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Mathura tourist place : मथुरा कब और कैसे जाएं, मथुरा में दर्शनीय स्थल?

भारत में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने कई अवतार लिए और हर अवतार की इनकी अपनी कहानी है. इनके सबसे प्रसिद्ध और स्मरणीय अवतार भगवान राम और कृष्ण के है. भगवान कृष्ण के अवतार के रूप में इनहोने काफी सारी लीलाएं की. भगवान कृष्ण की लीलालों का केंद्र मथुरा (Mathura) और वृन्दावन (Vrindavan) को माना जाता है. मथुरा और वृन्दावन में कई सारी ऐसी जगह है जिन्हें आपको जरूर घूमना चाहिए.

मथुरा में घूमने की जगह (Famous temple and tourist place in Mathura)

श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर (Shri Krishna janmbhumi temple, Mathura)

भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा का प्रमुख मंदिर है ‘श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर’ इस मंदिर का निर्माण एक कारागार (जेल) के रूप में किया गया है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी कारगार में ही हुआ था उसी पर आधारित ये मंदिर है. ऐसा माना जाता है की जहां ये मंदिर है वहीं पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. माना जाता है की इस मंदिर को ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला द्वारा बनवाया गया था. इस मंदिर में दर्शन सुबह 5 बजे से रात के 9:30 बजे तक होते हैं. लेकिन दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक मंदिर बंद रहता है. ये मथुरा जंक्शन से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

श्री द्वारका धीश मंदिर, गोकुल (Dwarakadheesh mandir, gokul)

इस मंदिर को साल 1814 में बनाया गया था. ये मथुरा में विश्राम घाट के पास स्थित है. ये मंदिर दुनियाभर में अपनी आरती के लिए पृसिद्ध है. यहाँ देश-विदेश से लोग आरती दर्शन के लिए आते हैं. यहाँ आप राधा-कृशन की मनमोहक प्रतियों को निहारने के साथ-साथ खूबसूरत नक्काशी और शिल्पकला का आनंद ले सकते हैं. इस मंदिर में आप सुबह 6:30 बजे से 10:30 बजे तक दर्शन कर सकते हैं. इसके बाद इसे शाम 4 बजे खोला जाता है और शाम 7 बजे संध्या आरती के बाद बंद कर दिया जाता है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास दो किमी ये मंदिर स्थित है.

विश्राम घाट (Vishram ghaat)

द्वारकाधीश मंदिर से कुछ दूरी पर ही विश्राम घाट है जहां पर आप शांति और सुकून का अनुभव कर सकते हैं. जैसा इसका नाम है विश्राम वैसी ही यहाँ आकार अनुभूति होती है. इस स्थल को कई संतों ने अपना विश्राम स्थल भी बनाया था. इस घाट में उत्तर की ओर 12 और दक्षिण की ओर 12 घाट है. ये घाट यमुना नदी के किनारे बना हुआ है. यहाँ पर यमुना महारानी का प्रसिद्ध मंदिर भी बना है. शाम के वक़्त यहाँ घाट पर आरती होती है जो बहुत ही अद्भुत होती है.

निधिवन (Nidhivan)

आपने कई बार श्रीकृष्ण की रासलीला का वर्णन सुना होगा. लेकिन ये रासलीला जहां हुई है आपको मथुरा में वो स्थान भी देखना चाहिए. श्रीकृष्ण की रासलीलाओं का स्थान निधिवन है. यहां पर कई पेड़ हैं और जोड़ों के रुप में तुलसी के पौधे हैं. कहा जाता है की ये तुलसी के पौधे रात में गोपियों का रूप बदल लेते हैं और रासलीला करते हैं. इसलिए यहां रात में जाने की अनुमति नहीं है. यहां आप सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक जा सकते हैं. ये मथुरा से 12 किमी दूर है.

गोवर्धन पर्वत (Govardhan parvat)

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का एक प्रमुख भाग्ग है गोवर्धन पर्वत जो अभी भी जीवंत है. निधिवन से 38 किमी दूर गोवर्धन पर्वत है. इस पर्वत की परिक्रमा के लिए आपको 7 कोस की यात्रा करनी होती है यानि 21 किमी. आप चाहे तो इसे पैदल चल कर कर सकते हैं या फिर किसी वाहन जैसे ऑटो या टैक्सी के द्वारा. इसके रास्ते में कई महत्वपूर्ण स्थल जैसे आन्यौर, राधाकुंड, कुसुम सरोवर आदि स्थान पड़ते हैं.

कुसुम सरोवर (Kusum Sarovar)

गोवर्धन पर्वत से 2 किमी दूर राधाकुंड के पास कुसुम सरोवर है. ये साल 1675 से पहले एक कच्चा कुंड हुआ करता था लेकिन बाद में से ओरछा के राजा वीरसिंह ने पक्का कराया. इसके बाद राजा सुरजमाल ने इसे अपनी रानी किशोरी के लिए बाग-बगीचे का रूप दे दिया और सुंदर तथा मनोरम स्थान बना दिया. इसे भी राजा वीरसिंह ने बनाया था. कुसुम सरोवर 460 फीट लंबे चबूतरे पर है. ये एक सुंदर और मनोरम स्थान है. अगर आप गोवर्धन पर्वत तक गए हैं तो यहां भी जरूर घूमें.

प्रेम मंदिर, वृन्दावन (Prem mandir vrindavan)

मथुरा से 14 किमी दूर है वृन्दावन और यहीं पर है सबसे प्रसिद्ध ‘प्रेम मंदिर’ जिसके लिए लोग वृंदावन घूमने आते हैं. 54एकड़ पर बसा ये सम्पूर्ण प्रेम मंदिर श्रीकृष्ण और राधारानी के प्रेम का प्रतीक है. इस मंदिर में श्रीकृष्ण और उनके अस्तित्व की महत्वपूर्ण घटनाओं को मुख्य मंदिर के द्वारा दर्शाया गया है. इसका उदघाटन 15 फरवरी 2012 को हुआ था और 17 फरवरी को इसे जनता के लिए खोल दिया गया था. प्रेम मंदिर %

By रवि नामदेव

युवा पत्रकार और लेखक

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