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विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है भारतीय संविधान, जानिए कैसे हुआ था निर्माण?

indian constitution history

26 जनवरी का दिन भारत में ‘गणतन्त्र दिवस’ (Republic Day of India)के रूप में मनाया जाता है. इस दिन संविधान की बात भी की जाती है क्योंकि 26 जनवरी के दिन ही भारत में संविधान को लागू किया था. भारत के संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान कहा जाता है. (World Largest Constitution) ये शब्दों के अनुसार और अनुच्छेद के अनुसार दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इसमें 395 आर्टिकल और 1.5 लाख से ज्यादा शब्द है.

दुनिया के सबसे बड़े संविधान के निर्माण की यात्रा एक लंबा सफर है. इस पर काफी हद तक ब्रिटिश शासन का भी प्रभाव है. वैसे तो 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ था लेकिन इसे बनाने की शुरुआत काफी पहले हुई थी. भारत में संविधान की नींव भी काफी पहले रखी जा चुकी थी.

संविधान क्या होता है? | What is Constitution?

मौलिक नियमो के समूह को क्रमबद्ध करके बनाया गया दस्तावेज़ तथा किसी राज्य की व्यवस्था के संचालन के लिए निर्मित मूलभूत क़ानूनों का समूह संविधान कहलाता है.

भारत में संविधान का इतिहास | History of Indian Constitution 

जिस भारतीय संविधान को आप आज देखते हैं उसकी शुरुआत साल 1934 से मानी जाती है लेकिन इसकी असल शुरुआत ब्रिटिश काल से है. अंग्रेजों से पहले भारत पर मुगलों और कुछ देसी रियासतों का राज हुआ करता था. सन 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी एलिजाबेथ प्रथम से 15 वर्षों का चार्टर लेकर बिजनेस करने के लिए आए. कई सालों तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बिजनेस किया और शासन करने के लिए अपनी नींव मजबूत की.

भारत में शासन करने के उद्देश्य से ईस्ट इंडिया कंपनी सन 1773 से 1853 तक कई सारे एक्ट भारत में जारी किए. कंपनी की नीतियों के चलते भारत में 1857 का विद्रोह हुआ जिसके बाद ब्रिटिश क्राउन ने भारत में 158 से लेकर 1935 तक एक्ट जारी किए. इनमें से भारत शासन अधिनियम 1935 का प्रभाव भारतीय संविधान पर सबसे ज्यादा दिखाई देता है.

कैसे शुरू हुआ भारतीय संविधान का निर्माण? | How was Indian Constitution Made? 

भारत में संविधान का निर्माण करने के लिए संविधान सभा के गठन का विचार वर्ष 1934 में पहली बार एम.एन.रॉय ने रखा था. इसके बाद साल 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की. इसके बाद साल 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस की ओर से घोषणा की कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा द्वारा किया जाएगा. नेहरू की मांग को ब्रिटिश सरकार ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया.

संविधान सभा का गठन | Establishment of Sanvidhan Sabha

साल 1946 में केबिनेट मिशन द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों के तहत नवंबर में संविधान सभा का गठन हुआ. इसकी निम्न विशेषताएं थी.

– संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे. इनमें से 296 सीट ब्रिटिश भारत, 93 सीट देसी रियासतों को दी जानी थी. ब्रिटिश भारत को दी गई सीटों मे से 292 सीटों का चयन 11 गवर्नर के प्रान्तों और चार का चयन मुख्य आयुक्तों के प्रान्तों से किया जाना था.

– हर प्रांत व देसी रियासत को उनकी जनसंख्या के अनुपात मे सीटे आवंटित की जानी थी. (दस लाख पर एक सीट)

– ब्रिटिश प्रांत को आवंटित सीटों का निर्धारण तीन प्रमुख समुदायों के बीच उनकी जनसंख्या के अनुपात में किया जाना था. ये तीन समुदाय मुस्लिम, सिक्ख व सामान्य थे.

इन सभी नियमों के साथ जुलाई-अगस्त 1946 में संविधान सभा के लिए चुनाव हुए. इसमें ब्रिटिश भारत के लिए आवंटित सीटों में से 208 सीटे कांग्रेस को मिली, 73 मुस्लिम लीग को मिली और 15 सीटे अन्य समूहों को मिली.

संविधान का निर्माण | History of Indian Constitution

संविधान सभा के चुनाव होने के बाद संविधान के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाई गई. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई. इसमें स्च्चिदानंद सिन्हा को अस्थाई अध्यक्ष चुना गया. बाद में डॉ राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष बने.

13 दिसंबर 1946 को पंडित नेहरू ने संविधान सभा में ऐतिहासिक ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पेश किया. इसमें संविधान की संरचना और उसके ढांचे की झलक थी. इस प्रस्ताव (Preamble of Indian Constitute) को 22 जनवरी 1947 को सर्व सम्मति से स्वीकार किया. उद्देश्य प्रस्ताव के परिवर्तित रूप को ही आज संविधान की प्रस्तावना कहा जाता है.

कई देसी रियासतें संविधान सभा का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी. वे शुरू में विरोध कर रही थीं लेकिन उन्हें धीरे-धीरे इसमें मिला लिया गया. 3 जून 1947 को भारत के बँटवारे के लिए पेश की गई माउंटबेटन योजना को स्वीकार करने के बाद अन्य देसी रियासतों के प्रतिनिधियों ने अपनी सीट ग्रहण की. इसके बाद देश आज़ाद हुआ. जिसमें भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो गया.

उद्देश्य प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद से ही संविधान के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया था. इसे बनाने में प्रमुख योगदान डॉ भीमराव अंबेडकर का रहा था. पूरे 2 साल 11 महीने और 18 दिनों तक संविधान मे कुल 11 बैठक हुई. संविधान के निर्माताओं ने 60 देशों के संविधान का अवलोकन किया. इसके प्रारूप पर 114 दिनों तक विचार किया गया. अंत में 26 नवंबर 1949 को संविधान को संविधान सभा के द्वारा पारित किया गया . उस दिन संविधान में प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीं. 26 नवंबर को हम सभी संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं.

26 नवंबर 1949 को संविधान को पारित किया गया था. इसके बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान को पूरे देश में लागू किया गया और इस दिन को हम गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाते हैं. इतना लंबा सफर तय करने के बाद भारतीय संविधान बना और लागू हुआ. ये भारत के लिए गौरवशाली पल था जब भारत ने खुद का संविधान लागू किया था. इसी दिन को हम गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाते हैं.

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By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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