शारदीय नवरात्रि का आरंभ हर साल आश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन होता है. इस वर्ष 10 अक्टूबर, बुधवार को शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में माता के अलग-अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है. नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री का पूजन किया जाता है.
कौन हैं माँ शैलपुत्री
पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. आज आश्विन शुक्ल प्रतिपदा है और देवी के इसी स्वरूप की पूजा की जाएगी. इनका वाहन वृषभ है इसलिए इनको वृषारूढ़ा और उमा के नाम के भी जाना जाता है. इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है.
जाने माँ शैलपुत्री की पूजन विधि
कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि का पूजन आरंभ हो जाता है. माँ शैलपुत्री की पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता, इष्ट देव सहित योगिनियों को आमंत्रित कर कलश में विराजित किया जाता है. इसके बाद
“वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥”
मंत्र से माता का ध्यान करें. मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और मन व तन दोनों ही निरोगी रहते हैं.
आज माता ब्रह्मचारिणी का भी होगा पूजन
ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या करना और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली देवी. ब्रह्मचारिणी मां के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता है. मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को ज्ञान, सदाचार, लगन, एकाग्रता और संयम का वरदान देती हैं. माता ब्रह्मचारिणी का भक्त अपने कर्तव्य पथ से नहीं भटकता और लंबी आयु का को प्राप्त करता है.
माँ ब्रह्मचारिणी को पिस्ते से बनी मिठाई का लगाएं भोग.
मां ब्रह्मचारिणी का दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से स्नान कराएं और मां को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पित करें. देवी को पिस्ते से बनी मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. मां अपने भक्तोँ को जीवन में सदा शांत चित्त और प्रसन्न रहने का आशीर्वाद देती हैं.
इस मंत्र से करें माँ का पूजन
या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।