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हाथ-पैरों की जकड़न और कमर-पीठ दर्द हो सकते हैं ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण, जानें उपाय-

बदलती लाइफ स्टाइल ने सबसे ज्यादा प्रभाव शरीर पर डाला है. क्या खाना है, कब खाना और किस तरह खाना है इसका कोई हिसाब-किताब किसी के पास नहीं है. खा भी रहे हैं तो दिमाग में ऑफिस के काम हैं या हाथ में मोबाइल. ऐसी जिंदगी ने व्यक्ति को कोई तरह के रोगों का शिकार बना दिया है. ऐसे ही रोगों में से एक है ऑस्टियोपोरोसिस. ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों की खराबी का रोग है. एक ऐसी बीमारी जिसमें तकलीफ बढ़ती चली जाती है और जब असहनीय हो जाता है तो इलाज कुछ नहीं रह जाता. 

दरअसल, हड्डियां हमारे शरीर की संरचना का आधार हैं. अगर आधार कमजोर होगा तो शरीर का ढांचा भी ढीला-ढाला होगा और अगर आधार ठोस होगा तो ढांचा भी ठोस होगा. हड्डियां ही शरीर को आकार देती हैं, शरीर को संभालती हैं और मांसपेशियों को जोड़कर रखती हैं जिससे हम चल फिर, उठ -बैठ, हाथों से काम ले सकते हैं.

ऑस्टियोपोरोसिस की परिभाषा और कारण व इलाज (osteoporosis causes symptoms and prevention)

हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में कैल्शियम का रोल अहम है. हड्डियों की वृद्धि 16 से 18 वर्ष तक होती है. उसके बाद हड्डियों का घनत्व अक्सर कम होने लगता है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस रोग होने लगता है, जिसका अर्थ है हड्डियों का क्षरण.

जब हड्डियों का क्षरण या भुरभुरापन अधिक होने लगता है तो हमारी हड्डियां बहुत पतली और कमजोर पड़ जाती हैं, जो थोड़ी सी चोट से टूट सकती हैं. ऑस्टियोपोरोसिस रोग धीरे से हमारे हड्डियों में प्रवेश कर जाता है जिसका असर काफी समय बाद होता है जैसे जोड़ों में दर्द रहना, चाल में टेढ़ापन आना, दोनों घुटनों में गैप का बढ़ना, हड्डियों का टेढ़ा होना, फ्रेक्चर होना आदि.

किन्हें होता है ऑस्टियोपोरोसिस? (osteoporosis definition medical in hindi)

वैसे तो यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है, पर कई केसेस में आस्टियोपोरोसिस छोटी उम्र के लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेता है, जिनका रहन सहन, खान-पान बिलकुल ठीक न हो, जो  अधिक समय निष्क्रिय रहते हों, अधिक मोटे हों.

ऑस्टियोपोरोसिस के कारण और लक्षण (osteoporosis symptoms in hindi)

खाने में कैल्शियम की मात्रा काफी कम लेते हों या अधिक पतले होते हैं.
आनुवंशिक कारण और शारीरिक श्रम न करने वाले
वजन न उठाने वाले किसी लंबी बीमारी में स्टीरायड्स के सेवन के कारण.
मिर्गी के रोगी जो दवा लेते हैं, उससे भी हड्डियां भुरभुरी होने लगती हैं.
ज्यादा शराब और धूम्रपान करने वाले.
अधिक डायटिंग करने वाले.
जरूरत से अधिक व्यायाम करने वालों व अधिक बोझ ढोने वालों को.
जिन महिलाओं को माहवारी देर से शुरू हुई हो या जल्दी बंद हो गई हो.
गर्भाशय या अंडाशय निकाल दिए जाने वाली महिलाओं को.
अधिक सॉफ्ट ड्रिंक्स के सेवन करने वालों को.

ऑस्टियोपोरोसिस क्या जानलेवा हो सकता है? (why do you get osteoporosis)
नहीं, ऑस्टियोपोरोसिस जानलेवा तो नहीं है, पर इंसान को अपंग बनाने में मदद करता है. हमारे देश में 65 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाएं या पुरूष तो अक्सर इस रोग से ग्रस्त हैं, पर जब 30 से 40 वर्ष की आयु के लोग इसके शिकार हो जाते हैं तो उन्हें जीना भारी लगता है क्योंकि उन्हें अक्सर दर्द रहता है और फ्रेक्चर जल्दी होते हैं. उठना-बैठना, काम करना, कहीं आना जाना उनके लिए कठिन होता जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस रोग में लंबाई कम होने लगती है.

ऑस्टियोपोरोसिस की जांच कैसे करवाएं? (osteoporosis test cost in india and bone density test cost)
लगातार किसी भी जोड़ में दर्द रहने पर डॉक्टर से परामर्श लें. उनके बताए अनुसार टेस्ट करवाएं जैसे एक्सरे, अल्ट्रासाउंड. बोन डेंसिटी टेस्ट और डेक्सा स्केन आदि. पता लगने पर इलाज बिना किसी इंतजार के प्रारंभ करवाएं. (What tests are done to diagnose osteoporosis?)

डेक्सा स्केन टेस्ट के (dexa scan test) माध्यम से प्रारंभिक स्टेज का पता चल सकता है. एक्सरे और अन्य टेस्टों के माध्यम से जब हड्डियों का 30 प्रतिशत क्षरण हो जाता है तब पता चलता है. डेक्सा स्केन 3 से 5 हजार की लागत तक होता है जबकि एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, बोन डेंसिटी 1500 से 2000 तक होता है.

ऑस्टियोपोरोसिस लाइलाज नहीं है. इसका इलाज संभव है. (फोटो : pixabay.com).
(फोटो : pixabay.com).

ऑस्टियोपोरोसिस का सफल इलाज  (osteoporosis treatment in ayurveda in hindi)
ऑस्टियोपोरोसिस रोग लाइलाज नहीं है. उसमें पहले की हड्डियों का भुरना तो कम नहीं किया जा सकता पर आगे के लिए रोका जा सकता है. दर्द भी हमेशा के लिए तो खत्म नहीं होता पर दर्द को इलाज द्वारा कम किया जा सकता है.

आराम और दर्दनिवारक दवा का सेवन करें (osteoporosis medicine)
डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवा की सही मात्रा लें और डॉक्टर के अनुसार जितने आराम की आवश्यकता हो, करें, तभी आराम मिलेगा. अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएं. कितनी कसरत और कैसी कसरत आपके लिए आवश्यक है, यह डॉक्टर से परामर्श कर करें. अगर चलते समय सहारे की आवश्यकता हो तो छड़ी का उपयोग करने से परहेज न करें.

ऑस्टियोपोरोसिस में क्या खाएं  (diet chart for osteoporosis patient)
कैल्शियम उत्पादों का सेवन सही मात्रा में करें, अगर आप दूध, दही, पनीर, लस्सी का सेवन कम करते हैं. डॉक्टर के बताए अनुसार कैल्शियम दवा के रूप में लें क्योंकि रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं को कैल्शियम की आवश्यकता अधिक होती है. तब उन्हें 1000 मिली ग्राम से 1500 मिलीग्राम तक कैल्शियम रोज चाहिए होता है.

कैल्शियम के साथ विटामिन डी भी लें. सर्दियों में आप 30 मिनट तक हल्की धूप में बैठ कर इस कमी को पूरा कर सकते हैं. वैसे आजकल कैल्शियम विटामिन डी के साथ भी उपलब्ध है.

ऑस्टियोपोरोसिस के लिए बदलें लाइफ स्टाइल  (osteoporosis lifestyle changes)
जीवन शैली में बदलाव करें. हड्डियां हमारे जीवन के अंत तक हमारे साथ हैं. अगर हम खान-पान और व्यायाम से इनकी देखभाल करेंगे तो ये हमारा साथ और अच्छी तरह देंगी. हमें पौष्टिक आहार लेना चाहिए.

भोजन में चीज, पनीर, घी दही, हरी सब्जियां और सोयाबीन को नियमित रूप से लें. लड़कियों को 10 वर्ष की आयु के बाद हल्के व्यायाम करवाएं और अच्छी खुराक दें ताकि हड्डियां मजबूत बन सकें.

ऑस्टियोपोरोसिस में क्या करें विशेष रूप से महिलाएं
सबसे पहले हार्मोंस की जांच करवाएं. अगर माहवारी खत्म होने से पहले हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की आवश्यकता हो तो डॉक्टर सलाह अनुसार लें. पुरूषों में हार्मोन थेरेपी की लेट एज में आवश्यकता पड़ती है, महिलाओं में जल्दी. जो पुरूष धूम्रपान और शराब का सेवन अधिक करते हैं उन्हें इस थेरेपी की आवश्यकता थोड़ी जल्दी पड़ सकती है.

(नोट : यह लेख आपकी जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. यदि किसी बीमारी के पेशेंट हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.)  

 

By नीतू गुप्ता

लेखक और पत्रकार.

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