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यदि आप म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपको इस के माध्यम से लोन भी मिल सकता है. म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट की गई राशि के आधार पर आपको बैंक के साथ ही कई नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी कंपनियां) लोन ऑफर करती हैं. म्युचुअल फंड के माध्यम से आप लोन लेकर अपनी विभिन्न ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं.

Process of taking a loan

म्युचुअल फंड यूनिट के बदले बैंक या एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) से लोन लेने के लिए आपको फाइनेंसर से लोन एग्रीमेंट करना होता है और इस एग्रीमेंट के तहत आपको अपनी यूनिट को फाइनेंसर के पास गिरवी रखना होगा.

लोन एग्रीमेंट के तहत फाइनेंसर म्युचुअल फंड रजिस्ट्रार से जिस म्युचुअल फंड पर कर्ज लिया जाना है, उसकी यूनिट्स पर लिन मार्क कराते हैं. लिन मार्क का अर्थ है कि ऋण वापस नहीं किए जाने तक यूनिट्स को रिडीम नहीं किया जा सकता.

रजिस्ट्रार यूनिट को लिन मार्क करने के बाद इन्वेस्टर के साथ ही फाइनेंसर को एक पत्र भेजकर लिन किए जाने की पुष्टि करता है. बैंक या फिर एनबीएफसी म्युचुअल फंड इन्वेस्टर को एक तय समयसीमा के लिए लोन दिया जाता है, जिसकी वापिसी भी समयसीमा के भीतर की जानी आवश्यक है. 

जाने लोन की राशि 

म्युचुअल फंड यूनिट के आधार पर मिलने वाली लोन की राशि मार्जिन के आधार पर तय होती है, जो कि हमेशा ही आपके म्यूचुअल फंड यूनिट की मार्केट वैल्यू से कम होती है. इक्विटी म्युचुअल फंड का मार्जिन डेट म्युचुअल फंड से ज्यादा होने के कारण यह 40 से 50 प्रतिशत तक हो सकता है. वहीं डेट म्युचुअल फंड में मार्जिन रेंज 10 से 20 फीसदी होती है.

हालांकि म्युचुअल फंड यूनिट को गिरवी रखकर लोन लेना उन निवेशकों को ही फायदेमंद है, जो कि तीन माह या उससे कुछ अधिक समय के लिए लोन लेना चाहते हैं. इक्विटी म्युचुअल फंड पर लोन लेने वाले निवेशकों को पर्सनल लोन की तुलना में कम ब्याज देना होता है.

क्या है सेबी, आरबीआई की गाईड लाइन 

म्युचुअल फंड यूनिट को गिरवी रखकर मिलने वाले लोन को लेकर सेबी और आरबीआई ने गाईड लाइन जारी की है. इस तरह के लोन पर बैंक आपसे 10 से 18 प्रतिशत तक इंटरेस्ट वसूल सकते हैं. वहीं प्राइवेट सेक्टर के प्रमुख बैंक इक्विटी म्युचुअल फंड पर 10.50 से लेकर के 12.05 फीसदी तक इंटरेस्ट चार्ज करते हैं.

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