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क्या देश कोरोना की तीसरी लहर की ओर बढ़ रहा है? (Image: Wikipedia)
क्या देश कोरोना की तीसरी लहर की ओर बढ़ रहा है? (Image: Wikipedia)

देखते-देखते ही देश में कोरोना के (omicron cases in india) ओमिक्रॉन वैरिएंट के से संक्रमित लोगों की संख्या 21 हो चुकी है. संभव है आंकड़ा और तेजी से बढ़े. (omicron virus news) पहले कर्नाटक में 2 व्यक्तियों के बाद गुजरात 1,  महाराष्ट्र में 7 और बाद में राजस्थान 9 और अब दिल्ली में 1 मामला सामने आने के बाद, कोरोना की तीसरी लहर के संकेत सामने दिखाई पड़ रहे हैं.

 

खास बात यह है कि ओमिक्रॉन को छोड़ दिया जाए तो वैसे भी देश में सामान्य कोरोना के मामलों की संख्या कम नहीं हुई है. महाराष्ट्र के ठाणे से सटे डोंबिवली में दो वैैैैैक्सीन का डोज ले चुके 62 बुजुर्गों का कोविड पॉजिटिव निकलना और इधर 6 दिसंबर को ही ताजा मामले में कर्नाटक के चिकमंगलुरु में  सरकारी स्कूल के 59 छात्र, 10 दूसरे कर्मचारियों का कोविड पॉजिटिव निकलने के साथ ही तेलंगाना में 43 छात्रों का कोविड पॉजिटिव निकलना एक भयावह त्रासदी की ओर इशारा कर रहा है. 

सवाल यह है कि क्या यह तीसरी लहर की आशंका है? क्या वाकई कोरोना (Corona virus third wave in India) की तीसरी लहर आ रही है? यदि कोरोना की  तीसरी लहर आ रही है तो क्या इसे रोका जा सकता है? क्या आसन्न खतरा, जिसे हमें पहचानते हुए अब पूरे 2 साल हो रहे हैं, उसे स्वयं पर मंडराने से पहले रोका नहीं जा सकता? 

दरअसल, तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर जितना अलर्ट और सख्ती, पाबंदियां देश के अंदर लगाई जा रही है उसे देखते हुए सरकार की पीठ थपथपाई जा सकती है, लेकिन क्या सामने बैठे खतरे को देखते हुए सरकार से ये उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि आखिर कब वह बाहर से आने वाले यात्रियों को लेकर सख्त होगी?

आखिर अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर पाबंदी क्यों नहीं लगाई जा रही? जिस तरह से ब्रिटेन से लेकर इजराइल और अन्य देशों ने अफ्रीका से आने वाली उड़ानों को बंद कर दिया है वैसी सख्ती हमारे एयरपोर्ट्स पर क्यों नहीं दिख रही? माना जा सकता है कि एयरपोर्ट और उड़ानों को शुरू करने के लिए सरकार पर जनता का जबर्दस्त दबाव है लेकिन क्या यह दबाव देश में ही रह रहे लाखों करोड़ों लोगों की जान से बढ़कर है? यह अच्छी बात है कि सरकार ने 15 दिसंबर से शुरू होने जा रही अंतर्राष्ट्रीय कमर्शियल उड़ानों के परिचालन को रोक दिया है. लेकिन क्या यही मुस्तैैैदी सरकार को पैसेंजर उड़ानों के साथ नहीं लगानी चाहिए?

या यह कहा जाए कि  आग लगने पर ही हम कुआं खोदने की बाट जोह रहे हैं. क्या सरकार बाहर से मुसीबत बुलाकर उसे अंदर इतना बड़ा बना देने के इंतजार में है जिससे वही हाल हो जो इस साल की शुरुआत में दूसरी लहर के रूप में सामने आए? 

दरअसल, पूरे देश कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और ओमिक्रॉन वैरिएंट के तेजी से फैलते मामलों के बीच, मास्क लगाने, टीकाकरण बढ़ाने, ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था और अस्पतालों को अलर्ट माेेड पर रखने और स्कूलों 50 फीसद क्षमता के साथ कक्षाओं का संचालन करने जैसी पाबंदियां खबरों में दिख रही है, जो सराहनीय है, लेकिन हवाई अड्डों पर वैसी सख्ती क्यों नहीं है जहां से संक्रमित व्यक्ति देश के भीतर दाखिल होता है. क्या सरकार वही गलती नहीं दोहरा रही जो उसने दो साल पहले की थी. 

जाहिर है, कोरोना के शुरुआती समय में यानी की 2019 के अंत और 2020 की शुरुआत में भी सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने में देरी की थी, जिसका नतीजा देश में कोरोना फैलने की शुरुआत था. विपक्ष ही नहीं बल्कि एक्सपर्ट भी इस बात की दुहाई देते हुए थक गए थे कि सरकार को ना केवल अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाना था बल्कि एयरपोर्ट पर संक्रमित देशों से आ रहे यात्रियों को कम से कम 20 दिन का क्वारंटीन पीरियड एयरपोर्ट या किसी खास आइसोलेशन वाली जगह पर काटने की व्यवस्था करनी थी, लेकिन जब तक यह हो पाता केरल से लेकर नोएडा तक कोराना के मामले तेजी से फैलने लगे. नतीजा लॉकडाउन और दूसरी भयावह त्रासदियां थीं. 

अब चूंकि देश कोरोना की दूसरी लहर देख चुका है और भीषण आपदा से गुजरा है ऐसे में कोरोना के इस नए वैरिएंट से बचाव की तैयारी सरकार को पहले ही करनी चाहिए थी.

देखा जाए तो  25 नवंबर से लेकर अब तक यानी की 5 दिसंबर तक समय देखा जाए तो ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर पूरी दुनिया में हाहाकार और अलर्ट होने की खबरें सामने आने लगी थी. भारत में भी इसका हल्ला था, लेकिन सरकार की ओर से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों, एयरपोर्ट पर सख्त पाबंदी और बाहर से आने वाले खासतौर पर दक्षिण अफ्रीका से आने वाले यात्रियों को लेकर एक गाइडलाइन और अलग व्यवस्था करने की आवश्यकता थी, यदि यह व्यवस्था ठीक तरह से होती तो शायद ओमिक्रॉन के देश में 21 मरीज ना होते.

वर्तमान हालात को देखते हुए इस बात में कोई दो राय नहीं कि ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो.

ओमिक्रॉन को लेकर कई बातें अभी तक सामने नहीं आईं हैं और इस पर कई तरह की रिसर्च होना बाकी है लेकिन जिस महामारी के बारे में हम ठीक से जानते नहीं हैं उसके प्रति जरा सी लापरवाही हमें कोरोना की तीसरी लहर की ओर धकेल सकती है.

दरअसल, कई मीडिया रिपोर्ट्स और भारत में आईसीएमआर तक यह चेताते रहे हैं कि देश को तीसरी लहर से बचने की तैयारी करनी चाहिए. देखा जाए तो तीसरी लहर कोई आसमान से नहीं आएगी वह हम ही लापरवाहियों के साथ लेकर आएंगे जो ओमिक्रॉन वाले केसेस में दिखाई दे रहा है.

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक दिग्गज चिकित्सिक और मेदांता हॉस्पिटल के प्रमुख डॉ. नरेश त्रेहान कहते हैं कि संभव हो कि दिल्ली में मामला आने के बाद हमें अलर्ट होने की जरूरत है क्योंकि लगातार बढ़ते मामले तीसरी लहर की ओर इशारा कर रहे हैं.

हालांकि डॉ. त्रेहन कहते हैं कि कुछ सावधानियां रखकर तीसरी लहर से बचा जा सकता है लेकिन फिर भी अलर्ट होने की जरूरत है.

बहरहाल, सवाल यह उठता है कि खुले बाजारों, सैकड़ों यात्रियों को लेकर लगातार भाग रही ट्रेनों और खुले हुए दफ्तरों के बीच ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को सरकार क्या ऐसी ही पाबंदियों से रोकेगी? और सरकारी पाबंदियां क्या होती है और कैसे काम करती है यह तो सबको पता है, ऐसे में क्या जरूरत नहीं है कि उस दरवाजे को ही पूरी तरह से बंद किया जाए जहां से संक्रमण प्रवेश कर रहा है?

यह तो शुक्र है कि कोरोना को लेकर पूरी दुनिया ने बीते दो सालों में खासी जानकारी जुटा ली है, लेकिन लगातार म्यूटेट हो रहा वायरस कब धोखा दे दे कहा नहीं जा सकता.

उम्मीद है सरकार इस बार पूरी मुस्तैद होगी.

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