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generic medicine

बीमार होने पर या फिर कोई गंभीर रोग होने पर दवाई के माध्यम से ठीक किया जाता है. मार्केट में उपलब्ध दवाइयाँ काफी महंगी होती है. इस बात के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन जेनेरिक दवाइयाँ (Generic Medicine) सस्ती होती हैं जो जन औषधि केंद्र (Jan Aushadhi Kendra) पर उपलब्ध होती हैं. भारत में हर व्यक्ति को इलाज और दवाइयाँ मिल सके. इस उद्देश्य के साथ जन औषधि केंद्र की शुरुआत की गई थी जिन पर जेनेरिक दवाइयाँ उपलब्ध होती हैं. ये ब्रांडेड दवाइयों से कीमत में काफी सस्ती होती है. लेकिन हमारे मन में यही सवाल रहता है कि जेनेरिक दवाइयों और ब्रांडेड दवाइयों के बीच क्या अंतर होता है.

जेनेरिक दवाइयाँ क्या होती हैं? (What is Generic Medicine?)

मार्केट में दो तरह की दवाइयाँ मिलती हैं. एक होती हैं ब्रांडेड जो किसी नामी कंपनी के द्वारा बनाई जाती हैं और दूसरी होती हैं जेनेरिक, इन्हें भी कंपनियों के द्वारा ही बनाया जाता है. जब कोई दवाई कोई नामी कंपनी बनाती है तो दवा के फार्मूला पर उस कंपनी का पेटेंट होता है. कंपनी अपने खर्चों के आधार पर उस दवाई की कीमत तय करती है.

दूसरी ओर जेनेरिक दवाइयों का फार्मूला भी ब्रांडेड दवाइयों की तरह ही होता है लेकिन इन फार्मूला पर किसी का एकाधिकार नहीं होता है. मतलब इन्हें कोई भी कंपनी बना सकती है. अतः जेनेरिक दवाइयाँ सस्ती बनती हैं इसलिए सस्ती बिकती भी हैं.

जेनेरिक दवाइयाँ दुनियाभर में मिलती है. भारत में सरकार खुद इन्हें प्रमोट कर रही है ताकि आम नागरिक तक महंगी से महंगी दवाई सस्ते दामों पर पहुंचाई जा सके.

जेनेरिक दवा की पहचान कैसे करें? (How to identify Generic Medicine)

ब्रांडेड दवाइयों में आपने देखा होगा कि कंपनी के नाम और लोगों का इस्तेमाल किया जाता है. कंपनी की ओर से दवाइयों के विभिन्न नाम भी जारी किए जाते हैं लेकिन अधिकतर जेनेरिक दवाइयाँ ब्रांड के नाम से नहीं बल्कि उसके फार्मूला के नाम के आधार पर बिकती है. एक केमिस्ट इसकी अच्छी पहचान रखता है और वो आपको बता सकता है कि कौन सी जेनेरिक दवाई है और कौन सी ब्रांडेड.

एक आम आदमी यदि पता करना चाहे तो वो उसके नाम के आधार पर और कीमत के आधार पर ये पता लगा सकता है कि कोई दवाई जेनेरिक है या ब्रांडेड है.

क्या जेनेरिक दवाइयों का असर कम होता है? (Is Generic Medicines are low effective?)

काफी सारे लोग ये सोचते हैं कि जेनेरिक दवाइयों की कीमत कम होती है तो उनका असर भी कम होता है. लेकिन असल में ऐसा नहीं है. जो फार्मूला किसी ब्रांडेड दवाई में उपयोग होता है उसी को जेनेरिक दवाई में उपयोग किया जाता है. अतः जेनेरिक दवाइयाँ भी वैसा ही असर करती हैं जैसा ब्रांडेड दवाइयाँ करती हैं.

जेनेरिक दवाइयाँ सस्ती क्यों होती है? (Why Generic Medicines are so cheap?) 

जेनेरिक दवाइयों को बनाने में जिस फार्मूला का उपयोग किया जाता है उस पर किसी भी कंपनी का एकाधिकार नहीं होता है. अतः उन दवाइयों को कोई भी बिना पेटेंट कराए बना सकता है. इन दवाइयों की रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए कंपनियों को कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है. साथ ही इसके प्रसार प्रचार के लिए भी कोई पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं होती है. कंपनी बड़ी मात्रा में कम कीमत पर इन दवाइयों का प्रोडक्शन कर पाती है इसलिए जेनेरिक दवाइयाँ मार्केट में ब्रांडेड दवाइयों से सस्ती मिलती हैं.

जन औषधि केंद्र पर दवाई सस्ती क्यों मिलती है? (Jan Aushadhi Kendra) 

जन औषधि केंद्र भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले मेडिकल स्टोर हैं. इन पर अधिकतर दवाइयाँ जेनेरिक ही होती हैं. इसके साथ ही सरकार हर संभव प्रयास करती है कि लोगों को इन जन औषधि केंद्र के माध्यम से सस्ती दवाई मिल पाए. इसके लिए सरकार दवाइयों पर छूट भी देती है. आपने देखा होगा कि जन औषधि केंद्र पर मिलने वाली हर दवाई पर कुछ न कुछ डिस्काउंट जरूर दिया जाता है. यही वजह है कि यहाँ से मिलने वाली दवाई आपको कम दाम पर मिल जाती है.

आपको जेनेरिक दवाइयाँ इस्तेमाल करनी चाहिए या ब्रांडेड ये आपकी जरूरत और आपके बजट पर निर्भर करता है. अगर आप महंगी दवाइयाँ खरीद सकते हैं तो कोई दिक्कत की बात नहीं है लेकिन जो लोग दवाइयों के लिए ज्यादा पैसा खर्च नहीं कर सकते हैं उन्हें जेनेरिक दवाइयाँ जरूर खरीदनी चाहिए. ये उनके इलाज में मददगार साबित होती हैं साथ ही इन्हें खरीदने से उनकी आर्थिक स्थिति पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ता है.

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