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लग्जरी, शानदार, खूबसूरत और बेशकीमती कारों की जब भी बात होती है तो इसमें एक नाम सबसे ज्यादा रोशन है लेम्बोर्गिनी का. इस नाम की बुलंदी आज दुनिया में महंगी कार के शौकीनों के लिए उनके अपने शौक का पर्याय बन गई है.

इटालियन वाहन निर्माता कम्पनी की शुरुआत फारुशियो लेम्बोर्गिनी द्वारा 1963 में हुई. चटक रंग,खूबसूरत लुक, शानदार डिजाइन और बेमिसाल तकनिकी के कारण आज लेम्बोर्गिनी की कारें दुनिया के हर मुल्क में पसंद की जाती है और क्लास ऐसी की लेम्बोर्गिनी के बारे में सोचने से पहले खुद को दुनिया के उन खास लोगों में शामिल करना जरूरी है जो लेम्बोर्गिनी के स्टीरिंग को थामने का सही में माद्दा रखते हो. मतलब आपका महज वीआईपी होना काफी नही है.लेम्बोर्गिनी की सवारी तो वीवीवीआईपी ही करते हैंं.

अर्श से फर्श तक कैसे पहुंची लेम्बोर्गिनी (Ferruccio lamborghini success story and net worth) 
किसे पता था रेनो दि सेंटो के अंगूर उगाने वाले किसान का लड़का फारुशियो लेम्बोर्गिनी उत्तरी इटली में खेती की मशीनों को बदलने के जस्बे के साथ फ्राटेल्ली टेडिया तकनीकी संस्थान में पढ़कर 1940 में इटालियन वायु सेना का वाहन मेंटिनेंस सुपरवाईज़र बनने के बाद एक गैराज में दुनिया की सबसे बेशकीमती कारों के बनाए जाने की कहानी लिख रहा था. स्पेयर पार्ट्स, सैन्य वाहनों के कबाड़ से ट्रैक्टर निर्माण और अन्य कृषि उपकरणों में दिमाग खपाना लेम्बोर्गिनी की शुरुआत का अहम् हिस्सा है.

1948 में लेम्बोर्गिनी ट्रटोरी एस.पी.ए. अस्तित्व में आई .प्रतिवर्ष 1000 ट्रेक्टरों का निर्माण कर रही यह कंपनी अब 1950 का दौर जी रही थी. यह वो वक्त था जब देश की सबसे बड़ी कृषि उपकरण निर्माता का ख़िताब लेम्बोर्गिनी के पास आ चुुका था .कामयाबी से पैसे और से दिमाग का मिलना लेम्बोर्गिनी को कारों की ओर ले गया .

लैंबोर्गिनी और फरारी की सफलता की कहानी (How Lamborghini was born?)
1958 के बाद कई सालों तक लेम्बोर्गिनी ने फेरारी 250GT सहित कई कारें खरीदी और अपनी रिसर्च जारी रखी. सफलता की शुरुआत 1966 में मिउरा स्पोर्ट्स कूपे और एस्पाडा GT से हुई. एक दशक में 1200 कारों की बिक्री के बाद 1970 के दशक में कंपनी को तेल संकट ने आर्थिक मार मारी . नेतृत्व बदल गया अब बर्बाद लेम्बोर्गिनी कई मालिकों की मिल्कियत बनने के बाद कॉर्पोरेट दिग्गज कंपनी क्राईसलर के हाथों में थी.

लेम्बोर्गिनी का साथ यहांं भी नाकामयाबी ने ही दिया और 1994 में एक इन्डोनेशियन कम्पनी ने उसे ख़रीदा. लेम्बोर्गिनी वेंटिलेटर पर थी, किन्तु जीवित. इसी उधेड़बुन में 1991 उन्होंने फेरारी की निंदा कर दी जो उस समय सुर्खियों में रही. फेरारी का जवाब था लेम्बोर्गिनी तुम ट्रैक्टर के काबिल हो फेरारी कभी भी ठीक से संभाल नहीं पाओगे.

यह बात उनके दिल पर लग गई और अब लेम्बोर्गिनी ने अपने ट्रैक्टर गैराज में फेरारी 250GT का पोस्टमार्टम शुरू कर दिया. समय गुजरा और कड़ी मेहनत और जुुनून से लेम्बोर्गिनी ने खुद को फेरारी के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी के रूप में स्थापित कर लिया .

1998 में लेम्बोर्गिनी मिली ऑडी से (Ferruccio lamborghini biography and net worth)
स्वामित्व बदलाव के चलते वोक्सवैगन एजी ने 1998 में एक अधिग्रहण के तहत 110 मिलियन डॉलर में लेम्बोर्गिनी का अधिग्रहण किया. अब लेम्बोर्गिनी स्थिरता महसूस कर रही थी जिसकी उसे बेहद आवश्यकता थी. रफ़्तार का खेल यहींं से शुरू हुआ और अगले एक दशक में दस गुना से अधिक लेम्बोर्गिनी कारें देश और दुनिया की सड़कों पर छा गई थींं. 2003 में, लेम्बोर्गिनी ने एक छोटी, V10- गेलार्डो को सबसे शक्तिशाली और महंगी लेम्बोर्गिनी के रूप में पेश किया.

आज लेम्बोर्गिनी के कारवां में सिर्फ और सर्फ बेशकीमती खूबसूरत कारें ही है और सफर जारी है. लेम्बोर्गिनी का हर मॉडल पहले से ज्यादा आकर्षक होता है. यह कंपनी की तासीर में ही है. लग्जरी कारों के दीवाने हर बार कई नई खूबियों के लिए दिल खोल कर बेशुमार दौलत लेम्बोर्गिनी की क्लास पर लुटाते आए हैं और लुटाते रहेंगे.

इस बेहद कठिन सफर के बाद आज भी लेम्बोर्गिनी कारों की असेम्बली सेंट अगाटा बोलोनीस जो इसका पहला घर है में बदस्तूर जारी है. यह आज भी चार मॉडलों की 3,000 से ज्यादा कारें बनाती है.

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