत रखते हैं और दिगम्बर संप्रदाय के लोग 10 दिनों तक व्रत रखते हैं. इस तरह यह अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त हो जाता है.
पर्युषण पर्व क्यों मनाया जाता है? (Why is Paryushan Parv Celebrated?)
पर्युषण पर्व को आत्मा की शुद्धि का पर्व कहा गया है. जैन धर्म का आदर्श वाक्य ‘अहिंसा परमों धर्म’ है. लेकिन जाने-अनजाने में हमसे कई प्रकार की हिंसा हो जाती है. इसके अलावा हमारा मन भी कई प्रकार की कुंठाओं से ग्रस्त होता है. इन सभी की क्षमा के लिए ही ये पर्व मनाया जाता है.
पर्युषण पर्व में जैन धर्म के अनुयायी 8 और 10 दिनों तक व्रत रखते हैं. इसके साथ ही ये अपने किए गए पापों के लिए क्षमा भी मांगते हैं.
साल भर हमने जितने भी पापकर्म किए हो. जाने-अनजाने में किसी व्यक्ति को दुख पहुंचाया हो. तो इन सभी बातों के लिए क्षमा याचना करने के लिए ही पर्युषण पर्व मनाया जाता है. इस पर्व में क्षमा मांगने के साथ ही इस बात का ध्यान भी रखा जाता है कि आगे से उनसे ये गलती न हो.
पर्युषण पर्व कैसे मनाया जाता है?(How to Celebrate Paryushan Parv?)
जैन धर्म में दो उपजाति श्वेताम्बर और दिगम्बर है. दोनों अलग-अलग दिनों तक पर्युषण पर्व के लिए व्रत रखते हैं. श्वेताम्बर 8 दिनों तक व्रत रखते हैं तो दिगम्बर 10 दिनों तक व्रत रखते हैं. श्वेताम्बर द्वारा किए गए 8 दिन के व्रत को ‘अष्टान्हिका’ (8 Days Paryushan Called) कहते हैं.
दिगम्बर जैन में इस पर्व को ‘दशलक्षण पर्व’ (10 Days Paryushan Called) कहा जाता है. ये 10 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है. इस दिन को जैन धर्म में ‘संवत्सरी’ कहा जाता है.
जैन धर्म में इस पर्व को बड़े ही शांतिप्रिय तरीके से मनाया जाता है. जैन धर्म के अनुयायी 8 से 10 दिनों तक व्रत रखते हैं. इस दौरान वे भगवान के भजन-कीर्तन एवं पाठ करते हैं. ये पर्व सत्य से मनुष्य की पहचान कराता है. मनुष्य को सत्य स्वीकारने की शक्ति देता है. मनुष्य को क्षमा करना एवम क्षमा मांगना सीखाता है.
दशलक्षण धर्म क्या है? (Daslakshan Dharma Meaning)
पर्युषण पर्व पर दिगम्बर जैन द्वारा 10 दिनों का व्रत रखा जाता है जिसमें दशलक्षण धर्म को धारण किया जाता है. जैन ग्रंथ तत्वार्थ सूत्र में इन 10 धर्मों का उल्लेख है.
1) उत्तम क्षमा 2) उत्तम मार्दव 3) उत्तम आर्जव 4) उत्तम सत्य 5) उत्तम शौच 6) उत्तम संयम 7) उत्तम तप 8) उत्तम त्याग 9) उत्तम आकिंचन्य 10) उत्तम ब्रह्मचर्य
पर्युषण पर्व दीपावली की तरह उल्लास का पर्व नहीं है लेकिन फिर भी इसका प्रभाव पूरे समाज पर दिखाई देता है. इसमें मंदिर, उपाश्रय में अधिकतम समय तक रहना जरूरी माना जाता है. इसमें बिना कुछ खाए, बिना कुछ पीए लोग रहते हैन जो हजारों लोगों की सराहना प्राप्त करते हैं. भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, जर्मनी में भी इसे मनाया जाता है.
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