इंडिया में हर साल 14 दिसम्बर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है. भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस यानी कि National Energy Conservation Day मनाने का मकसद लोगों को ऊर्जा के महत्त्व के साथ ही साथ ऊर्जा की बचत के बारे में जागरूक करना है.
क्या है ऊर्जा संरक्षण अधिनियम?
भारत सरकार ने साल 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 लागू किया था. इस अधिनियम में ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्रोतों को इस्तेमाल में लाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी करना, पारम्परिक स्रोतों के संरक्षण के लिए नियम बनाना आदि शामिल था.
यह अधिनियम ऊर्जा दक्षता ब्यूरो यानी की Bureau of Energy Efficiency द्वारा लागू किया गया है जो भारत सरकार का एक स्वायत्तशासी निकाय है.
इंडिया में ऊर्जा का कितना इस्तेमाल –
इंडिया में पूरे साल सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा सकता है. यहां साल भर में 300 दिनों तक तेज धूप खिली रहती है. भारत भाग्यशाली है कि सौर ऊर्जा के लिए खिली धूप, उपलब्ध भूमि, परमाणु ऊर्जा के लिए थोरियम का अथाह भंडार तथा पवन ऊर्जा के लिए लंबा समुद्री किनारा उसके पास नैसर्गिक संसाधन के तौर पर उपलब्ध है. जरूरत है तो बस उचित प्रौद्योगिकी का विकास तथा संसाधनों का दोहन करने की.
कैसे मिलेगी देश को ऊर्जा ?
भारत में ऊर्जा जरूरतों की मांग और आपूर्ति में बहुत बड़ा अन्तर है. देश में बिजली संकट लगातार गहराता जा रहा है. अगर इस समय बिजली संकट को गंभीरता से नहीं लिया गया तो यह भारत के विकास के लिए सबसे बड़ा अभिश्राप सिद्ध हो सकता है क्योंकि तरक्की का रास्ता ऊर्जा से ही होकर जाता है.
अब वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर गंभीरता से विचार करते हुए ऊर्जा बचत के लिए जरूरी उपाय अपनाने पड़ेंगे. इस मायने में सूर्य से प्राप्त सौर ऊर्जा अत्यंत महत्त्वपूर्ण विकल्प है.
सौर ऊर्जा प्रदूषण रहित, निर्बाध गति से मिलने वाला सबसे सुरक्षित ऊर्जा स्रोत है. अपने देश में यह लगभग 12 महीने उपलब्ध है. यह दुख का विषय है कि हमने सौर ऊर्जा के उपयोग पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
परिस्थितियां विषम होने के कारण हमें सभी उपलब्ध अक्षय ऊर्जा विकल्पों पर विचार करना होगा. इसके साथ ही ऊर्जा संरक्षण के व्यावहारिक कदमों को अपनाना होगा ताकि बड़े पैमाने पर बिजली की बचत हो सके.
मांग और पूर्ति में बड़ा अंतर
देश की बढ़ती आबादी के उपयोग के लिए और विकास के लिए ऊर्जा की मांग बढ़ रही है लेकिन उत्पादन में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है. पुरानी बिजली परियोजनाएं कभी पूरा उत्पादन कर नहीं पाईं और नई परियोजनाओं के लिए स्थितियां दूभर सी हैं.
बिजली के इस संकट को अगर अभी दूर नहीं किया गया तो भविष्य संकटमय साबित होगा. दुर्भाग्यवश खनिज तेल पेट्रोलियम, गैस, उत्तम गुणवत्ता के कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधन हमारे यहां बहुत सीमित हैं. ऊर्जा की बचत बिना हम विकसित राष्ट्र का सपना नहीं देख सकते .
तेजी से अपनाने होंगे ये उपाय
ऊर्जा बचत के उपायों को शीघ्रतापूर्वक और सख्ती से अमल में लाए जाने की जरूरत है. इसमें हर नागरिक की भागीदारी होनी चाहिए. छोटे स्तर की बचत भी कारगर होगी क्योंकि बूंद-बूंद से ही सागर भरता है.
जब हम ऊर्जा के साधनों का इस्तेमाल सोच-समझकर और मितव्ययता से करेंगे, तभी यह भविष्य तक रह पाएंगे. अंततः देश का प्रत्येक नागरिक इस दिशा में जागरूक हो, हर संभव ऊर्जा बचत करें तथा औरों को भी इसका महत्त्व बताएं.
भविष्य में 40 साल बाद हो सकता है हमारे पास तेल और पानी के बड़े भंडार खत्म हो जाए. यही नहीं ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों यानी सौर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे साधनों का इस्तेमाल करना थोड़ा मुश्किल है और इस क्षेत्र में कार्य अभी प्रगति पर है और कई तरह के रिसर्च चल रहे हैं, लेकिन उसके रिजल्ट आने में टाइम लगेगा.
दुनिया में मच रही खलबली
हालात यही रहे तो मुश्किल नहीं होगा कि दुनिया में तीसरा विश्व युद्ध पानी या तेल के भंडारों पर कब्जा जमाने के लिए हो. आज विश्व का हर देश कागजी स्तर पर तो ऊर्जा संरक्षण की बड़ी-बड़ी बातें करता है, लेकिन यही देश अकसर ऊर्जा की बर्बादी में सबसे आगे नजर आते हैं.
अगर भारत की बात की जाए तो यहां विश्व में पाए जाने वाली ऊर्जा का बहुत कम प्रतिशत हिस्सा पाया जाता है लेकिन इसकी तुलना में हम इसको कहीं ज्यादा खर्चा करते हैं.