नवरात्रि में कन्या पूजन (kanya pujan) और कन्या भोजन (kanya bhojan navratri) का रिवाज सभी के यहाँ होता है. जो लोग माता पूजन करते हैं वो अपने अनुसार तिथि को कन्याओं को बुला कर उनकी पूजा करते हैं उन्हें अपना यहाँ भोजन करवाते हैं. कई जगह इन्हें कंजक खिलाना (kanjak poojan) भी कहते हैं. कन्या पूजन और भोजन में आपको कई बातों का ध्यान रखना होता है. कन्या पूजन कैसे करें (kanya puja kaise kare), कन्या भोजन कैसे करवाए (kanya bhojan vidhi), कन्या पूजन का क्या महत्व है (kanya bhojan mahatv) ये सारी बाते आपको जानना चाहिए.
कन्या पूजन का महत्व (kanya puja mahatv)
नवरात्रि में कन्या पूजन (kanjak poojan)का बड़ा महत्व है. नवरात्रि में मुख्य तौर पर सप्तमी के दिन से दशमी तक कन्या पूजन और कन्या भोज (kanya bhoj) कराया जाता है. ऐसा माना जाता है की कन्याएँ माँ दुर्गा का रूप होती हैं. अगर आप नवरात्रि में इनकी सेवा करते हैं यानि इन्हें भोजन करवाते हैं तो कन्याओं के खुश होने पर माँ दुर्गा भी खुश होती हैं.
नवरात्रि में कन्या पूजन कैसे करें? (kanya pujan vidhi)
अगर आप अपने घर में कन्या पूजन और कन्या भोजन का आयोजन कर रहे हैं तो निम्न बातों का ध्यान रखें.
– कन्या पूजन और कन्या भोज के लिए कन्याओं को एक दिन पहले उनके घर जाकर आमंत्रित करना चाहिए. ऐनवक़्त पर उन्हें पकड़-पकड़ कर लाना सही नहीं माना जाता.
– घर पर जब कन्याओं का गृह प्रवेश कराएं तो पूरे परिवार के साथ उनका पुष्प वर्षा के साथ स्वागत करें और माँ दुर्गा के नौ नामों के जयकारे लगाए.
– इसके बाद इन कन्याओं को घर में किसी साफ और आरामदायक जगह पर बिठाए.
– इसके बाद उनके पैरों को दूध से भरी थाली में रखकर साफ करें.
– अब उनके माथे पर कुमकुम, फूल, और अक्षत लगाएँ.
– फिर माँ दुर्गा का ध्यान करके इन कन्याओं को देवी का रूप समझ कर अपनी इच्छा के अनुसार भोजन कराएं.
– भोजन हो जाने के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा या उपहार दें और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें.
कन्या पूजन के लिए कन्या की उम्र (kanya pujan age)
कन्या पूजन करने के लिए कन्या की उम्र का भी बड़ा महत्व है. आपको ज्यादा बड़ी कन्याओं को भोजन नहीं करवाना है. आपको दो साल से लेकर 10 साल या उससे भी कम उम्र की 9 कन्याओं को भोजन करवाना है. उन 9 कन्याओं के साथ में एक बालक का होना भी जरूरी है. बालक को हनुमान जी का रूप माना जाता है. जिस तरह माता की पूजा भैरव की पूजा किए बिना पूर्ण नहीं होती उसी तरह कन्या भोजन भी एक बालक को भोजन कराये बिना पूर्ण नहीं होता. याद रखें आपको कम से कम 9 कन्याओं को भोजन करवाना है. आप चाहे तो उससे भी ज्यादा करवा सकते हैं लेकिन कम न करवाएँ.
आयु के अनुसार कन्या पूजन का महत्व (kanya pujan mahatv)
नवरात्रि में वैसे तो सभी तिथियों को एक एक करके 9 कन्याओं की पूजा करनी चाहिए लेकिन आप चाहे तो सप्तमी से लेकर दशमी तक कन्या पूजन कर सकते हैं. कन्याओं की उम्र के अनुसार उनका पूजन करने का भी अलग महत्व है.
– दो साल की कन्या के पूजन करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है.
– तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति माना जाता है. इनके पूजन से घर में धन-धान्य आता है और परिवार सुखी रहता है.
– चार साल की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इनकी पूजा करने से परिवार का कल्याण होता है.
– पाँच साल की कन्या को रोहिणी माना जाता है. इनके पूजन से व्यक्ति रोगमुक्त रहता है.
– छह साल की कन्या को कालिका का रूप कहा गया है. इनकी पूजा करने से विध्या, राजयोग और विजय प्राप्त होती है.
– सात साल की कन्या को चंडिका का रूप कहा जाता है. इनकी पूजा करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
– आठ साल की कन्या को शंभवी का रूप कहा जाता है. इनकी पूजा करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है.
– नौ साल की कन्या को माँ दुर्गा कहा जाता है. इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है.
– दस साल की कन्या सुभद्रा कहलाती है. इनके पूजन से व्यक्ति के सभी मनवांछित काम पूरे होते हैं.