Mon. Nov 18th, 2024

NavIC : इसरो का नाविक क्या है, इसके क्या फायदे हैं?

स्मार्टफोन की तकनीक दिन-ब-दिन बदलती जा रही है. स्मार्टफोन में किसी जगह का पता लगाने के लिए हम गूगल मैप (Google maps) या जीपीएस (GPS) का उपयोग करते हैं लेकिन अब ये तकनीक बदलने वाली है और इसकी जगह जल्द ही इसरो का नाविक (ISRO NavIC) लेने वाला है. नाविक क्या है (What is NavIC?) और इसके क्या फायदे हैं? (NavIC benefit) ये बात स्मार्टफोन यूजर को जरूर जननी चाहिए.

नाविक क्या है? (What is ISRO NavIC?)

नाविक (NavIC) का पूरा नाम (NavIC full form) Navigation with Indian constellation है. ये भारत का अपना सैटेलाइट सिस्टम है जो IRNSS (Indian Regional navigation satellite system) का ऑपरेशनल नाम है. नाविक सिस्टम के लिए अन्तरिक्ष में भारत ने 7 सैटेलाइट का जाल बिछाया है जो पूरी तरह भारत को कवर करता है. ये सैटेलाइट सिस्टम भारत की स्थिति की जानकारी देने में सक्षम है. इसे साल 2013 मई में अनुमोदित किया गया था. तब से वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे थे. अब इसे लॉंच कर दिया गया है और ये लोगों और सरकार की मदद कर रहा है.

नाविक के काम करने के साथ ही भारत पांचवां ऐसा देश बना गया है जिसके पास खुद की जीपीएस प्रणाली है जो काफी सटीक जानकारी देती है. भारत से पहले अमेरिका के पास जीपीएस, रूस के पास ग्लोनौस, यूरोप के पास गैलिलियो, चीन के पास बायडू नेविगेशन सिस्टम हैं. भारत के नाविक नेविगेशन सिस्टम के जरिये पाँच मीटर दूर से सटीक जानकारी हासिल की जा सकेगी.

जीपीएस और नाविक में कौन बेहतर? (NavIC vs GPS)

जीपीएस और नाविक में बेहतरी की बात करें तो इन दोनों में नाविक ही बेहतर है. नाविक डुयल फ्रिक्वेन्सी पर काम करता है. इसलिए ये जीपीएस से सटीक है. जीपीएस सिर्फ एक फ्रिक्वेन्सी पर काम करता है. शहरी इलाकों में जीपीएस की सटीकता छह गुना अधिक होगी. नाविक को भारत के भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से तैयार किया गया है ताकि भारत की तंग गलियों और पगडंडी वाले रास्तों पर भी या सटीकता से काम करे.

नाविक का उपयोग कहाँ होगा? (Use of NavIC)

नाविक का उपयोग आम जनता और सरकार दोनों ही करेंगे.

– आम जनता के उपयोग के लिए इसे स्मार्टफोन में लाया जा रहा है. हालांकि ये सुविधा सभी फोन में आपको देखने को नहीं मिलेगी. ये आपको कुछ खास प्रॉसेसर वाले फोन में देखने को मिलेगी जिनका नाविक के साथ समझौता हुआ है. इसके अलावा भारत में आने वाली गड़िया भी अपने जीपीएस सिस्टम की जगह नाविक का उपयोग करने वाली हैं.

– नाविक का प्रयोग स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन के लिए किया जाएगा. इससे भारतीय सेना को काफी राहत मिलेगी. उन्हें बार्डर पर होने वाली घुसपैठ पर नजर रखने में आसानी रहेगी. साथ ही जल मार्ग की घुसपैठ पर नजर रखी जा सकेगी.

– ये आपदा प्रबंधन में काफी कारगर होगा. इसके इस्तेमाल से नुकसान का जल्द से जल्द आंकलन करके सुदूर इलाकों में मदद पहुंचाई जा सकेगी. इससे कम समय में वहाँ का ज्यादा डाटा प्राप्त किया जा सकेगा. पहले हमें इस जानकारी के लिए अमेरिका पर निर्भर रहना पड़ता था.

– नाविक से खेती करने में भी मदद मिलेगी. इसकी मदद से मिट्टी की गुणवत्ता को लेकर, मौसम और फसल को लेकर सलाह दी जा सकेगी. इसके अलावा जंगल में होने वाली दुर्घटना जैसे आग आदि पर नजर राखी जा सकेगी. इसके साथ ही जानवरों पर भी नजर रखी जा सकेगी.

नाविक को भारत का देसी जीपीएस भी कहा जा रहा है लेकिन वास्तव में ये जीपीएस से काफी आगे है. ये जीपीएस के मुकलबे अधिक सटीकता के साथ जानकारी देता है. कई नए फोन में जीपीएस और नाविक दोनों का ही सपोर्ट आपको मिल रहा है. इन फोन के माध्यम से आप नाविक को अच्छी तरह चलाकर देख सकते हैं.

यह भी पढ़ें :

INS Vikrant : नौसेना का शक्तिशाली जहाज आईएनएस विक्रांत की विशेषता और इतिहास

Chandrayaan 3 : चंद्रयान 3 मिशन की खास बातें, भारत के चंद्रयान मिशन

गगनयान मिशन क्या है, ये कब लॉन्च होगा, व्योमोनॉट क्या है?

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *