मथुरा भारत का एक अति प्राचीन नगर है जिसका संबंध भगवान श्री कृष्ण के जन्म से है. (Mathura History in Hindi) यमुना के किनारे बसा ये शहर ऐतिहासिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के स्थान मिलते हैं. मथुरा में भी काशी के विश्वनाथ मंदिर की तरह मंदिर के पास में एक मस्जिद है (Mathura Masjid Case) जिसे ईदगाह कहा जाता है. इसको लेकर भी विवाद कोर्ट में चल रहा है.
मथुरा का इतिहास (History of Mathura in Hindi)
मथुरा वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली के रूप में विधमान है लेकिन मथुरा उससे भी पहले से भारत भूमि पर अस्तित्व में है. मथुरा भारत के अतिप्राचीन नगरों में गिना जाता है.
उत्खनन में प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि इस नगर को कुषाण राजवंश ने मथुरा को राजधानी के रूप में विकसित किया हो. लेकिन उससे पहले भी ये नगर 7500 वर्ष से अस्तित्व में है और धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है.
मथुरा से कई महान लोगों जैसे सूरदास, स्वामी हरिदास, स्वामी दयानन्द, गुरु स्वामी विरजानन्द, चैतन्य महाप्रभु का नाम जुड़ा है. मथुरा को श्रीकृष्ण की जन्म भूमि ही अधिकतर कहा जाता है.
मथुरा ईदगाह विवाद क्या है? (Mathura Eidgah Mosque controversy)
मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का जो मंदिर बना हुआ है उसी के पास एक मस्जिद भी बनी हुई है जिसका नाम ‘मथुरा ईदगाह’ है. मथुरा में 10.9 एकड़ भूमि श्री कृष्ण जन्मस्थान के पास है जबकि 2.5 भूमि शाही ईदगाह मस्जिद के पास है.
25 सितंबर 2020 को मथुरा की अदालत में श्रीकृष्ण विराजमान केस दायर किया गया था. उस समय सुनवाई के बाद 30 सितंबर को केस खारिज कर दिया गया था. इसके बाद 12 अक्टूबर को जिला कोर्ट में केस को दर्ज किया गया. जिला कोर्ट ने केस को स्वीकार किया और चार संस्थानों को नोटिस भेजा. इसमें श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान, श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, शाही मस्जिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड शामिल हैं.
मथुरा के कटरा केशव देव को भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है. मंदिर के ही पास शाही ईदगाह मस्जिद है जो 17वी शताब्दी में बनी थी. हिंदुओं का दावा है कि इसे मंदिर को तोड़कर बनाया गया था. वहीं मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करते हैं.
मथुरा शाही ईदगाह का इतिहास (History of Mathura Eidgah)
मथुरा शाही ईदगाह के बारे में कोई प्रामाणिक ऐतिहासिक साक्ष्य तो अभी तक सामने नहीं है लेकिन इतिहासकार की किताबों से जो इतिहास झलकता है वो क्रूर शासक औरंगजेब की क्रूर नीतियों की ओर इशारा करता है.
जदुनाथ सरकार अपनी किताब ‘History of Aurangzeb-III’ में औरंगजेब के उस आदेश के बारे में बताते हैं जिसमें औरंगजेब ने देश के प्रमुख मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था.
9 अप्रैल 1669 को औरंगजेब एक आदेश जारी करता है. जिस पर लिखा होता है कि काफिरों के सारे स्कूल और मंदिर ध्वस्त किए जाये, उनके धार्मिक क्रियाकलाप को बंद किया जाए.
वे अपनी किताब में लिखते हैं कि औरंगजेब के इस फरमान का शिकार गुजरात का सोमनाथ मंदिर, बनारस का काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा का केशव राय मंदिर बना.
मथुरा की शाही ईदगाह किसी मंदिर को तोड़कर उस पर बनाई गई है या फिर अलग से जमीन को खरीदकर या अनुदान में मिली जमीन पर बनाई गई है. इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई है और न ही इस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.
मथुरा मस्जिद केस (Mathura Masjid Case in Hindi)
मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर केस तो दर्ज हो चुका है. साथ ही मस्जिद परिसर को सील करने के लिए मथुरा अदालत में याचिका दर्ज की गई है. हिन्दू याचिकाकर्ता का मत है कि यदि परिसर को सील नहीं किया गया तो गर्भगृह और अन्य मंदिर के अवशेष क्षतिग्रस्त किए जा सकते हैं या हटाये जा सकते हैं.
कृष्ण जन्मभूमि और मस्जिद को मिलाकर कुल 13.37 एकड़ भूमि है जिसे लेकर मामला दर्ज किया गया है. इसमें 10.9 एकड़ जमीन कृष्ण जन्मस्थान के पास है और 2.5 एकड़ मस्जिद के पास है. ये मामला आगे चलकर क्या मोड लेता है ये कोर्ट का फैसला आने पर ही पता चलेगा.
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