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how to protect data and privacy on social media and internet, social media safety and security फेसबुक प्राइवेसी इन हिंदी, इंटरनेट सिक्योरिटी इन हिंदी, डाटा सुरक्षा
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फेसबुक, गूगल और दूसरी सोशल मीडिया वेबसाइट् पर लाखों-करोड़ों यूजर्स अपनी पर्सनल इन्फरमेशन साझा करते हैं. सोशल होने के चक्कर में वे फोटो, अपनी पसंद ना पसंद सभी बातों को वेबसाइट्स पर शेयर करते हैं. यूजर की ये निजी जानकारियां इंटरनेट पर सेफ नहीं रह गई हैं.

हाल ही में फेसबुक पर आरोप लगे कि उसने करोड़ों यूजर्स का डेटा थर्ड पार्टी को अपने निजी फायदे के लिए बेच दिया. इस काम के लिए फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने अमेरिकी कांग्रेस में माफी भी मांगी. जानकारों की मानें तो यह डेटा चोरी का इसे तक का सबसे बड़ा मामला था.

बहरहाल, सवाल यह है क्या इस माफी के बाद भी यूजर्स को कोई गारंटी दे सकता है कि इन सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर उनकी निजी जानकारी सेफ है और किसी थर्ड पार्टी को नहीं दी जा रही? ऐसे में जरूरी है कि यूजर अपनी प्राइवेसी को लेकर खुद ही सावधान हो जाए. आइए आपको बताते हैं उन तरीकों के बारे में जिससे आप अपने डेटा को सेफ कर सकते हैं.

इन्फॉरमेशन को बचाएं: बहुत जरूरी और अतिसंवेदनशील सूचनाओं को किसी परिचित दोस्त या रिश्तेदार को भी ना बताएं. हमेंशा चेक करें कि जहां भी वे स्टोर किए गए हों वहां सही से प्रोटेक्टेड हों.

किसी दूसरी जगह ना करें ट्रांसफर: डेटा किसी एक्सटरनल डिवाइज़ में ट्रांसफर करनें से बचें. एक्सटरनल डिवाइस खोने पर डेटा खतरे में आ सकता है.

डाउनलोड का रखें ध्यान: डेटा जिस डिवाइज़ सेव हो वहां किसी अननोन सोर्स की फाइल ना डाउनलोड करें. ध्यान रखें इससे डेटा हैकर्स की सीधी पहुंच में है.

डेटा फाइल शेयर करने से पहले: डेटा डिलीट करने से पहले कंपनी फाइल और फोल्डर शेयर करे. यह बहुत जरूरी है.

इन डिवाइज को करें बैन: कंपनी उन डिवाइज़ को बैन करें जो कोई तीसरा व्यक्ति एक्सेस कर सकता है. ध्यान रखें अनएन्क्रिटेड लैपटॉप और बाकी पोर्टेबल डिवाइज जल्द ही हैक हो सकती हैं.

ट्रांसफर के दौरान सेफ्टी: बल्क में डेटा ट्रांसफर करें तो किसी सिक्योर कोरियर सर्विस और टैंपर प्रूफ पैकेजिंग का यूज़ करें. इसका विशेष ध्यान रखें अन्यथा आपका डेटा खतरे में है.

पासवर्ड का रखें ध्यान: एक्सेस करें तो पासवर्ड इतना जटिल रखें कि आसानी से क्रैक और हैक ना हो. बीच-बीच में पासवर्ड चेंज करते रहें.

ऑटो सिक्योरिटी: ऑटोमैटिक सिक्योरिटी सिस्टम का यूज करें. ये पासवर्ड सेटिंग, सर्वर और फायरवॉल कंफिगेरेशन लगातार चेक करते रहते हैं. इससे सेंसिटिव इन्फॉरमेशन लीक नहीं होगी.

स्ट्रांग सिक्योरिटी सिस्टम: किसी भी तरह के साइबर हमले के लिए सिक्योरिटी टीम नेटवर्क एक्टिविटी को पहचानने में सक्षम होना चाहिए. ध्यान रखें साइबर अटैक में पूरी तैयारी होना चाहिए;

सिक्योरिटी ट्रेनिंग: इंप्लॉयी और क्लाइंट के लिए डेटा ब्रीच की पूरी जानकारी होना जरूरी है. ध्यान रखें अलर्ट रहना आज के दौर में सबसे जरूरी है.

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