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संक्रामक महामारियों को रोकने में जनता कर्फ्यू की अहम भूमिका होती है.

दुनिया के जाने-मानें इम्यूनोलॉजिस्ट (Immunologist) , एक तरह से वायरस एक्सपर्ट और इस समय ट्रंप प्रशासन में कारोना वायरस के खतरे से निपटने वाली टीम के अग्रणी योद्धा डॉ. एंथोनी स्टीफन फौकी (Immunologist Dr. Anthony Fauci America)  कोरोना वायरस (corona virus) को लेकर बहुत कुछ ऐसा बता चुके हैं जिसकी कम ही जानकारी हम तक पहुंची है.

डॉ. फौकी एचआईवी/एड्स को लेकर भी काफी रिसर्च कर चुके हैं और (Public health system in America) अमेरिका के पब्लिक हेल्थ सेक्टर में लंबे समय से काम कर रहे हैं.

ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन (Donald trump administration) की कोरोना वायरस टास्क फोर्स का यह प्रमुख चेहरा COVID-19 को लेकर अमेरिका के पब्लिक हेल्थ सेक्टर में जागरूकता पर भी अलग तरह से काम कर रहा है. डॉ. फौकी युवाओं को कोरोना के प्रति ज्यादा सीरियस होने के लिए कह रहे हैं.

यह गंभीरता उसी रूप में थी जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के राष्ट्र के नाम संबोधन में जनता कर्फ्यू (Janta curfew in India)  के रूप में व्यक्त किया है. फौकी का मानना है युवा भले ही अपनी इम्यूनिटी से ठीक हो सकते हैं लेकिन उनका घूमना-फिरना और सावधानी न बरतना दूसरों के लिए संकट पैदा कर सकता है.

बहरहाल, मिलना-जुलना, बाहर ना जाना और आवश्यक ना होने पर ही बाहर निकलना जैसी बात सामान्य लगती हैं, लेकिन किसी तेजी फैल रही महामारी को रोकने में यह सबसे बड़ा कदम होता है. जबकि इलाज आपके पास मौजूद ना हो और आप हिट एंड ट्रायल कर रहे हों.

जब फौकी अमेरिका के युवाओं को कह रहे हों कि Take Corona virus ‘Very Seriously’ तो उसके मायने बीमारी की गंभीरता से ज्यादा उस संक्रमण को लेकर हैं जिसे जरा सी लापरवाही इटली बना सकती है. जहां तबाही के जिम्मेदार गिनती में भी नहीं थे.

महामारियों में संक्रमण का वाहक एक ही होता है और वो कौन होगा ये कोई नहीं जानता. ऐसे में सरकारें इलाज ढूंढने से बेहतर संक्रमण को रोकना चुनती हैं.

चीन लॉक डाउन करता रहा. एक दिन में उसने 15 शहर बंद कर दिए. इटली अपनी विरासतों और इमारतों के साथ कैद है और अमेरिका इमरजेंसी में है.

तो फौकी उस एक करियर की ही बात कर रहे हैं जो आइसोलेट रहा या वर्क फ्राम होम करता रहा तो भी इस महायुद्ध में सरकारों को एक दिन का ही सही, समय भी मिलेगा और सोचने का मौका भी.

भारत में 22 मार्च का ”जनता कर्फ्यू” उसी एक करियर/ वाहक को रोकने की प्रतीकात्मक और वैज्ञानिक कोशिश भी है. समझने वाली बात है की वायरस चलता नहीं उसके वाहक होते हैं.

तो यह जनता कर्फ्यू कोरोना वायरस की उस चेन को तोड़ने में सहायक हो सकता है जो सर्दी-खांसी के ड्रॉपलेट्स के जरिए फैलती हैंं. अलग-अलग जगह छूने, स्पर्श करने व प्लास्टिक, दरवाजे के हेंडल्स, ऑटो, बस ट्रेन, दुकानों में येन-केन-प्रकारेण वाहकों के साथ पहुंचती है.

वायरस अलग-अलग सरफेस पर 20 घंटे से ज्यादा जिंदा रहता है और शरीर से बाहर आने पर 12 घंटे जिंदा रहता है और जब आप कहीं नहीं होंगे तो संक्रमण की वह चेन धीमी होगी.

तरीका भी यही है.

हिट एंड ट्रायल के अलावा. दुनिया के पास कोई रास्ता नहीं है जब तक की टीका ना मिल जाए..!

कल कोरोना वायरस जैसी महामारी के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन सराहनीय था. भारत की ओर से इस महामारी से लड़ने के लिए उठाया एक ओर बेहतर कदम.

जनता कर्फ्यू को प्रतीकात्मक भी लिया जाए और संक्रमित महामारी के प्रति समझ लोगों केे दिमाग में डाली जाए तो परिणाम उस तीसरी स्टेज, कम्यूनिटी ट्रांसमिशन से दूर होंगे जो भारत में अब तक नहीं है.

यकीनन, भारत कम्यूनिटी ट्रांसमिशन से (Corona virus Community Transmission in India) दूर है क्योंकि कल ही 1000 लोगों के अलग-अलग जगहों से रैंडमली टेस्ट लिए गए तो 810 की रिपोर्ट नेगेटिव आई.

फिर भी

कोरोना वायरस को लेकर ओवर ऑल भारत की स्थिति देखी जाए तो राह बहुत मुश्किल है. देश का स्वास्थ्य ढांचा चरमराया हुआ है, प्रति व्यक्ति 10 हजार से ज्यादा लोगों पर एक डॉक्टर है, जमाखोरी, महंगाई, जनसांख्यकीय घनत्व हद से ज्यादा है.

यही नहीं टेस्ट की संख्या अमेरिका, चीन, इटली और अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है. लक्षण नजर आने पर टेस्ट इतना आसान नहीं है. हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने पर ट्रैवल हिस्ट्री, मिलने-जुलने जैसी बातें जांच की मानक हैं. 14 दिन का वेट करने को कहा जाता है. लिहाजा मामले सामने आ नहीं रहे जो बढ़े हुए हो सकते हैं.

इस संदर्भ में केरल की कम्यूनिस्ट (Corona virus kerala cases) सरकार के तरीके आपको आश्वस्त कर सकते हैं. यह बेहतर दिशा में उठाए गए कदम हैं. केंद्र सरकार को सलाह लेना चाहिए और उस मॉडल पर विचार करना चाहिए. वर्ल्ड इकॉनॉमी फोरम और न्यूयॉर्क टाइम्स में केरल के तरीकों की प्रशंसा हुई है. हालांकि आपदा घोषित करना पैनिक को भी जन्म देता है फिर केरल व देश में अंतर भी है.

लेकिन

इन चुनौतियों के बीच भी पूरी दुनिया की तुलना में भारत में संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने जिस तेजी से कदम उठाए हैं वह प्रशंसनीय हैं. नागरिकों को लाना उन्हें आइसोलेट करना और निगरानी में रखना बेहतर हैं.

टेस्ट की बात छोड़ दें तो संक्रमण के आंकड़ें नियंत्रण में है मृत्यु के भी. राज्य सरकारें भी तेजी से कदम उठाती दिखी हैं और कल पीएम का एड्रेस भी सही कदम था.

हालांकि आने वाले दिन ज्यादा कठिन ना हो उसका आसरा क्लाइमेट पर है. कोई वैज्ञानिक तथ्य तो नहीं है कि वायरस किसी खास तापमान पर नष्ट हो जाता है लेकिन वुहान में ये मिनिमम 8 और मैक्सिमम 11 के टम्प्रेचर पर फैलता गया. अमेरिका, यूरोप ठंडे हैं, कम से कम भारत की तुलना में.

भारत की उष्ण कटिबंधीय और विविधता भरी जलवायु ही इसे ठिकाने लगाएगी ऐसा माना जा रहा है. भारत के संदर्भ में इसे माना भी जाना चाहिए. देश का भूगोल बेहद अलग है और जलवायु भी. कहीं चुरू है तो कहीं चेरापूंजी. आने वाले दिनों में मौसम विभाग का कैलेंडर बहुत कुछ तस्दीक करता है. बाकी जनता कर्फ्यू बचने का सरल और सस्ता उपाय है. स्वस्थ रहें और सावधान रहें.

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नोट: यह लेख आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. कोरोना वायरस से संबंधित लक्षणों को लेकर अलर्ट रहें. किसी भी तरह की समस्या हो तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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