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Narak Chaturdashi 2023 : क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? जानिए इससे जुड़ी कथा और महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके यह तर्पण एवं शाम के समय दीपदान का बड़ा महत्व है.

Narak Chaturdashi 2023 : कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इस छोटी दिवाली या रूप चौदस भी कहा जाता है. यह धनतेरस के एक दिन बाद और दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2023 in Hindi) दो दिन मनाया जाएगा यानि 11 नवंबर और 12 नवंबर दोनों दिन. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके यह तर्पण एवं शाम के समय दीपदान का बड़ा महत्व है.

इस दिन स्त्रियां उबटन लगाकर अपना रूप निखरती हैं. हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का खास महत्व है कहा जाता है कि इस दिन घरों में मां लक्ष्मी का आगमन होता है. नरक चतुर्दशी मनाने के पीछे एक रोचक कथा है. तो आईए जानते हैं नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है इसका क्या महत्व है और इसके पीछे की क्या कथा है.

नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती

पौराणिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी का त्योहार भगवान कृष्ण और नरकासुर नमक राक्षस से जुड़ा हुआ है. पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में नरकासुर नामक राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि मुनियों के साथ 16 हजार एक सौ सुंदर कन्याओं को बंधक बना लिया था.

नरकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर ऋषि मुनियों ने भगवान कृष्ण के पास जाने का निर्णय लिया. नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप मिला हुआ था. इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और 16 हजार एक सौ कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त कराया.

ऐसे बनी भगवान कृष्ण की 16 हजार पत्नियां

कैद से आजाद हुई इन स्त्रियों को समाज के बहिष्कार से बचाने और मान-सम्मान दिलाने के लिए श्री कृष्ण ने इन सभी से विवाह कर लिया. नरकासुर के वध से सभी ऋषि मुनि देवता गण और पृथ्वी के वासी बहुत खुश हुए इसलिए इस दिन यह पर्व मनाया जाता है.

नरक चतुर्दशी के दिन तेल और उबटन का महत्त्व

जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, तो वध करने के बाद उन्होंने तेल और उबटन से स्नान किया था. तभी से इस दिन तेल लगाकर स्नान की ये प्रथा शुरू हुई. ऐसा माना जाता है तेल में लक्ष्मी जी का वास होता है और जल में गंगा मां का वास. तेल और ऑप्शन लगाकर स्नान करने से माता लक्ष्मी के साथ-साथ गंगा मैया का भी आशीर्वाद मिलता है.

मान्यता यह भी है कि ऐसा करने से नरक से मुक्ति मिलती है. साथ ही स्वर्ग और सौंदर्य की भी प्राप्ति होती है. इसलिए इस दिन महिलाएं उबटन से स्नान कर सोलह शृंगार करती हैं. रूप चतुर्दशी  (Narak Chaturdashi 2023) के दिन सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर सरसों या तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए. इससे सौभाग्य और सौंदर्य की प्राप्ति होती है.

 

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