ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह हैं और हर ग्रह आपकी ज़िंदगी पर अलग-अलग असर डालता है. मंगल उन्हीं 9 ग्रहों में से एक है. कई लोग मंगल के दोष से परेशान रहते हैं तो कई लोग मंगल के प्रभाव से खुश रहते हैं. अगर आपकी कुंडली में मंगल है तो आपको जान लेना चाहिए कि मंगल के क्या प्रभाव होते हैं? मंगल ग्रह का क्या महत्व होता है?
मंगल ग्रह
पृथ्वी के समान ही मंगल ग्रह है. वैज्ञानिकों ने यहाँ जीवन होने का भी दावा किया है. ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह को पराक्रम का कारक माना जाता है. लेकिन मंगल को एक क्रूर ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि मंगल एक ऐसा ग्रह है जो किसी के भी जीवन में अमंगल पैदा कर सकता है.
ज्योतिष के अनुसार मंगल को मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी माना जाता है. इन राशियों में ये पराक्रम व ऊर्जा का कारक होता है. मतलब इन राशियों के लिए मंगल अच्छा होता है. हालांकि इसका अच्छा होना आपकी कुंडली के भाव स्थान पर भी निर्भर करता है. मंगल जिस स्थान पर बैठेगा उसी तरह उसका प्रभाव होगा.
मांगलिक दोष कैसे बनता है?
ज्योतिष के अनुसार यदि किसी व्यक्ति कि कुंडली में मंगल कि स्थिति सही न हो तो मांगलिक दोष का निर्माण होता है. यदि किसी व्यक्ति कि कुंडली में पहले, चौथे, सातवे और बारहवे स्थान में मंगल ग्रह है तो मांगलिक दोष बन जाता है. इससे जातक के विवाह में देरी होती है. उसे ऐसी कन्या से विवाह करना होता है जिसे मांगलिक दोष हो. ऐसा न करने से वर व वधू दोनों के जीवन में परेशानियाँ आती हैं.
मंगल का प्रभाव
मंगल ग्रह का प्रभाव कुंडली में भाव के अनुसार होता है. मंगल का सबसे अधिक प्रभाव जातक के शरीर व स्वभाव पर देखने को मिलता है. मंगल यदि लग्न भाव में हो तो जातक आकर्षक और सुंदर व्यक्तित्व का धनी होता है. इसके साथ ही जातक के स्वभाव में क्रोध भी होता है. जिन जातकों कि कुंडली में मंगल बलवान होता है वे निर्णय लेने में संकोच नहीं करते. वे हमेशा ऊर्जावान रहते हैं.
अगर आप मंगल से पीड़ित हैं तो आपको काफी समस्याओं का समाधान करना पड़ सकता है. किसी व्यक्ति कि कुंडली में यदि मंगल कमजोर है तो उसे अच्छा नहीं माना जाता. ऐसी स्थिति में जातक का पारिवारिक जीवन सुखमय नहीं होता है. दुर्घटना होने कि संभावना बनी रहती है.
कुंडली के 12 भावों में मंगल का प्रभाव
कुंडली के पहले भाव में मंगल का प्रभाव : कुंडली के पहले भाव में मंगल के होने से आपका क्रोध और साहस दोनों चरम पर रहते हैं. आपका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है. लेकिन आपका पारिवारिक जीवन ठीक नहीं रह पाता. आपका दुर्घटनाओं से भी सावधान रहना पड़ता है.
कुंडली के दूसरे भाव में मंगल का प्रभाव : दूसरे घर में बैठा मंगल आपको झगड़ालू बनाता है. आपकी परिवार के साथ बिलकुल नहीं बनती. आप उनसे और दूसरों से कटुवचन बोलते हैं. आप दया नहीं करते बस स्वयं का ध्यान रखते हैं.
कुंडली के तीसरे भाव में मंगल का प्रभाव : तीसरे भाव में बैठे मंगल आपको भाई-बहन के सुख से वंचित रखता है. यात्रा करने के दौरान अक्सर दुर्घटना हो जाती है. आप नियम का पालन नहीं करते जिससे परेशानियाँ खड़ी हो जाती है.
कुंडली के चौथे भाव में मंगल का प्रभाव : चौथे भाव में बैठा मंगल आपको माँ के प्यार से वंचित रखता है. आपके ज्यादा दोस्त नहीं होते. आपको रोमांचक कार्यों में रुचि होती है और आप राजनीति में सफल होते हैं.
कुंडली के पांचवे भाव में मंगल का प्रभाव : पांचवे घर में बैठा मंगल आपको एक सरकारी अधिकारी बना सकता है. आप जीवन में किसी बात से सुखी नहीं होते हैं। आपको पेट दर्द की भी शिकायत रहती है.
कुंडली के छठे भाव में मंगल का प्रभाव : कुंडली के छठे भाव में मंगल के रहने से आप शत्रुओं पर हमेशा विजय पाते हैं. इसके अलावा आपकी रुचि राजनीति में रहती है और इसी में आप अपना भविष्य बना सकते हैं.
कुंडली के सातवे भाव में मंगल का प्रभाव : कुंडली के सातवे घर में मंगल के होने से आप अपने लाइफ पार्टनर के प्रति असंवेदनशील रहते हैं. वैवाहिक जीवन में अनबन बनी रहती है. आप बुद्धिमान होते हैं लेकिन ज्यादा सफल नहीं हो पाते. आप व्यावहारिक भी नहीं बन पाते.
कुंडली के आठवे भाव में मंगल का प्रभाव : यहाँ बैठा मंगल आपके पार्टनर की जल्दी मौत का कारण बनता है. आपको पथरी की समस्या हो सकती है. आपको दूसरों के आदेश पर चलना अच्छा लगता है.
कुंडली के नौवे भाव में मंगल का प्रभाव : नौवे भाव में मंगल होने से आप अधिकारी बन सकते हैं. आपकी सोच राज करने की होती है और आपके आगे पीछे नौकर-चाकर होते हैं. लेकिन आप अच्छे पुत्र साबित नहीं होते. दान करने में आप आगे रहते हैं.
कुंडली के दसवे भाव में मंगल का प्रभाव : दसवे भाव में मंगल के होने से आप साहसी, धनी और कठोर बनते हैं. आपको स्वयं पर घमंड होता है. आप वैज्ञानिक बन सकते हैं और देश-विदेश में नाम कमा सकते हैं.
कुंडली के ग्यारहवे भाव में मंगल का प्रभाव : ग्यारहवे भाव में बैठा मंगल आपको एक अच्छा वक्ता बनाता है. आपकी पर्सनलिटी इफेक्टिव होती है लेकिन आप नशे के आदि होते हैं. आप जीवन में खूब धन कमाते हैं और संपत्ति एकत्रित करते हैं.
कुंडली के बारहवे भाव में मंगल का प्रभाव : बारहवे भाव में बैठा मंगल आपके जीवनसाथी की शीघ्र मृत्यु का कारण बनता है. मंगल की वजह से आपको कोई न कोई रोग रहता है. आपका व्यवहार स्वार्थी होता है. आप ज्यादा सोशल नहीं होते हैं.
मंगल के उपाय
मंगल ग्रह कि शांति के लिए मंगलवार का उपवास व हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए. मंगलवार को लाल वस्त्र दान करना चाहिए. इसके अलावा आप उज्जैन के मंगलनाथ में मंगल दोष को शांत करवाने के लिए पूजा करवा सकते हैं.
यंत्र – मंगल यंत्र
मंत्र – ॐ मंगलाय नमः
रत्न – मूंगा
रंग – लाल
एकाक्षरी बीज मंत्र- ‘ॐ अं अंगारकाय नम:
तांत्रिक मंत्र- ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:
यह भी पढ़ें :
ज्योतिष में सूर्य ग्रह का महत्व और कुंडली के 12 भावों में सूर्य का महत्व
ज्योतिष में चन्द्र ग्रह का महत्व और कुंडली के 12 भावों में चन्द्र का महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व और कुंडली के 12 भावों में बुध का फल
ज्योतिष में गुरु ग्रह का महत्व और कुंडली के 12 भावों में गुरु का फल
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व और कुंडली के 12 भावों में शुक्र का फल
ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व और कुंडली के 12 भावों में शनि का महत्व
ज्योतिष में राहु ग्रह का महत्व और कुंडली के 12 भावों में राहु का महत्व
ज्योतिष में केतु ग्रह का महत्व और कुंडली के 12 भावों में केतु का महत्व