विषाक्त भोजन या भोजन विषाक्तता को फूड पायजनिंग कहा जाता है. भोजन व खाना बनने में लापरवाही, खाना बासी या पुराना हो जाने, अथवा इसको असुरक्षित ढंग से रखने एवं खाने पर व्यक्ति को इस प्रॉब्लम का सामना करना पड़ सकता है. फ़ूड पाइजन के लक्षण दिखते ही इसका इलाज जरुरी है अन्यथा व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.
क्या हैं लक्षण –
ऐसा खाना खाने के बाद पेट फूलने लगता है. पेट में दर्द व मरोड़ होता है. नाभि के आसपास तेज दर्द होने लगता है. सिर चकराने लगता है, बेहोशी छा जाती है. उल्टियां होने लगती हैं. दस्त भी होने लगते हैं. पीडि़त व्यक्ति को इनमें से एक या अधिक लक्षण भी एकसाथ दिख सकते है.
ये होते हैं कारण –
खाना या पकवान बनाने में लापरवाही करने, बासी होने या उसे ठीक ढंग से सुरक्षित नहीं रखने पर खाने में खतरनाक वैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो खाने को जहरीला बना देते है. यह सलाद, खोया, खीर, मांस, पेस्ट्रीज, ब्रेड, दही, मिठाइयां अथवा दूध से बनी अन्य वस्तुओं के बासी होने से उत्पन्न घातक वैक्टीरिया के कारण होता है.
क्या करना चाहिए?
विषाक्त भोजन का प्रभाव एक से छह घंटे के भीतर दिखने लगता है. लक्षण दिखने पर जीवन रक्षक घोल, फलों का रस, सूप कम मात्रा में धीरे-धीरे पिएं. बिना बुलबुले वाला सोडा भी पी सकते हैं. गोलियां न लें. यदि सीने की जलन रोकने वाली गोली एंटासिड्स या एसिडिटी दूर करने वाली गोली, कैप्सूल आदि फूड पायजनिंग या डायरिया की स्थिति में लेते हैं तो हालत और बिगड़ सकती है.
शरीर में घातक वैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता होती है जो उक्त दवा व कैप्सूल के लेने से पीडि़त की ताकत को कम कर देते हैं. वैसे स्वयं उपचार या राहत पाने उपाय करने की बजाय डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए अन्यथा यह महामारी भी रूप ले सकता है.
बरतें ये सावधानियां –
सलाद व अंकुरित चीजें साफ सुथरी हों.
भोजन के पूर्व हाथ को भली प्रकार से धो लें.
ज्यादा पुराना खट्टा दही न खाएं.
बासी भोजन करने से बचें.
गंदी जगहों की बाजारी वस्तुओं का सेवन न करें.
सड़ी-गली, फल-सब्जी का किसी भी रूप में उपयोग न करें.
मांस का सेवन करने में सावधानी बरतें.
फल-सब्जी व मशरूम को अच्छी तरह परखे .
डिब्बाबंद, बोतलबंद चीजों की एक्सपायरी डेट देखकर उपयोग करें.
किसी भी खाने की वस्तु में गंध व दुर्गंध हो तो उपयोग न करें.
बासी व पुरानी खोया मिठाइयां न खाएं.
मसालेदार चीजें बासी होने पर न लें.
घर हो या बाहर, हमेशा गर्म व ताजा भोजन सीमित मात्रा में सेवन करें.
किसी भी प्रिय या स्वादिष्ट वस्तु को सीमित मात्रा में ही खाएं.