हिन्दू धर्म की हर सुहागिन महिला इस व्रत को रखकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है. करवा चौथ (karwa chauth) का व्रत कोई आज का व्रत नहीं है बल्कि ये काफी पुराने समय से चला आ रहा है. यह व्रत एक तरह से भारतीय परंपरा का हिस्सा है.
अगर कोई महिला करवा चौथ का व्रत पहली बार कर रही है तो उसे ये पता होना चाहिए की करवा चौथ का व्रत कैसे रखें (karwa chauth vrat kaise kare), करवा चौथ व्रत का महत्व क्या है (karwa chauth mahatv), करवा चौथ के व्रत में क्या सावधानी रखनी चाहिए. इन सभी बातों के पता होने के बाद ही उसे करवा चौथ का व्रत रखना चाहिए.
करवा चौथ व्रत (karwa chauth vrat)
करवा चौथ का व्रत दीपावली से 9 दिन पहले रखा जाता है. इसे हिन्दू पंंचांग के अनुसार इसे कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन रखा जाता है. इस व्रत को शादीशुदा महिलाएं रखती है. इसमें दिन भर बिना कुछ खाये-पिए चांद के निकलने के बाद ही पूजा करने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है. इस व्रत को विवाहित महिलाओं के अलावा वे लड़कियां भी रख सकती हैं जिनकी शादी तय हो चुकी है या फिर जिनकी शादी की उम्र हो चुकी है.
करवा चौथ व्रत महत्व (karwa chauth mahatv)
करवा चौथ का व्रत अपने पति या फिर होने वाले पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इस दिन महिलाएं सुबह से बिना कुछ खाये-पिए दिन भर निर्जल उपवास रखती है. इस व्रत में पानी पीना भी मना है. इसके बाद जब रात में चांद निकल जाए तो उसकी पूजा करके इस व्रत को खोला जाता है ताकि उसके पति की आयु लंबी रहे और उसे जिंदगी में सफलता मिले.
करवा चौथ की व्रत कथा (karwa chauth katha)
एक साहूकार के घर में सात पुत्र और उनकी सात पत्नियां थीं. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में परिवार की महिलाओं जिसमें सातों बहुएं और सास शामिल थी ने करवा चौथ का व्रत रखा. जब रात को साहूकार के सात लड़के और खुद साहूकार भोजन करने पहुंचे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन का आग्रह किया.
भोजन के आग्रह को मना करते हुए बहन ने कहा कि अभी चंद्रमा नहीं निकला है. जब चंद्रमा निकलेगा तो चंद्र देव को अर्ध्य देकर ही वह भोजन करेगी.
साहूकार के सातों बेटों ने अपनी इकलौती बहन से यह उत्तर सुनकर आश्चर्य प्रकट किया. वे दुखी भी हुए क्योंकि उनकी बहन भूखी थी और वे भोजन की थाली पर थे. बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देखकर सातों भाई बाहर गए और एक पेड़ पर चढ़कर अग्नि जला दी और घर आकर कहा-देखो बहन चंद्रमा निकल आया है अब तुम अर्ध्य देकर भोजन प्राप्त करो. इस तरह पेड़ की अग्नि को चंद्र उदय मानकर बहन ने अपनी सातों भाभियों से कहा- भाभी चंद्रमा निकल आया है अब तुम चंद्र पूजा कर भोजन करो.
अपनी ननद की बात सुन भाभियों ने कहा कि चंद्रमा अभी नहीं निकला और उन्हें सत्य बताया. लेकिन बहन ने भाइयों की बात को सत्य माना और पेड़ की अग्नि को चंद्रमा मानकर व्रत तोड़ दिया.
इस तरह अग्नि की रौशनी को चंद्रमा मानकर बहन के भोजन करने पर भगवान विनायक यानी की गणेश जी अप्रसन्न हो गए. गणेश जी की अप्रसन्ना के चलते बहन का पति बीमार हो गया. पति की बीमारी बहुत लंबी चली और सारा धन उपचार में खर्च हो गया.
साहूकार ने अपनी बेटी को इस तरह परेशान देखा तो भाइयों ने उसे सच बताया, जिसके बाद बहन ने भगवान गणेश की उपासना की और विधि-विधान से भगवान गणेश का पूजन किया. भगवान गणेश लड़की की भक्ति से प्रसन्न हुए और उसके पति को रोगमुक्त किया. यही नहीं भगवान लंबोदर के आशीर्वाद से बहन के घर धन, संपत्ति और वैभव प्रदान किया.
जिस प्रकार चौथ की व्रत पूजा से उस बहन के पति को जीवनदान श्री गणेश ने दिया वैसे ही सभी के पति को दीर्घायु मिले.
करवा चौथ व्रत की शुरुआयत (karwa chauth vrat starting)
करवा चौथ का व्रत कोई आज-कल से शुरू नहीं हुआ है. ये पौराणिक काल से चला आ रहा है. पौराणिक काल में जब एक बार देवताओं और दानवों के बीच युद्ध छिड़ गया था तब उस युद्ध में देवताओं की हार होने लगी. उस परिस्थिति में देवता ब्रह्मदेव के पास गए और अपनी रक्षा की प्रार्थना करने लगे.
कथा अनुसार तब ब्रह्मदेव ने कहा की अगर देवताओं की पत्नियांं उनके पति के लिए सच्चे दिल से निर्जल व्रत रखें और उनकी विजय की कामना करे तो उनकी जीत निश्चित होगी. इस तरह जिस दिन देवताओं की पत्नियों ने उनके लिए निर्जल व्रत रखा वो दिन कार्तिक मास का चौथा दिन था.
देवताओं की पत्नियों के व्रत रखने के बाद जब देवताओं की जीत की सूचना उनकी पत्नियों को मिली तब उन्होंंने चंद्रमा को देखकर अपना व्रत खोला. इस तरह तब से ही करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा शुरू हो गई.
कैसे रखें करवा चौथ का व्रत (karwa chauth vrat process)
करवा चौथ का व्रत रखने के लिए महिलाओं को कुछ बातों पर खास ध्यान देना चाहिए. इस व्रत में उनसे भूलकर भी कोई गलती नहीं होना चाहिए. अगर उन्हें लगता है की वो ये व्रत नहीं रख पाएंंगी तो फिर इसे करे ही न. करवा चौथ का व्रत इस प्रकार करें.
– सूर्योदय होने से पहले स्नान करें और व्रत रखने का संकल्प लें।
– फिर अपनी सास की दी हुई सरगी ग्रहण करके व्रत की शुरुवात करें.
– पूरे परिवार के साथ भगवान शिव और श्री कृष्ण की स्थापना करें.
– भगवान गणेश जी का आह्वान करते हुए उन्हें पीले फूलों को माला , केले और लड्डू चढ़ाएं.
– भगवान शिव और माता पार्वती को बेलपत्र और श्रंगार की वस्तुएं अर्पित करें.
– भगवान श्री कृष्ण को उनके प्रिय माखन मिश्री का भोग लगाएंं.
– भगवान के सामने एक दीप जलाएं और अगरबत्ती लगाएं.
– अब एक मिट्टी का करवा लें और उस पर स्वस्तिक बनाएंं.
– करवा में आप दूध और गुलाब जल मिलकर रखें. आप चाहे तो उसके अंदर परमल या धानी भी रख सकते हैं.
– इसके बाद करवा चौथ की कथा सुनें या फिर पढ़ें.
– कथा सुनने के बाद चांद को छलनी से देखकर चांद की पूजा करें.
– चांद की पूजा करने के बाद अपने पति का चेहरा छलनी से देखें और उनकी पूजा करें.
– इसके बाद उनके हाथ से मिठाई खाकर अपना व्रत खोलने और उनके चरण स्पर्श करें.
– घर में पूजा हो जाने पर आप घर में मौजूद बड़े बुजुर्गों का भी आशीर्वाद लें और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें.
करवा चौथ के व्रत में न करें ये गलतियांं (Mistakes in karwa chauth)
कई लोग होते हैं जिन्हें कुछ चीजें पता नहीं होती है जैसे करवा चौथ के व्रत के दिन कैसे कपड़े पहनना है, क्या काम नहीं करना है. इन सभी चीजों का पता उन महिलाओं और लड़कियों को होना चाहिए जो करवा चौथ का व्रत रख रहीं हैं.
– करवा चौथ का व्रत आपको सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल यानी बिना अन्न जल के रखना होता है.
– करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन काले और सफ़ेद रंग के कपड़े न पहने.
– करवा चौथ के व्रत को रखने वाली महिलाएं लाल या पीले रंग के वस्त्र पहने.
– इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को पूर्ण श्रंगार जरूर करना चाहिए.
– इस दिन सूरज उगने से पहले सास अपनी बहू को सरगी जरूर दे. इस सरगी को खाकर ही व्रत की शुरुआत करना चाहिए.
इस तरह आप करवा चौथ का उपवास रख सकती हैं. अगर आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही है तो एक बार करवा चौथ व्रत की किताब में करवा चौथ व्रत की विधि को ध्यान से पढ़ कर पूजा की सामग्री को तैयार करें और सच्चे मन से करवा चौथ का व्रत करें.