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Kedarnath temple : केदारनाथ मंदिर की जानकारी, केदारनाथ हेलीकाप्टर किराया

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirling). ये हिमालय की गोद में मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ प्रमुख तीर्थ स्थल है. ये चारधाम यात्रा और पंच केदार में सम्मिलित है. केदारनाथ दर्शन (Kedarnath temple) के लिए सालभर में देश और विदेश के काफी सारे श्रद्धालु जाते हैं. हिन्दू धर्म के लोग चारधाम यात्रा में यहां जरूर जाते हैं. अगर आप भी यहां जाना चाहते हैं तो आपको केदारनाथ यात्रा (Kedarnaath yatra information) की जानकारी होनी चाहिए.

केदारनाथ की कहानी (Kedarnath story and secret)

केदारनाथ के बारे में दो कहानियां काफी प्रचलित है. एक भगवान विष्णु की है जिसमें भगवान विष्णु नर और नारायण के अवतार में हिमालय के केदार श्रंग पर भगवान शिव की तपस्या की और इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने सदा के लिए ज्योतिर्लिंग में निवास करने का निर्णय लिया.

दूसरी कथा पांडवों से संबन्धित है. महाभारत के युद्ध के बाद नरहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होने भगवान शिव को ढूंढना शुरू किया. लेकिन भगवान शिव पांडवों से रुष्ट थे तो वे काशी छोड़कर हिमालय के केदार में जा बसे. पांडव वहां भगवान शिव को ढूंढते हुए चले गए. वहां पर भगवान शिव भैंसे के रूप में अन्य जानवरों से मिल गए. जब भीम ने विशाल रूप धरकर उन्हें ढूंढा तो उन्होने देखा की एक भैंसा जमीन में अंतर्ध्यान हो रहा है. तब भीम ने उस भैंसे का पीठ का ऊपरी त्रिकोणात्मक भाग पकड़ लिया और उन्हें जाने से रोक लिया. भगवान शिव इस से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर पापों से मुक्ति दी. भगवान शिव का यहां पर भैंसे के त्रिकोणात्मक पीठ के रूप में पूजे जाते हैं.

केदारनाथ के कपाट कब खुलते हैं? (Best time to visit kedarnath temple)

केदारनाथ मंदिर के कपाट हर साल अक्षय तृतीय पर खुलते हैं. हर वर्ष महाशिवरात्री के दिन उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारी द्वारा उदघाटन तिथि और समय को घोषित करते हैं. इसके कपाट बंद होने की तिथि दिवाली के बाद की भाई दूज है. भाई दूज की सुबह पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के पट बंद कर दिये जाते हैं. सर्दियों के मौसम में यहां भयंकर बर्फबारी होती है जिसके कारण मंदिर 6 महीने तक बर्फ से ढंका रहता है और मंदिर के पट बंद कर दिये जाते हैं. केदारनाथ मंदिर का प्रतिदिन खुलने का समय सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक का है.

केदारनाथ कैसे पहुंचे? (How to reach kedarnath temple?)

केदारनाथ जाने के लिए आप हवाई मार्ग, रेल मार्ग या सड़क मार्ग का विकल्प चुन सकते हैं. अगर आप हवाई मार्ग से केदारनाथ जाना चाहते हैं तो यहां का निकटतम एयरपोर्ट देहरादून है जो केदारनाथ से 239 किमी दूर है. आप यहां से बस या टैक्सी के माध्यम से केदारनाथ पहुंच सकते हैं. अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं तो आपको नजदीकी रेल्वे स्टेशन ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून है. ये तीनों स्टेशन केदारनाथ से 200 से 250 किमी की दूरी के अंतर पर है. आप इन तीनों में से किसी एक जगह पर आकार बस या टैक्सी से केदारनाथ पहुंच सकते हैं. अगर आप अपने राज्य से बस से आना चाहते हैं तो भी इन्हीं तीन शहरों में आकर बस बदलकर केदारनाथ पहुंच सकते हैं.

केदारनाथ की चढ़ाई (Kedarnath temple tracking)

केदारनाथ यात्रा में आप अगर पैदल जा रहे हैं तो आपको थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि यहां पर चढ़ाई है. केदारनाथ का ट्रैक गौरीकुन्ड से शुरू होता है और मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको 16 किमी की यात्रा करनी पड़ती है. यहां पर कुछ जगह पर आपको खड़ी चढ़ाई भी करनी पड़ सकती है. अगर किसी व्यक्ति को श्वसन संबंधी समस्या है तो वहां जाने से पहले डॉक्टर की राय जरूर लें या फिर किसी साधन जैसे पालकी, खच्चर या हेलीकाप्टर की मदद से मंदिर पर जाए.

केदारनाथ हेलीकॉप्टर किराया (Kedarnath helicopter rent)

केदारनाथ जाने के लिए केदारनाथ के नजदीक से कुछ निजी कंपनियां हेलीकॉप्टर सेवा देती है. इसके लिए अलग-अलग स्थान से अलग-अलग किराया है.

सिरसी से केदारनाथ जाने का हेलीकॉप्टर किराया 2470 रुपये है.
फाटा से केदारनाथ जाने का हेलीकॉप्टर किराया 2399 रुपये है.
गुप्तकाशी से केदारनाथ जाने का हेलीकॉप्टर किराया 4275 रुपये है.

केदारनाथ चढ़ाई का सही समय क्या है? (Kedarnath tracking right time)

केदारनाथ में यात्रा शुरू करने के लिए हर समय अनुमति नहीं दी जाती. यहां पर आप सुबह 4 बजे गौरीकुन्ड से ट्रैकिंग शुरू कर सकते हैं और दोपहर 1:30 बजे बंद करना होता है. इस बीच यदि आपने यात्रा पूरी कर ली तो ठीक नहीं तो आपको वहां मौजूद शिविर में अगले दिन का इंतज़ार करना होता है.

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