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IVRS क्या होता है? (What is IVRS?) इस बारे में कम ही लोग जानते हैं. हालांकि अधिकतर लोगों ने IVRS का प्रयोग (IVRS Use) जरूर किया है. IVRS का उपयोग अक्सर हम तब करते हैं जब हमें हमारे नेटवर्क में कोई दिक्कत आती है और हमें कस्टमर केयर को फोन लगाना होता है. तब हमें कॉल लगाने के बाद सुनाई देता है की हिन्दी के लिए 1 दबाएं अँग्रेजी के लिए 2 दबाएं. इस तरह के पूरे सिस्टम को IVRS कहा जाता है.

IVRS का पूरा नाम (Full form of IVRS?)

IVRS का पूरा नाम है Interactive Voice Response System. ये एक तरह का ऐसा सिस्टम है जो आवाज पर प्रतिक्रिया करता है. अब आप सोच रहे होंगे की आवाज से कैसे प्रतिक्रिया करता है हम तो बटन दबाते हैं तब रिस्पोंस आता है. दरअसल ये बटन की आवाज पर काम करता है. आपके मोबाइल का जो डायल पैड होता है उसमें हर नंबर के लिए एक अलग साउंड होता है और उसी आधार पर ये तय करता है की आपको किस चीज की जरूरत है.

IVRS के काम करने के तरीके (IVRS functioning)

IVRS दो तरीकों से काम करता है. 1) Human Voice 2) DTMF

1) Human Voice IVRS

इस तरह के IVRS System में आपसे सिर्फ Yes और No का जवाब मांगा जाता है. यानि आपको सिर्फ Yes या No बोलना होता है. इसे आपने बैंकिंग या किसी ई कॉमर्स कस्टमर केयर पर देखा होगा. ये पुष्टीकरण के लिए आपसे Yes और No में जवाब मांगते हैं.

2) DTMF IVRS

DTMF का मतलब होता है Dual Tone Multiple Frequency. इसका उपयोग हम सभी सबसे ज्यादा करते हैं. आपको याद होगा कि जब आपने कस्टमर केयर पर फोन किया था तो उन्होने कहा कि हिन्दी के लिए 1 दबाएं और इंग्लिश के लिए 2 दबाएं. इस तरह के IVRS में सिस्टम Sound frequency की मदद से ये पता लगाता है कि आपने कौनसा बटन दबाया है.

अगर आपने गौर किया हो तो आपके डायलपैड के हर नंबर के लिए एक अलग तरह का साउंड होता है जिसमें थोड़ा-थोड़ा अंतर होता है. DTMF IVRS में सिस्टम इसी साउंड फ्रिक्वेन्सी की मदद से ये पता लगा लेता है की आपने कौन से विकल्प को चुना है.

IVRS का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? (Why use of IVRS?)

IVRS का इस्तेमाल आमतौर पर छोटी कंपनियां नहीं करती हैं. इसका इस्तेमाल वे कंपनियां करती हैं जिनके पास दिन भर में काफी सारी शिकायतें आती हैं. अब जैसे जियो को ही मान लीजिये. इनके 1 करोड़ यूजर्स भारत में हैं. अब ऐसे में शिकायते भी काफी आती हैं. ऐसे में काफी सारे कस्टमर की शिकायते ऐसी होती है जिनके लिए उन्हें सीधे तौर पर कस्टमर केयर से बात करने की जरूरत नहीं होती है.

आईवीआरएस का इस्तेमाल इसलिए भी किया जाता है ताकि कंपनी को पहले से इस बात का पता लग जाए की आपकी समस्या क्या है. जैसे आपके मोबाइल से बेलेन्स कट गया और आपने कस्टमर केयर को फोन लगाया तो आपसे पहले आईवीआरएस के माध्यम से ये पूछ लिया जाएगा की आपकी समस्या क्या है? इसके बाद उस समस्या के हिसाब से आपकी कॉल किसी अधिकारी को भेजी जाएगी.

दूसरी तरफ कोई भी कंपनी शिकायतों को हल करने के लिए इतने लोगों को नहीं रख सकती क्योंकि ये काफी महंगा पड़ता है. ऐसे में IVRS सिस्टम का उपयोग किया जाता है ताकि उनके कस्टमर छोटी-छोटी जरूरतें IVRS के माध्यम से ही हल कर लें. किसी बड़ी शिकायत के लिए वे कस्टमर केयर अधिकारी से बात कर सकते हैं.

IVRS का इस्तेमाल कहाँ होता है? (Use of IVRS?)

1) IVRS का उपयोग सबसे ज्यादा टेलीकॉम कंपनियां करती हैं. भारत में मौजूद सभी टेलीकॉम कंपनियां शिकायतों को हल करने के लिए आईवीआरएस का उपयोग करती ही हैं. उससे उनकी लागत और समय दोनों बचते हैं.

2) IVRS का इस्तेमाल बैंकिंग में भी किया जाता है. अब जैसे आपने बैंक के कस्टमर केयर पर किसी जरूरत के लिए फोन किया तो आपका पहला सामना आईवीआरएस से ही होगा. इसके बाद आपको काफी मशक्कत करके कस्टमर केयर अधिकारी से बात करना पड़ेगा.

3) दुनियाभर में ढेरसारी ऑनलाइन सर्विस हैं जैसे ई कॉमर्स वेबसाइट, होस्टिंग कंपनियाँ, सॉफ्टवेयर कंपनियां जो किसी न किसी सर्विस को बेंचती हैं. ये सभी कंपनियां भी अपने कस्टमर सपोर्ट के लिए आईवीआरएस का उपयोग करती हैं.

IVRS का इस्तेमाल कैसे करें? (How to use IVRS?)

IVRS का इस्तेमाल करने के दो तरीके हैं. पहले तरीके में आप ऑनलाइन आईवीआरएस होस्टिंग खरीद सकते हैं. इसका इस्तेमाल आप तब कर सकते हैं जब आपकी कंपनी छोटी है और आप आईवीआरएस पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना चाहते. दूसरा विकल्प ये है कि आप कंपनी में ही आईवीआरएस के लिए पूरा सेटअप लगाएं. ये सेटअप लगाना काफी महंगा और खर्चीला विकल्प है. इसका इस्तेमाल आप तब कर सकते हैं जब आपकी कंपनी काफी बड़ी हो और आपको लंबे समय तक इसकी जरूरत हो.

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