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दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा में छिपा मप्र का सियासी यूटर्न

Digvijay singh narmada yatra. (Image Source: Face book Page ).
Digvijay singh narmada yatra. (Image Source: Face book Page ).
दिग्विजय सिंह 1998 से लेकर 2003 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंंत्री रहे. वे दो बार लोकसभा चुनाव भी जीत चुके हैं. (फोटो : दिग्विजह सिंह के फेसबुक पेज से साभार)
दिग्विजय सिंह 1998 से लेकर 2003 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंंत्री रहे. वे दो बार लोकसभा चुनाव भी जीत चुके हैं. (फोटो : दिग्विजय सिंह के फेसबुक पेज से साभार)

गुजरात चुनाव के बाद अब मध्य प्रदेश में भाजपा की असली परीक्षा होने जा रही है. मप्र में 2018 में चुनाव हैैै. मंदसौर गोली कांड से लेकर व्यापमं घोटाले जैसे मुद्दे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए मुसीबत बनें हुए हैं. फिलहाल प्रदेश की राजनीति इन दिनों नर्मदा के इर्दगिर्द चक्कर लगा रही है. पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा किनारे की यात्रा की और अब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पैदल नर्मदा यात्रा पर निकल पड़े हैं. राजनीति से अवकाश लेकर 6 महीने की नर्मदा यात्रा पर निकले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह इसे धार्मिक यात्रा बता रहे हैं लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थ से कोई भी इनकार नहीं कर सकता.

अपने गुरु द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का आशीर्वाद लेकर दिग्गी राजा ने विजयादशमी के दिन अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ 3,300 किलोमीटर लंबी और लगभग 6 माह तक चलने वाली नर्मदा परिक्रमा प्रारंभ की है. इस यात्रा में उनके बेटे जयवर्धन सिंह, भाई लक्ष्मण सिंह व उनकी पत्नी अमृता राय भी मौजूद हैं.

दूसरों से बहुत अलग हैं दिग्विजय
दिग्विजय सिंह को अक्सर मुस्लिमों के पक्ष में खुलकर बोलने के लिए जाना जाता है. यहां तक कि कई बार उनके बयान उनकी पार्टी के लिए ही फजीहत का कारण बन चुके हैं. बावजूद इसके कांग्रेस में उनका कद कभी कम नहीं हुआ. उन्हें दूरदृदृष्टि वाला राजनेता माना जाता है. अर्जुन सिंह के स्टाइल में राजनीति करने वाले दिग्गी राजा अपने लोगों की मदद आउट ऑफ द वे जाकर भी करने के लिए विख्यात हैं. यही कारण है कि मध्य प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में उनकी आज भी जबरदस्त पकड़ है. 

दिग्विजय सिंह नियमित रूप से हिंदू कर्मकांडों का पालन करते हैं. जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद के परम शिष्यों में से एक हैं. वे स्नान, ध्यान व पूजा पाठ किये बगैर नाश्ता तक नहीं करते. (फोटो : दिग्विजह सिंह के फेसबुक पेज से साभार)
दिग्विजय सिंह नियमित रूप से हिंदू कर्मकांडों का पालन करते हैं. जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद के परम शिष्यों में से एक हैं. वे स्नान, ध्यान व पूजा पाठ किये बगैर नाश्ता तक नहीं करते. (फोटो : दिग्विजय सिंह के फेसबुक पेज से साभार)

मुस्लिम मुद्दों पर अक्सर अपनी आवाज बुलंद करने वाले दिग्विजय सिंह के बारे में यह बात बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि वे किसी भी अन्य आम हिंदू जैसा ही नियमित रूप से हिंदू कर्मकांडों का पालन करते हैं. जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद के परम शिष्यों में से एक दिग्विजय सिंह स्नान, ध्यान व पूजा पाठ किये बगैर नाश्ता तक नहीं करते. राघवगढ़ के राजमहल से दिल्ली के सत्ता गलियारों तक अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले दिग्गी राजा के बारे में कहा जाता है कि जब वे हाशिए पर होते हैं, तब भी बहुत कुछ करने की क्षमता रखते हैं. राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी दिग्विजय सिंह की नर्मदा किनारे की इस यात्रा से मध्य प्रदेश की राजनीतिक दशा व दिशा में बहुत बड़ा भूचाल जरूर आएगा.

राजनीति का चाणक्य
दिग्विजय सिंह को राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है. कहा जाता है कि दिग्विजय सिंह राजनीति नहीं करते बल्कि राजनीति का दूसरा नाम दिग्विजय सिंह है. इतिहास गवाह है कि उन्होंने कई बार हारी हुई बाजी को एन मौके पर पलट दिया है. मध्य प्रदेश कांग्रेस में यदि समर्थकों के लिहाज से देखें तो दिग्विजय सिंह को ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, सुरेश पचौरी या अन्य क्षेत्रीय क्षत्रप भी नजरअंदाज नहीं कर सकते. उन्होंने अपनी इस यात्रा को धार्मिक अवश्य घोषित किया है परंतु उनका राजनीतिक चोला उनके साथ है. परिवार का हर वह सदस्य जो सक्रिय राजनीति में है, उनके साथ चल रहा है चाहे वह उनके भाई लक्ष्मण सिंह हों, बेटे जयवर्धन सिंह या पत्नी अमृता राय.

ये है पूरा सियासी समीकरण
अपने बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्राी और कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह की इस धार्मिक यात्रा को सियासी नजरिए से देखें तो यह मध्य प्रदेश के लगभग 120 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव है. राजनीतिक गलियारे में दिग्विजय की इस यात्रा को राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर अपना कद बड़ा करने के लिए एक ‘मास्टर स्ट्रोक’ के रूप में माना जा रहा है, बावजूद इसके कि दिग्विजय सिंह ने अपनी यात्रा शुरू करने के पहले ही साफ कर दिया था कि उनकी यात्रा धार्मिक और अध्यात्मिक है, इसलिए इस दौरान वह राजनीति पर बात नहीं करेंगे.

सूबे के पूर्व सीएम की यह यात्रा कांग्रेस में जोश भरने के साथ शिवराज सरकार के लिए खतरे की घंटी बजने का संकेत दे रही है.
सूबे के पूर्व सीएम की यह यात्रा कांग्रेस में जोश भरने के साथ शिवराज सरकार के लिए खतरे की घंटी बजने का संकेत दे रही है.  (फोटो : दिग्विजय सिंह के फेसबुक पेज से साभार)

शिवराज से ज्यादा प्रभावी हैं दिग्विजय
भले ही प्रदेश की राजनीति में दिग्विजय सिंह को गुजरा हुआ वक्त और मिस्टर बंटाधार की उपाधि के साथ-साथ बीजेपी दिग्विजय की सक्रियता को अपने लिए फायदे का सौदा बताती है लेकिन हकीकत यह है कि आज भी प्रदेश के तमाम कांग्रेसी दिग्गजों की अपेक्षा पूरे प्रदेश में दिग्विजय के समर्थकों की संख्या सबसे ज्यादा है. खासकर दिग्विजय की यह नर्मदा यात्रा भाजपा खेमे और शिवराज सरकार के लिए चिंता का सबब बन गयी है. यह यात्रा कांग्रेस में जोश भरने के साथ शिवराज सरकार के लिए खतरे की घंटी बजने का संकेत दे रही है.

नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत और अभियान
70-वर्षीय दिग्विजय ने नरसिंहपुर में अपने गुरु द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का आशीर्वाद लेकर इस यात्रा की शुरुआत की. एक दिन में 15 से 20 किलोमीटर चलने का लक्ष्य रखा गया है. दिग्विजय की इस यात्रा में उनके समर्थक लगातार उनसे मिलने आ रहे हैं और वो भी यात्रा में कुछ दूर तक जुड़ जाते हैं. यात्रा के दौरान महिलाएं दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता राय से मिलती हैं और अपनी समस्याएं सुनाती हैं.

यात्रा शुरू करने के पहले ही साफ कर दिया था कि उनकी यात्रा धार्मिक और अध्यात्मिक है, इसलिए इस दौरान वह राजनीति पर बात नहीं करेंगे.
यात्रा शुरू करने के पहले ही साफ कर दिया था कि उनकी यात्रा धार्मिक और अध्यात्मिक है, इसलिए इस दौरान वह राजनीति पर बात नहीं करेंगे. (फोटो : दिग्विजह सिंह के फेसबुक पेज से साभार)

नरसिंहपुर के बरमान घाट से जय नर्मदे के नारे के साथ प्रारंभ नर्मदा यात्रा में दिग्विजय यह जायजा लेंगे कि प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के किनारों पर करोड़ों रुपये खर्च कर कैसा पौधारोपण किया है. इसके साथ ही यात्रा के दौरान दिग्विजय नर्मदा नदी में बड़े पैमाने पर होने वाले अवैध रेत खनन का साक्ष्य भी यात्रा के समापन पर रखेंगे. अब देखना होगा कि छह महीने बाद जब दिग्विजय सिंह की ये यात्रा पूरी होगी तो यह उनके कद को और कितना ऊंचा कर पाती है.

(इस लेख के विचार पूर्णत: निजी हैं. India-reviews.com इसमें उल्लेखित बातों का न तो समर्थन करता है और न ही इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी सहमति जाहिर करता है. यहां प्रकाशित होने वाले लेख और प्रकाशित व प्रसारित अन्य सामग्री से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. आप भी अपने विचार या प्रतिक्रिया हमें editorindiareviews@gmail.com पर भेज सकते हैं.)

By ब्रदीनाथ वर्मा

राजनीतिक स्तंभकार.

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