आज की व्यस्त जिंदगी में इंसान के पास इतना समय भी नहीं है कि वह कुछ समय अपने शरीर पर ध्यान देने में लगा सके. परिणामस्वरूप आज अधिकतर व्यक्ति बीमारियों की गिरफ्त में फंसे रहते हैं. जब तकलीफ अधिक हुई, तब दवा ले ली वर्ना हर समय काम में ही व्यस्त रहना उनकी नियति बन जाती है.
क्यों जरूरी है टहलना
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अच्छी सेहत भी व्यक्ति के लिए एक नियामत है. स्वस्थ व्यक्ति जितना चाहे शारीरिक काम कर सकता है. उसे कोई थकान या बीमारी नहीं होती. रोगों से मुक्त रहने के लिए व्यायाम एक उत्तम टॉनिक का कार्य करता है.
टहलना सबसे सरल व उत्तम व्यायाम है जिसे हर आयु वर्ग के व्यक्ति सरलता से कर सकते हैं. प्रातः समय जलवायु में सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों व ऑक्सीजन की काफी मात्रा होती है जो पौष्टिक भोजन से भी अधिक लाभ पहुंचाती है.
दूर होती है कई बीमारियां
चूंकि टहलने में अधिक बल लगाने की आवश्यकता नहीं होती, इसीलिए इसे गठिया, दमा व दिल के मरीज भी आसानी से कर सकते हैं. वैसे टहलना एक साधारण बात समझी जाती है मगर इसे नियमित दिनचर्या का अंग बना लेने से हम अपने स्वास्थ्य को अप्रत्याशित लाभ पहुंचा सकते हैं.
गांधी जी अत्यंत व्यस्त रहते हुए भी टहलने का क्रम जारी रखते थे. विश्व के अनेक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति उनसे मिलने आते और महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करते मगर फिर भी वे नियत समय पर टहलने अवश्य जाते थे. वे इसे भोजन करने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण मानते थे. वे हमेशा प्रार्थना से पहले घूमने जाते थे.
क्या कहते हैं साइंटिस्ट?
स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के अनुसार हम भले ही विशिष्ट प्रकार के व्यायाम क्यों न कर लें मगर हमें प्रतिदिन कम से कम दो घण्टे अवश्य टहलना चाहिए. अन्य व्यायामों की तुलना में टहलना एक अति उपयोगी व विशेष व्यायाम है.
कई व्यक्ति प्रातः उठते ही दैनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं. वे टहलने को कोई महत्त्व नहीं देते मगर मानसिक व शारीरिक संतुलन बनाए रखने के लिए टहलना अति आवश्यक है.
भाषणा बांसल