भारत की आजादी को पूरे 74 साल हो रहे हैं. हमारा 70 सालों का इतिहास बहुआयामी विकास का साक्षी रहा है. विकास के कई पैमानों के बीच भारतीय सेना ने भी पूरी दुनिया में अपनी ताकत का लोहा मनवाया है. पाकिस्तान से तीन-तीन युद्ध हो या फिर सीमा पर आतंकियों को खदड़ने की बात भारतीय सेना ने हर जगह वीरता दिखाई है.
भारतीय सेना दुनिया की सबसे बड़ी स्वैच्छिक सेना है. ऐसी सेना जिसमें हर व्यक्ति अपनी इच्छा से देश प्रेम की भावना से शामिल होता है. खास बात यह है कि संविधान में अनिवार्य सैनिक सेवा की व्यवस्था के बाद भी देश में नागरिकों पर सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य नहीं हुआ.
भारतीय सेना का इतिहास (Indian Army History)
भारतीय सेना की उत्पत्ति 1857 के भारतीय विद्रोह के के बाद के सालों में हुई, जब 1858 में ताज ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी से सीधे ब्रिटिश भारत के प्रत्यक्ष शासन पर टेक ओवर कर लिया.
1858 से पहले, भारतीय सेना की अग्रदूत इकाइयां कम्पनी के द्वारा नियंत्रित इकाइयां थीं, जिन्हें उनकी सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान किया जाता था. ये साथ ही ब्रिटिश सेना की इकाइयों का भी संचालन करती थीं, इनका वित्त पोषण भी लन्दन में ब्रिटिश सरकार के द्वारा किया जाता था.
प्राथमिक रूप से ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सेनाओं में बंगाल प्रेसिडेंसी के मुसलमानों को भर्ती किया गया था, जिसमें बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के मुस्लिम शामिल थे, तथा उंची जाति के हिन्दुओं को अवध के ग्रामीण मैदानों से भर्ती किया गया. इनमें से कई सैन्य दलों ने भारतीय विद्रोह में हिस्सा लिया, जिसका उद्देश्य था दिल्ली में मुग़ल सम्राट बहादुर शाह द्वितीय को फिर से उसके सिंहासन पर बैठाना. आंशिक रूप से ऐसा ब्रिटिश अधिकारियों के असंवेदनशील व्यवहार के कारण हुआ था.
विद्रोह के बाद, विशेष रूप से राजपूतों, सिक्खों, गौरखाओं, पाश्तुनों, गढ़वालियों, मोहयालों, डोगरों, जाटों और बालुचियों में से सैनिकों की भर्ती पर स्विच किया गया। ब्रिटिश के द्वारा इन जातियों को “लड़ाकू जातियां” कहा जाता था.
शब्द “भारतीय सेना” का अर्थ समय के साथ बदल गया.
इंडियन आर्मी का ब्रिटिश शासन से संबंध (Relation of Indian Army with British Rule)
ब्रिटिश भारतीय सेना 1947 में भारत के विभाजन से पहले भारत में ब्रिटिश राज की प्रमुख सेना थी. इसे अक्सर ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में निर्दिष्ट नहीं किया जाता था बल्कि भारतीय सेना कहा जाता था और जब इस शब्द का उपयोग एक स्पष्ट ऐतिहासिक सन्दर्भ में किसी लेख या पुस्तक में किया जाता है, तो इसे अक्सर भारतीय सेना ही कहा जाता है.
ब्रिटिश शासन के दिनों में, विशेष रूप से प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, भारतीय सेना न केवल भारत में बल्कि अन्य स्थानों में भी ब्रिटिश बलों के लिए अत्यधिक सहायक सिद्ध हुई.
भारत में, यह प्रत्यक्ष ब्रिटिश प्रशासन (भारतीय प्रान्त, अथवा, ब्रिटिश भारत) और ब्रिटिश आधिपत्य (सामंती राज्य) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए उत्तरदायी थी.
पहली सेना जिसे अधिकारिक रूप से “भारतीय सेना” कहा जाता था, उसे 1895 में भारत सरकार के द्वारा स्थापित किया गया था, इसके साथ ही ब्रिटिश भारत की प्रेसीडेंसियों की तीन प्रेसिडेंसी सेनाएं (बंगाल सेना, मद्रास सेना और बम्बई सेना) भी मौजूद थीं. हालांकि, 1903 में इन तीनों सेनाओं को भारतीय सेना में मिला दिया गया.
क्या है Indian Army का अर्थ? (Meaning of Indian Army?)
शब्द “भारतीय सेना” का उपयोग कभी कभी अनौपचारिक रूप से पूर्व प्रेसिडेंसी सेनाओं के सामूहिक विवरण के लिए भी किया जाता था, विशेष रूप से भारतीय विद्रोह के बाद.
भारतीय सेना (Indian Army) और भारत की सेना (Army of India) दो अलग शब्द हैं, इनके बीच भ्रमित नहीं होना चाहिए. 1903 और 1947 के बीच इसमें दो अलग संस्थाएं शामिल थीं.
खुद भारतीय सेना (भारतीय मूल के भारतीय रेजीमेंटों से निर्मित) और भारत में ब्रिटिश सेना (British Army in India), जिसमें ब्रिटिश सेना की इकाइयां शामिल थीं (जो संयुक्त राष्ट्र मूल की थीं) जो भारत में ड्यूटी के दौरे पर थीं. (साभार:Wikipedia)
कैसे बनी भारतीय सेना?
भारतीय थल सेना के उद्भव का भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत से क़रीबी संबंध है. प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिक वीरता से लड़े और इस युद्ध में ब्रिटिश सफलता में उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया.
इसके बावज़ूद अंग्रेज़ों ने भारतीय सेना को भारतीय नेतृत्व उपलब्ध कराने का कड़ा प्रतिरोध किया, लेकिन 1,10,000 भारतीय जवानों की सेना द्वारा युद्ध में 12 विक्टोरिया क्रॉस जीते जाने से अंग्रेज़ों पर इस बात के लिए दबाव बढ़ रहा था कि भारतीय सेना के अधिकारी कैडर में भारतीयों को भर्ती किया जाए.
पहला प्रमुख बदलाव लगभग 1919-1920 में भारतीय राजनीतिक नेतृत्व द्वारा सेना के भारतीयकरण की सतत मांग की प्रतिक्रिया के तौर पर आया. परिणामस्वरूप इंग्लैण्ड के सैंडहर्स्ट स्थित रॉयल मिलिट्री एकैडमी में उपयुक्त भारतीयों के लिए 10 पद आरक्षित किए गए.
लगातार बढ़ते राजनीतिक दबाव ने ब्रिटिश सत्ता को 1 अक्तूबर 1932 को भारतीय सेना के भावी अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकैडमी (आई. एम. ए) की स्थापना करने पर मजबूर किया. (साभार: भारतकोश).
दुनिया में सबसे खास क्यों है Indian Army?
चीन के बाद इंडियन आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. दुनिया के दिग्गज और ताकतवर देशों की तुलना में भारतीय सेना की ऐसी खासियतें हैं जो उन्हें सबसे अलग बनाती है.
इंडियन आर्मी पर्वतीय युद्ध में सर्वश्रेष्ठ है. भारतीय फौज के जवान ग्लैशियर और पर्वतों पर युद्ध करने की कला में माहिर है. ये सैनिक इतने एक्सपर्ट हैं कि अमेरिकन आर्मी भी इंडियन आर्मी से ट्रेनिंग लेती है.
अफगानिस्तान भेजने से पहले अमेरिकी सेना भारतीय सेना से उन्हीं पहाड़ों पर जीने और लड़ने की कला सीखती है. यही नहीं इंग्लैंड और रूस के सैनिक भी भारतीय सेना से प्रशिक्षण लेते हैं.
इसके अलावा भारत उन तीन देशों में शामिल है, जिनके पास अभी भी अश्वारोही सेनाओं की फौज है. भारतीय सेना हर गणतंत्र दिवस पर सलामी देने के लिए इकट्ठा होती है. भारत दुनिया में आर्थिक महाशक्ति होने के साथ सैन्य शक्ति भी है. पृथ्वी-ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें और सुखोई जैसे हथियार होने से इंडियन आर्मी पूरी दुनिया में अपना एक अलग दबदबा रखती है.
(नोट: यह लेख आपकी जागरूकता और सूचना बढ़ाने के लिए साझा किया गया है. इसके बहुत सारे तथ्य bharatdiscovery.org (भारतकोश) और wikipedia (विकिपीडिया) से लिए गए हैं. इसमें बदलाव संभव है. तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता और विश्वसनीयता के लिए Indiareviews उत्तरदायी नहीं है.)