श्रीकृष्ण हिंदू संस्कृति में संपूर्ण अवतार माने जाते हैं. वे 16 कलाओं के ज्ञाता और हर विधा में निपुण हैं. श्याम वर्ण गिरधारी कई रूपों में अद्भुत हैं. कृष्ण एक ओर नटखट पुत्र हैं, तो एक ओर अपने गुरु ऋषि संदीपनी के आज्ञाकारी शिष्य, एक तरफ सखा हैं तो दूसरी ओर असंख्य गोपियों के प्रेमी, कहीं युद्ध में सारथी बनकर अर्जुन को दिशा-निर्देश दे रहे हैं तो दूसरी ओर वे द्वारकाधीश के रूप में राजा हैं,
कहीं गीता जैसे ग्रंथ से वे उच्चकोटि के दार्शनिक हैं. भारतीय संस्कृति में एक चरित्र की इतनी विविधता और रूप कहीं नहीं है. यही वजह है कि श्रीकृष्ण को लीलाधर भी कहा गया है.
श्रीकृष्ण की सभी लीलाओं में उनकी रास लीला का एक विशेष महत्व है. हजारों गोपिकाओं के बीच श्रीकृष्ण एक अलग ही रूप और रंग में दिखाई देते हैं. लेकिन हजारों गोपिकाओं के बीच रास रचाने वाले कृष्ण के लिए सबसे प्रिय गोपिका है राधा.
राधा का महत्व कृष्ण भक्तों के लिए वैसा ही जैसे शिव भक्तिों के लिए माता पार्वती का या फिर विष्णु की पूजा करने वालों के लिए लक्ष्मी का.
राधाजी की महिमा का विस्तार ऐसा है कि खुद कृष्ण के वृंदावन में जब आज भी हम प्रवेश करते हैं तो नगर का जनसमुदाय कृष्ण के नाम से नहीं बल्कि राधे-राधे के नाम से संबोधन करता है.
कौन थी श्रीकृष्ण की राधा
श्रीकृष्ण और राधा का नाम संसार में वैसे ही प्रचलित है जैसे शिव का पार्वती के साथ या विष्णु का लक्ष्मी के साथ. हालांकि राधा और कृष्ण के संबंध और विशेष रूप से विवाह को लेकर विद्वानों में आज भी मतभेद है. राधा, कृष्ण की विख्यात प्राणसखी, उपासिका रही है. उन्हें पुराणों में वृषभानु गोप की पुत्री रूप में उल्लेखित किया गया है.
भारतीय लोकपरंपरा और संस्कृति में राधा-कृष्ण संसार में शाश्वत और अटूट प्रेम का प्रतीक है. प्रेम के संबंध में आज भी भगवान श्रीकृष्ण और माता राधा का नाम गौरव से लिया जाता है.
राधाजी, वृषभानु राजा की कन्या
पद्म पुराण के अनुसर राधा जी का उल्लेख वृषभानु राजा की कन्या के रूप में होता है. कथा के अनुसार राजा वृषभानु जब यज्ञ की भूमि साफ़ कर रहे थे तो उन्हें इसी भूमि कन्या के रूप में राधा जी की प्राप्ति हुई. राजा ने राधा को बेटी की तरह पालन पोषण किया.
इसी तरह एक कथा यह भी है कि विष्णु ने कृष्ण अवतार लेते समय सभी देवताओं से पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए कहा तो माता लक्ष्मी ने राधा बनकर विष्णु के संग रहना ही पसंद किया.
क्या कृष्ण की पत्नी थी राधा?
अन्य कथाओं और मान्यताओं में कृष्ण और राधा के विवाह का उल्लेख भी मिलता है. राधा और कृष्ण के विवाह की कथा आती है और कृष्ण की हजारों पटरानियों में से एक राधाजी को माना जाता है. हालांकि राधा को कृष्ण की प्रेमिका के रूप में ज्यादा मान्यता मिली है.
ब्रह्म वैवर्त पुराण की कथा के अनुसार राधा जी कृष्ण की सबसे अहम और अनन्य सखी थी और उनका विवाह रापाण अथवा रायाण नामक व्यक्ति से हुआ था.
लीलाधर के रूप में कृष्ण
कृष्ण के अनेक रूपों के बीच उन्हें लीलाधर के रूप में भी संबोधित किया गया है. उनकी सारी लीलाएं ब्रज, गोकुल और वृंदावन में हईं और इनमें भी गोपिकाओं के बीच रास लीला में श्रीकृष्ण जीवन के अलग ही रंग दिखाई देते हैं.
राधा के साथ रास लीला आज कृष्ण के अनन्य भक्तों के लिए भक्ति की एक अलग धारा है.
एक कलाकार, एक दार्शनिक और समस्त नियमों को तोड़कर नये नियमों को रचने वाले. उन्हें कई जगह लीलाधर भी कहा गया है.
कृष्ण लीलाओं का विस्तार से वर्णन श्रीमद् भागवत में किया गया है. यह हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख ग्रंथ है. यह मनुष्य मात्र के लिए है. देश, काल, परिस्थिति से परे यह हर तरह के धर्म बंधन से परे है.
(Input: भारतकोश)